सोमवार, 7 मार्च 2011

निजाम तो बदले मगर बेरोजगारों की किस्मत नहीं


दावे और वादों तक ही सीमित रह गए राजनीतिक दल विशेषज्ञ दे रहे स्वरोजगार अपनाने की सलाह
नवीन जोशी, नैनीताल। वर्ष 2000 में जब वर्षो संघर्ष के बाद राज्य बन रहा था, तो हर आंख में चमक थी कि अपने राज्य में हर हाथ को काम मिलेगा। पहाड़ के कम उम्र बच्चों को मैदानी शहरों के ढाबों, घरों में बर्तन धोने जैसे कामों के लिए पढ़ाई-लिखाई छोड़कर भागना नहीं पड़ेगा। कई लोग मैदानों से लगा-लगाया काम छोड़कर घर लौट आए, कि अपनी मेहनत से दूसरों की बजाय अपना घर ही सजाएंगे। राज्य बना, भाजपा की अंतरिम सरकार आई, कांग्रेस ने सत्ता हथियाई, उत्तरांचल से उत्तराखंड नाम बदला, पुन: भाजपा सरकार में लौटी, 10 वर्ष के राज्य में पांच मुख्यमंत्री बदल गए लेकिन सच्चाई है कि व्यवस्थाएं नहीं बदलीं, बेरोजगार-बेरोजगार ही रहे। ख्वाबों की ताबीर जो होनी थी, नहीं हुई। अब सरकार के चार वर्ष पूरे होने के साथ नए चुनाव का अघोषित शंखनाद भी हो गया है। वक्त है जब सत्तारूढ़ दल रोजगार दिलाने के दावे और विपक्ष वादे करेगा। एइसे मैं न क्यों न आंकनों से सच्चाई की पड़ताल कर ली जाए.... 
बातें छोड़ सीधे कुमाऊं के मंडल मुख्यालय जनपद के आंकड़ों पर आते हैं। नवंबर 2000 में राज्य बना, इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल 1999 से 31 मार्च 2000 के बीच एक वर्ष में 4,862 बेरोजगारों ने जिले के तीन सेवायोजन कार्यालयों में नौकरी के लिए पंजीयन कराया था। इस वर्ष 30 को नौकरी मिली थी जबकि राज्य बनने के दौरान मार्च 2001 में कुल 24,239 लोग बेरोजगारी की लाइन में सक्रिय पंजीकृत बेरोजगार थे। अगले यूपी और तत्कालीन उत्तरांचल के संधि काल के दो वर्षो यानी यूपी की भाजपा और उत्तरांचल की अंतरिम भाजपा सरकार के कार्यकाल में 50 लोगों को नौकरी मिली। राज्य के पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हथियाकर पांच वर्ष राज्य किया और उसके कार्यकाल के अंतिम दौर यानी 31 मार्च 2007 तक पांच वर्षो में 251, 250, 23, 86 व 96 मिलाकर कुल 729 को तथा औसतन प्रति वर्ष 146 लोगों को नौकरी मिल पाई। इसे राज्य बनने के लाभ के रूप में देखा जा सकता है। बेरोजगारों की जो संख्या राज्य बनने के दौरान 25,239 थी, दोगुना होते हुए 50,074 हो गई। जनता ने भाजपा को गद्दी दिलाई और भाजपा ने चार वर्ष में दो बार मुखिया की गद्दी बदल दी लेकिन इन चार वर्षो (31 दिसंबर 2010 तक) में क्रमश: 213, 185, 45 व 81 मिलाकर जिले के केवल 535 यानी औसतन 131 लोगों को ही रोजगार मिल सका है। अब वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन माह में यह औसत को पिछले के बराबर ला पाते हैं तो बड़ी बात होगी। कुल मिलाकर देखें तो राज्य बनने के बाद जिले के महज 1255 यानी औसतन प्रति वर्ष 126 बेरोजगारों को ही काम मिला है, और सक्रिय पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 55,232 तक जा चढ़ी है। यानी राज्य बनने के बाद बेरोजगार दोगुने से भी अधिक हो गये हैं। साथ ही साफ कर दें कि यह आंकड़े सरकारी नौकरियों के ही नहीं हैं, वरन इनमें सिडकुल की फैक्टरियों में लगे लोगों की संख्या भी है, और सभी आंकड़े शिक्षित बेरोजगारों के हैं, क्योंकि सेवायोजन कार्यालय अशिक्षितों का पंजीकरण नहीं करता है।
सेवायोजन आफिस की उपयोगिता पर सवाल
नैनीताल। कोई विभाग यदि अपना ही काम न करे तथा अन्य विभाग उसका कार्य करें तो ऐसे कार्यालय की उपादेयता पर सवाल उठने लाजमी हैं। जिला सेवायोजन कार्यालय का एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर कहता है कि विभाग को अन्य विभागों की नियुक्तियां विज्ञापित करने तो दूर उनसे नियुक्तियों संबंधी जानकारियां लेने का 'अधिकार' ही नहीं है। विभाग में स्वयं दर्जनों पद रिक्त हैं, वह अपने यहां ही नियुक्तियां नहीं कर सकता। विभाग बेरोजगारों को रोजगार सृजन के प्रति जानकारियां नहीं दे पा रहा है, ऐसे में विभाग को चलाने की आवश्यकता ही क्या है।

सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

81 के बुढापे में 18 सी जवानी

नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां ! 81 की उम्र में यदि किसी व्यक्ति में 18 की उम्र जैसी चुस्ती-फुर्ती हो सकती है। विश्वास न हो, तो आपको नगर के 81 वर्षीय पूर्व प्रधानाचार्य एवं उत्तराखंड बाक्सिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कुंदन लाल साह से मिलना होगा। साह बीते करीब 45 वर्षो से योग कर रहे हैं, और योग को ही वह अपनी इस चुस्ती-फुर्ती का कारण मानते हैं। वह आज भी रोज दिनचर्या के आवश्यक अंग के रूप में योग के कई कठिनतम् आसन करते हैं, साथ ही लोगों को सिखाते भी हैं।
इस संवाददाता ने भी जब योग की इस जीवंत किवदंती श्री साह के यौगिक आसनों का प्रदर्शन देखा, तो दंग हुए बिना नहीं रहा सका। यह कमोबेश अकल्पनीय था कि जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार एक अप्रैल 1930 को (जबकि उनके अनुसार प्रमाण पत्रों में तिथि एक वर्ष घटाई गई थी) पैदा हुए श्री साह बज्रासन, गौमुखासन, कंचासन, विकर्ण धनुरासन, एकपाद शुप्त शीर्षासन, उत्तिष्ठ कूर्मासन, ऊंकारासन, योग दंडासन व पश्चिमोत्तानासन सरीखे बेहद कठिन आसनों का सामान्यतया शीतकाल में पहने जाने वाले अधिक वस्त्रों में भी बेहद आसानी से प्रदर्शन कर रहे थे। साह बताते हैं कि डेढ़ वर्ष की अवस्था में ही पिता उन्हें छोड़ गए थे। मां ही उनकी गुरु थीं, उन्हीं से योग सीखा। राउमावि कोटाबाग से शिक्षण शुरू किया, और बाद में प्रांतीय शिक्षा सेवा (पीईएस) परीक्षा उत्तीर्ण कर यहीं प्रधानाचार्य हो गऐ। बाद में नैनबाग-टिहरी, तथा पिथौरागढ़ के दोबांश, वर्दाखान, थल व बेरीनाग में प्रधानाचार्य रहे व वर्ष 1987-88 में सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में नेहरू युवा केंद्र के विधि सलाहकार व योग प्रशिक्षक संदर्भ व्यक्ति, उत्तराखंड बाक्सिंग संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष, नगर के रोलर-स्केटिंग संघ अध्यक्ष तथा हिमालय पर्यावरण संस्थान पिथौरागढ़ के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में विभिन्न सांस्कृतिक-सामाजिक संस्थाओं व खेल संस्थाओं से जुड़े हैं। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान भी वह सेवानिवृत्ति के बाद भी युवाओं के साथ सक्रिय रहे तथा 1990 में 10 दिन फतेहगढ़ जेल रहे। लेकिन इतनी संस्थाओं में सक्रियता का राज उनके वैयक्तिक जीवन में है, और उसकी धुरी योग के गिर्द घूमती है। साह बताते हैं, जीवन हर क्षेत्र में तीन भुजाओं का संतुलन है, यह तीन भुजाएं हैं-आचार-विचार व व्यवहार, सदाचार-संयम व अनुशासन, व्यस्त-मस्त और स्वस्थ, पति-पत्नी व बच्चे, जन्म-जीवन व मरण, पृथ्वी-आकाश व पाताल तथा शरीर की तीन व्याधियां कफ-पित्त व बात। त्रिभुज की तीन भुजाओं का संतुलन विचार-कर्म व परिणाम तथा प्राणायाम, ध्यान व आसन से संधान किऐ जाते हैं, फलस्वरूप जीवन स्वस्थ व सुंदर बनता है। लिहाजा वह त्रिपाद मंत्र योग करते-कराते हैं।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई आठ हजार रुपये महंगी

