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मंगलवार, 7 जनवरी 2014

आठ जून से ही होगी कैलास मानसरोवर यात्रा

आपदा से आई दिक्कतों के बावजूद यथावत है कार्यक्रम 
पांच मार्च तक इस लिंक को क्लिक कर के कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन 
10 मार्च तक जमा करने होंगे सभी प्रपत्र
नैनीताल (एसएनबी)। दो देशों की सीमाओं में होने वाली अनूठी धार्मिक यात्रा कैलास मानसरोवर यात्रा बीते वर्ष आई दिक्कतों के बावजूद इस वर्ष भी तय कार्यक्रम के अनुसार होने जा रही है। विदेश मंत्रालय ने यात्रा की तिथियों और पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि पिछले साल कई बदलाव किए गए थे। विदेश मंत्रालय ने यात्रा का कलेंडर व अन्य ब्यौरा वेबसाइट पर जारी कर दिए हैं। यात्रा आठ जून से नौ सितंबर होगी। आगामी पांच मार्च तक यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और 10 मार्च तक आवेदन संबंधी आवश्यक प्रपत्र जमा करने होंगे। उल्लेखनीय है कि 2012 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा 26 दिनों की होती थी, एक जून से प्रारंभ होकर सितंबर आखिर तक चलती थी और 16 दल ही यात्रा में जाते थे। पहली बार 2013 में इसकी अवधि चार दिन घटाकर 22 दिन कर दी गई थी। पिछले वर्ष यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक के लिए तय की गई थी। हालांकि प्रदेश में आई आपदा के बाद केवल एक ग्रुप के यात्री ही यात्रा पूरी कर पाए थे। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार इस वर्ष की 22 दिनों की यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक होगी। यात्रा में 60-60 यात्रियों के 18 दल जाएंगे। शुल्क भी यथावत रखा गया है, यात्रा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को 32 हजार रपए और चीन सरकार को 901 डॉलर देने होंगे। केएमवीएन के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा का कार्यक्रम कमोबेश पूरी तरह पिछले वर्ष का ही रखा गया है। वहीं निगम के मंडलीय प्रबंधक डीके शर्मा ने बताया कि यात्रा 12 जून को दिल्ली से चलकर अल्मोड़ा पहुंचेगी। यात्रा मार्ग में बदलाव नहीं किया गया है। पिछले वर्ष यात्रा पथ पर एक वर्ष पूर्व ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव हटा दिया गया था, वहीं चीन में बिताए जाने वाले तीन दिन भी कम कर दिए गए थे। पहले दल के यात्री अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन-मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन- चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेश्वर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली लौट जाएंगे। 

रविवार, 4 अगस्त 2013

कैलास मानसरोवर यात्रा रोकना गैर हिंदूवादी कदम : भाजपा

नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश भाजपा ने कैलास मानसरोवर यात्रा को निरस्त करने के लिए प्रदेश सरकार का गैर हिंदूवादी कदम और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि यह देश के करोड़ों आस्थावान हिंदू समाज की भावनाओं से खिलवाड़ है। सरकार को तत्काल ही अपने निर्णय में बदलाव कर यात्रियों को मुफ्त हेलीकॉप्टर सुविधा दिलाकर यात्रा को शुरू करानी चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया दी कि आगे इस कदम के बाद उत्तराखंड के यात्रा मार्ग को असुरक्षित बताकर अरुणांचल व लद्दाख से कैलास मानसरोवर के लिए नए मार्ग खोले जा सकते हैं, इससे उत्तराखंड एक बड़ा आर्थिक श्रोत भी खो देगा। 
जोशी रविवार को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल के साथ देहरादून लौटते हुए मुख्यालय स्थित राज्य अतिथि गृह में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। कहा, कैलाश यात्रा मार्ग में केवल नदी के बगल से होकर जाने वाले रास्ते में नुकसान हुआ है, जबकि नैनीताल से सौसा, जिप्ती या गुंजी तक एमजी-17 हेलीकॉप्टर के अधिकतम तीन चक्कर लगाकर श्रद्धालुओं को कैलास यात्रा कराई जा सकती है। "˜राष्ट्रीय सहारा" पूर्व में ही कैलास मानसरोवर यात्रा को इसी तरह नैनीताल से सौसा या जिप्ती तक हेलीकॉप्टर सुविधा के जरिए संचालित करने का विकल्प सुझा चुका है। जोशी ने कहा कि यात्रा के स्थगित होने से हमेशा के लिए उत्तराखंड से यह सेवा छिनने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। इस मौके पर सांसद प्रतिनिधि मनोज जोशी व संतोष साह मौजूद थे।