यात्रा मार्ग और अवधि बढ़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने बढ़ाया केएमवीएन का खर्चा
नवीन जोशी, नैनीताल। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए इस वर्ष भक्तों को प्रत्यक्ष रूप से आठ हजार रुपये तक अधिक खर्च करने पड़ेंगे। विदेश मंत्रालय ने केएमवीएन के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए यात्रा किराया ढाई हजार रुपये प्रति श्रद्धालु बढ़ा दिया है, जबकि बीते एक वर्ष में भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने से यात्रियों को चीन को करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। 
उल्लेखनीय है कि भारत में कैलाश मानसरोवर का यात्रा का जिम्मा संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने विदेश मंत्रालय से यात्रा किराया बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। निगम के मंडलीय प्रबंधक पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने यात्रा किराया गत वर्ष के 24,500 से बढ़ाकर 27 हजार रुपये करने को स्वीकृति दे दी है। निगम की परेशानी यह थी कि गत वर्ष तक के यात्रा मार्ग मांगती व गाला के बीच बीआरओ द्वारा सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क में भूस्खलन हो रहा है। इसलिए बीआरओ ने इस मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मांगती से गाला के बीच के मार्ग पर पैदल यात्रा कराने से मना कर दिया। इस कारण निगम को इस वर्ष यात्रा पूर्व के मार्ग से करानी पड़ रही है। इस कड़ी में सिरख में एक नया शिविर स्थापित करना पड़ रहा है, जिससे आने-जाने में पैदल यात्रा 36 किमी और यात्रा अवधि दो दिन बढ़ रही है। हां, इस कारण यात्रियों को नारायण स्वामी आश्रम देखने का अवसर मिलेगा। उल्लेखनीय है कि चीन के हिस्से में यात्रा के लिए हर यात्री को चीन सरकार को 700 डॉलर पड़ते हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार बीते वर्ष में एक डॉलर की भारतीय मुद्रा में कीमत करीब सात से आठ रुपये तक बढ़ी है, इस कारण भारतीय यात्रियों को चीन में यात्रा सुविधाओं के लिए करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये तक अतिक्ति अदा करने होंगे। श्री शर्मा ने बताया कि निगम ने इस बार यात्रा मार्ग के सभी छह शिविरों में दो-दो कमरे अतिरिक्त होंगे। इससे हर शिविर में 16 यानी कुल 96 अतिरिक्त शैयाओं की सुविधा होगी। वैसे पूर्व में भी निगम हर यात्रा दल में 60 यात्रियों के लिए पूरी व्यवस्था रखता रहा है, इस बार अतिरिक्त कक्ष होने से खासकर महिला यात्रियों को सुविधा मिलेंगी।
आदि कैलाश यात्रा का किराया भी बढ़ा
नैनीताल। शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा पर महंगाई की मार पड़ी है। यह यात्रा अब करीब चार हजार रुपये महंगी होगी। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जबकि इस वर्ष से यात्रियों को 21 हजार रुपये प्रति यात्री के साथ ही 2.58 फीसद सर्विस टैक्स अलग से वहन करना होगा। इसके साथ ही निगम ने महंगाई के मद्देनजर पर्यटक आवासगृहों का किराया भी सीजन तक बढ़ने के संकेत दिये हैं।
यहाँ प्रथम पेज पर भी देख सकते हैं: 

रविवार, 20 फ़रवरी 2011

हवा के झोंकों से जलेंगे सरोवरनगरी के चिराग

नवीन जोशी, नैनीताल। नगर की पथ प्रकाश व्यवस्था के हर वर्ष लाखों रुपये के बिलों से परेशान नगर पालिका परिषद अब वैकल्पिक ऊर्जा के प्रबंध पर गंभीरता से विचार कर रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो नगर में जल्द पवन ऊर्जा से स्ट्रीट लाइट जगमगाने लगेगी। इसके लिए दक्षिण भारत की विशेषज्ञ कंपनी से प्रस्ताव मांगे गए थे, जिसने दक्षिण अफ्रीका की तकनीकी पर आधारित 16.5 किलोवाट क्षमता पवन ऊर्जा संयंत्र का करीब 70 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। योजना को राज्य सरकार के शहरी अवस्थापना निगम की 70 फीसद मदद पर लगाए जाने की योजना है। 
उल्लेखनीय है कि पर्यटन नगरी का हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये स्ट्रीट लाइट का बिल आता है। इससे परेशान पालिका ने विगत वर्ष प्रदेश में पहली बार तीन वर्ष के लिए पीपीपी मोड में स्ट्रीट लाइट के पोल विज्ञापन आधार पर सहभागिता के लिए निजी फर्म को देकर एक नई पहल की थी। अब यह अवधि बीतने के साथ पालिका की चिंता फिर बढ़ने लगी है। इसका निदान गत दिनों नगर के एक समाजसेवी मारुति नंदन साह व रामेश्वर साह परिवार द्वारा नगर के मां नयना देवी मंदिर में दान से लगाए जा रहे 800 वाट के पवन ऊर्जा संयंत्र में दिखाई दिया है। इस संयंत्र को लगाने वाली दक्षिण भारत की कंपनी केस्ट्रेल इंडिया से संपर्क किया गया, जिसने नगर के हाईकोर्ट तिराहे से तल्लीताल गांधी मूर्ति तक 7,950 वाट के 58, ठंडी सड़क पर 30-30 वाट के तीन बल्बों वाले 38, मल्लीताल पंप हाउस तक 150 वाट के 13 पोलों तथा नौ हाईमास्ट लाइटों पर 150 वाट के एलईडी बल्बों को हर रोज करीब 10 घंटे रोशन करने के लिए कुल जरूरी 16,495 वाट यानी लगभग 16.5 किलोवाट क्षमता का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। कंपनी के निदेशक रघु रमन ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ को बताया कि इसके लिए नगर में करीब 10 संयंत्र लगाने पड़ेंगे, जिसमें करीब 70 लाख खर्च आएगा। संयंत्र करीब 20-22 वर्ष कार्य करेगा। नगर में संयंत्रों का प्रभाव व हवा की उपलब्धता को देखते हुए तीन चरणों में यह संयंत्र लगाने की योजना है। कोशिश रहेगी कि सौर ऊर्जा के पैनल भी साथ में जोड़ दिए जाएं, ताकि हवा न चलने पर सौर ऊर्जा का भी लाभ लिया जा सके। 
पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी का कहना है कि उनकी कोशिश नगर की स्ट्रीट लाइट बिलों की दीर्घ कालीन समस्या का हल करने की है। पवन ऊर्जा के साथ ही नगर पालिका विद्युत बिलों में कटौती के लिए अत्याधुनिक एलईडी तकनीकी अपनाने पर भी विचार कर रही है। परंपरागत बल्बों की जगह पूरी तरह सीएफएल तकनीकी अपना चुकी पालिका ने गत दिनों विभिन्न कंपनियों की इस तकनीकी का परीक्षण भी किया। प्रस्तावित पवन ऊर्जा संचालित योजना भी एलईडी तकनीक को ध्यान में रखकर ही तैयार की जा रही है। एलईडी तकनीक सीएफएल के मुकाबले भी पांच गुना कम बिजली खर्च कर समान रोशनी देती है।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