निकटवर्ती वन भूमि पर तत्काल विस्थापन हो, पर सीमांत क्षेत्र खाली भी न हो : चुफाल

नैनीताल। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल ने सीमांत क्षेत्रों में आपदा प्रभावितों का नहीं वरन पूरे आपदा प्रभावित गांवों को विस्थापन करने की आवश्यकता जताई है। साथ ही चेताया है कि विस्थापन से सीमांत क्षेत्र के गांव खाली न हो जाएं। विस्थापितों को केवल रहने के लिए मकान ही नहीं वरन आजीविका के लिए आपदा में बरबाद हुई पूरी जमीन निकटवर्ती वन भूमि में ही देने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आपदा के डेढ़ माह गुजरने के बाद सड़कें तो दूर आपदा में नष्ट हुए पैदल मार्ग भी दुरुस्त न कर पाने का आरोप लगाया। पैदल रास्ते ही बन जाएं, तो बड़ी बकरियों के जरिए भी दूरस्थ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सकता है। पत्रकारों से वार्ता करते भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल व अन्य। 

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

पांच दिन छोटी पर पांच हजार रुपये महंगी हुई कैलाश यात्रा




इस बार एक नहीं, 12 जून से शुरू होगी यात्रा
गत वर्षो के मुकाबले दो दल अधिक जाने के बावजूद एक माह कम अवधि में निपट जाएगी यात्रा
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व भर में अनूठी धार्मिक यात्राओं में शुमार कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार गत वर्षो के मुकाबले पांच दिन कम अवधि में पूरी कर ली जाएगी। यात्रियों को कुमाऊं मंडल विकास निगम को ही पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। यात्रा में पिछले वर्ष ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव इस बार हटा दिया गया है, वहीं चीन में इस बार विगत वर्षो के मुकाबले चार दिन कम बिताने को मिलेंगे। इस वर्ष यात्रा परंपरागत एक जून के बजाय 12 जून से प्रारंभ होगी। यात्रा में गत वर्षो से दो अधिक यानी 18 दल जाएंगे। यात्रा पहले के मुकाबले करीब एक माह पहले ही नौ सितम्बर को पूरी हो जाएगी। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा के संभावित कार्यक्रम में यह बातें ध्यान आकषिर्त करतीं हैं। बीते वर्षो में यात्रा से केएमवीएन को प्रति यात्री 27 हजार रुपये मिलते थे, इस वर्ष 32 हजार मिलेंगे। पिछले वर्ष तक यात्रा एक जून से प्रारंभ होती थी, यानी पहला दल एक जून को दिल्ली से अल्मोड़ा पहुंचता था, इस बार ऐसा 12 जून को होगा। पहला दल 27 को वापस दिल्ली पहुंचता था, इस बार केवल 22 दिनों में ही अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन- मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन-चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली पहुंच जाएगा। इस बार पहली बार 18 दल जाएंगे। आखिरी दल 16 अगस्त को दिल्ली से चलेगा और नौ सितम्बर को लौट जाएगा।
केंद्र ने बंद की सब्सिडी
केएमवीएन हालांकि कैलाश-मानसरोवर यात्रा को लाभ के लिए आयोजित नहीं करता। बावजूद बिना लाभ के भी उसने इस वर्ष प्रति यात्री पांच हजार रुपये शुल्क बढ़ाए जाने की मांग भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से की थी। विदेश मंत्रालय ने शुल्क तो पांच हजार बढ़ा दिया है। इस प्रकार यात्रियों की जेब से तो निगम के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपये निकलेंगे। भारत सरकार ने निगम को बीते वर्षो तक सामान्यतया सब्सिडी कहे जाने वाले प्रति यात्री 3,250 निगम को देने बंद कर दिये हैं। इस प्रकार निगम को इस वर्ष किराया पांच हजार बढ़ने के बावजूद केवल 1,750 ही प्रति यात्री अधिक मिलेंगे। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि वर्ष 2010-11 तक विकास शुल्क के रूप में यह राशि मिलती थी। पिछले वर्ष से यह राशि देने से मना कर दिया गया है।