हाईकोर्ट में अधिवक्ता को मारपीट कर किया जख्मी


उत्तराखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं में मारपीट, मेडिकल उपरांत मुकदमा दर्ज
नैनीताल (एसएनबी)। उच्च न्यायालय परिसर में एक अधिवक्ता दंपति ने दूसरे अधिवक्ता से बुरी तरह मारपीट की। इससे मन मन न भरा तो उसने उसका मुंह भी नोच डाला और उसके हाथ को दांतों से काट डाला। पीड़ित अधिवक्ता उत्तराखंड उच्च न्यायालय के ओथ कमिश्नर हैं। उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल से मामले की शिकायत की तथा नगर कोतवाली में आरोपित दंपति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पीड़ित अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह फत्र्याल ने बताया कि वह पूर्व में आरोपित अधिवक्ता दंपत्ति मसरूर अहमद और फरीदा खान के चेंबर में ही अधिवक्ता तनवीर आलम खान के साथ बतौर कनिष्ठ अधिवक्ता कार्य करता था। साथ में वह उच्च न्यायालय से ओथ कमिश्नर भी नियुक्त था। आरोपित किसी अन्य की मुहर से यह कार्य करता था। इसकी शिकायत उन्होंने नवंबर माह में मुख्य न्यायाधीश से की। इस पर उन्हें कार्य छोड़ना पड़ा वह उससे रंजिश रखने लगा। इसी बात पर आज उससे मारपीट की गई। आगे उसे जान का खतरा है। कोतवाल बीएस धौनी ने बताया कि आरोपित दंपति के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है।

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

बालीवुड कलाकार नाटकों से निर्मल को देंगे श्रद्धांजलि

आठ व नौ मार्च को पुन्य तिथि पर होंगे नाटक मंचित, गत वर्ष १८ फरवरी को  हुआ था पांडे का निधन
नैनीताल (एसएनबी)। दिवंगत बालीवुड-हालीवुड सिने स्टार निर्मल पांडे को नाटकों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाएगी। नगर के शैले हाल में आठ मार्च से दो दिवसीय नाटकों का मंचन किया जाएगा। पांडे गत वर्ष 18 फरवरी को काल के क्रूर हाथों में समा गए थे। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी, जो कि इस वर्ष आठ मार्च को है। 
स्वर्गीय निर्मल पांडे के बड़े भाई मिथिलेश पांडे ने बताया कि आठ मार्च को नगर के शैले हॉल में निर्मल के वरिष्ठ एनएसडी स्नातक सिने कलाकार आलोक चटर्जी नाटक की अनूठी एकल प्रस्तुति देंगे। इस मौके पर मुंबई से निर्मल के साथी निर्देशक अनिल दुबे सहित कई बड़े कलाकारों के भी नैनीताल आने की संभावना है। इसी दिन अल्मोड़ा की दिशा कार्यशाला द्वारा कुमाऊंनी नाटक ‘तीन का्थ’ का भी प्रदर्शन किया जाएगा। अगले दिन युवा निर्देशक रितेश सागर के हालिया प्रदर्शित नाटक ‘लहरों के राजहंस’ एवं युगमंच के एक छोटे नाटक का भी मंचन किया जाएगा। अन्य कार्यक्रम भी होंगे। निर्मल पांडे ने कुछ ही समय में कला जगत में अपनी अलग पहचान बनाई। अभिनय के मामले में उनका लोहा माना जाता था।
फिल्म संस्थान बनाने का था सपना
नैनीताल। निर्मल पाण्डेय को फिल्म ‘दायरा’ में अविस्मरणीय किरदार निभाने पर फ्रांस का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री जैसा अनूठा पुरस्कार मिला था। यहां उनके द्वारा निर्देशित ‘जिन लाहौर नहीं वेख्या’ का मंचन आज भी उनके ही निर्देशन अनुसार होता है। ‘अंधा युग’ भी उनकी उल्लेखनीय प्रस्तुति थी। इधर बैंडिट क्वीन, इस रात की सुबह नहीं, दायरा, गॉड मदर, वन टू का फोर व ट्रेन टू पाकिस्तान सरीखी दो दर्जन से अधिक फिल्मों से स्वयं को स्थापित कर चुके निर्मल पहाड़ की ओर रुख करते हुए यहां फिल्म संस्थान बनाने की योजना बना रहे थे। बड़े भाई मिथिलेश पांडे के अनुसार उन्होंने रानीखेत में इसके लिए भूमि भी तलाश ली थी, किंतु काल के क्रूर हाथों ने उन्हें अचानक व असमय इस स्वप्न को पूरा करने से पूर्व ही छीन लिया। 