बुधवार, 30 मई 2012

रुपये की "नरमी" से कैलास यात्रा में भी "गरमी"


एक हजार डॉलर से अधिक खर्च करने पड़ते हैं चीन में
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व की प्राचीनतम और एक से अधिक देशों से होकर गुजरने वाली अनूठी कैलास मानसरोवर यात्रा पर भी भारतीय रुपये में आई भारी नरमी का असर देखना पड़ सकता है। इस कारण आगामी एक जून से शुरू होने जा रही इस यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री को जहां करीब आठ हजार रुपये से अधिक खर्च करने पड़ेंगे, वहीं चीन को इस यात्रा के जरिये गत वर्ष के मुकाबले 60 लाख रुपये अधिक प्राप्त होंगे।
गौरतलब है कि भारतीय तीर्थयात्रियों को चीन के हिस्से में स्थित पवित्र कैलास मानसरोवर के यात्रा मार्ग में चीन सरकार को 751 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है, जबकि कैलास पर्वत एवं मानसरोवर झील की परिक्रमा तथा चीन में निजी खर्च पर कम से कम 250 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। इधर विश्व बाजार में गत वर्ष डॉलर के मुकाबले करीब 48 रुपये पर रहा भारतीय रुपया इस वर्ष अपने बेहद निचले स्तर 56 रुपये तक पहुंच गया है, यानी एक डॉलर खरीदने के लिए भारतीय यात्रियों को चीन में करीब आठ रुपये और पूरी यात्रा पर औसतन आठ हजार रुपये अधिक खर्च करने होंगे। इस प्रकार यात्रा पर जाने वाले औसतन 750 भारतीय तीर्थयात्रियों से चीन को 60 लाख भारतीय रुपये अधिक मिलेंगे। जान लें कि गत वर्ष 761 तथा अब तक 11,744 यात्री कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके हैं।
अनेक रूपों में होंगे शिव के दर्शन 
देवाधिदेव शिव के धाम कैलास यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को इस वर्ष जहां भारतीय रुपये की गिरावट से नुकसान झेलना होगा, वहीं यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम ने पहली बार यात्रा में ऐसा आकर्षण जोड़ा है कि यात्रियों को यह खर्च अधिक नहीं खलेगा। इस वर्ष निगम अपना शुल्क 27 हजार रुपये बढ़ाए बिना यात्रा की अवधि एक दिन और चौकोड़ी में एक पड़ाव बढ़ाकर नये आकषर्ण उपलब्ध करा रहा है। इस प्रकार अब यात्री शिव के कत्यूरी स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर बैजनाथ, बागेश्वर में शिव-शक्ति ब्याघ्रेश्वर, पाताल भुवनेश्वर गुफा, जौंलजीवी में ज्वालेश्वर तथा जागेश्वर में शिव के नागेश रूप के दर्शन भी कर पाएंगे। पूर्व में केवल ज्वालेश्वर व जागेश्वर के ही दर्शन हो पाते थे। 
स्मृति चिह्न देगा केएमवीएन 
कैलास यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को पहली बार केएमवीएन स्मृति चिह्न देने जा रहा है। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। यात्रा पूरी करने पर सभी यात्रियों को कुमाऊं की हस्तकला से निर्मित आकषर्क स्मृति चिह्न दिए जाएंगे। यात्रा में कुमाऊंनी भोजन तथा लोक संस्कृति से संबंधित लोक नृत्य, गीत आदि के जरिये मनोरंजन भी कराया जाएगा। भारतीय क्षेत्र के सभी 15 पड़ावों में स्थापित शिविरों में बीएसएनएल की सहायता से डीएसपीटी यानी डिजिटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित कर दिए गए हैं। एक जून को पहला बैच दिल्ली से चलकर काठगोदाम पहुंचेगा। इस दल के स्वागत के लिए वह स्वयं उपस्थित होंगे। 
स्वामी व रावत थे पहले यात्रा दल में शुमार 
केएमवीएन ने कैलास मानसरोवर यात्रा की शुरूआत वर्ष 1981 में की थी लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि पहली यात्रा में केवल तीन दलों में मात्र 59 यात्री शामिल हुए थे, इनमें वर्तमान भाजपा व पूर्व जनता पार्टी के बहुचर्चित नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा उत्तराखंड के सांसद व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत भी शामिल थे। वर्ष 1992 तक यात्रा में दलों की संख्या छह-सात तथा यात्रियों की संख्या 150-250 के बीच रही। उत्तराखंड बनने के बाद 2000 में पहली बार 16 दल भेजे गए। 2008 में चीन में विपरीत हालातों के कारण केवल आठ दल ही जा सके। इस बीच यात्रा के दौरान मालपा हादसा भी हुआ, जिसमें सिने कलाकार कबीर बेदी की पत्नी प्रोतिमा बेदी समेत अनेक तीर्थयात्रियों को जान गंवानी पड़ी थी।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई आठ हजार रुपये महंगी

यात्रा मार्ग और अवधि बढ़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने बढ़ाया केएमवीएन का खर्चा
नवीन जोशी, नैनीताल। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए इस वर्ष भक्तों को प्रत्यक्ष रूप से आठ हजार रुपये तक अधिक खर्च करने पड़ेंगे। विदेश मंत्रालय ने केएमवीएन के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए यात्रा किराया ढाई हजार रुपये प्रति श्रद्धालु बढ़ा दिया है, जबकि बीते एक वर्ष में भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने से यात्रियों को चीन को करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। 
उल्लेखनीय है कि भारत में कैलाश मानसरोवर का यात्रा का जिम्मा संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने विदेश मंत्रालय से यात्रा किराया बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। निगम के मंडलीय प्रबंधक पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने यात्रा किराया गत वर्ष के 24,500 से बढ़ाकर 27 हजार रुपये करने को स्वीकृति दे दी है। निगम की परेशानी यह थी कि गत वर्ष तक के यात्रा मार्ग मांगती व गाला के बीच बीआरओ द्वारा सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क में भूस्खलन हो रहा है। इसलिए बीआरओ ने इस मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मांगती से गाला के बीच के मार्ग पर पैदल यात्रा कराने से मना कर दिया। इस कारण निगम को इस वर्ष यात्रा पूर्व के मार्ग से करानी पड़ रही है। इस कड़ी में सिरख में एक नया शिविर स्थापित करना पड़ रहा है, जिससे आने-जाने में पैदल यात्रा 36 किमी और यात्रा अवधि दो दिन बढ़ रही है। हां, इस कारण यात्रियों को नारायण स्वामी आश्रम देखने का अवसर मिलेगा। उल्लेखनीय है कि चीन के हिस्से में यात्रा के लिए हर यात्री को चीन सरकार को 700 डॉलर पड़ते हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार बीते वर्ष में एक डॉलर की भारतीय मुद्रा में कीमत करीब सात से आठ रुपये तक बढ़ी है, इस कारण भारतीय यात्रियों को चीन में यात्रा सुविधाओं के लिए करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये तक अतिक्ति अदा करने होंगे। श्री शर्मा ने बताया कि निगम ने इस बार यात्रा मार्ग के सभी छह शिविरों में दो-दो कमरे अतिरिक्त होंगे। इससे हर शिविर में 16 यानी कुल 96 अतिरिक्त शैयाओं की सुविधा होगी। वैसे पूर्व में भी निगम हर यात्रा दल में 60 यात्रियों के लिए पूरी व्यवस्था रखता रहा है, इस बार अतिरिक्त कक्ष होने से खासकर महिला यात्रियों को सुविधा मिलेंगी।
आदि कैलाश यात्रा का किराया भी बढ़ा
नैनीताल। शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा पर महंगाई की मार पड़ी है। यह यात्रा अब करीब चार हजार रुपये महंगी होगी। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जबकि इस वर्ष से यात्रियों को 21 हजार रुपये प्रति यात्री के साथ ही 2.58 फीसद सर्विस टैक्स अलग से वहन करना होगा। इसके साथ ही निगम ने महंगाई के मद्देनजर पर्यटक आवासगृहों का किराया भी सीजन तक बढ़ने के संकेत दिये हैं।
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