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सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

प्रेमियों पर रहा शिवसैनिकों का पहरा

नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में शिव सैनिकों के एकांत में प्रेमालाप करने वाले प्रेमियों का विवाह कराने की चेतावनी का प्रेमियों पर जबर्दस्त असर रहा। फलस्वरूप नगर के पिकनिक स्थलों, झुरमुटों, होटल- रेस्तरां आदि में कहीं भी कड़ी पड़ताल के बावजूद युवा प्रेमालाप करते नहीं मिले। अलबत्ता बाहर से आए व नगर के विवाहित युगलों ने नगर में प्रेम के इस पर्व का जमकर लुत्फ उठाया। 
सोमवार को वेलेंटाइन डे के मौके पर शिव सैनिकों ने प्रदेश महामंत्री भूपाल सिंह कार्की के नेतृत्व में सूखाताल केव गार्डन से गुपचुप प्रेमालाप करने वालों के विरुद्ध अभियान शुरू किया। मोटरसाइकिलों पर निकले शिव सैनिकों ने लवर्स प्वाइंट, लेंड्स इंड से होते हुए तल्लीताल- हनुमानगढ़ी तक प्रेम के ‘अवांछित तत्वों’ के खिलाफ अभियान चलाया। कार्की ने बताया कि इस दौरान शालीनता से अपने साथियों के साथ मिले युगलों को परेशान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सेना प्रेम नहीं वरन प्रेम को पश्चिमी संस्कृति के वशीभूत मजाक समझने वालों के खिलाफ है। इधर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने जिला सह संयोजक प्रदीप बोरा के नेतृत्व में डीएसए मैदान से रैली निकाली और तल्लीताल गांधी चौक पर वेलेंटाइन का पुतला फूंका। बोरा ने कहा कि उनका कार्यक्रम भारतीय संस्कृति को बचाने और पश्चिमी संस्कृति के विरोध में था। प्रदर्शन-पुतला दहन में मनीश साह, विजय राजन मान, आशु मान, चेतन, सुमित, दया पोखरिया, दिव्यंत साह, नीरज डालाकोटी, धीरेंद्र शर्मा, सुमित कुमार, संजय मेहरा, राम सिंह गोसांई, पूरन सनवाल आदि शामिल थे।

ठंड में चढ़ा प्यार का बुखार
नैनीताल। सोमवार को वेलेंटाइन डे के मौके पर मौसम के गियर बदलने से जहां आम जन त्रस्त था, वहीं प्रेमी युगल प्रसन्न नजर आए। नगर में हल्की बारिश व ओलावृष्टि के साथ लौटी गुलाबी ठंड में प्रेमियों ने जमकर प्रेमालाप किया। दिल्ली से आए रवि व सोनम का कहना था कि नैनीताल में मनमाफिक मौसम में उनका वेलेंटाइन डे अविस्मरणीय बन गया।