गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

नैनीताल में भारी बारिश,ओले गिरे


नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में बीते तीन दिनों से मौसम की आंख-मिचौली के क्रम में बृहस्पतिवार को मूसलाधार बारिश हुई, इससे नगर में अपराह्न में जनजीवन बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया। बरसात के दिनों के बाद से पहली बार नाले उफना आये। माल रोड पर सीवर लाइन भी उफनने लगी, जिससे टनों सीवर की गंदगी और नालों के माध्यम से मलवा झील में पहुंच गया। बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई। बेमौसम आई बारिश व ओलावृष्टि से नगर में पारा भी लुड़क गया। नगर में बृहस्पतिवार को हालांकि सुबह की शुरूआत अच्छी धूप से हुई, लेकिन दिन चढ़ने के साथ बादलों ने आसमान में डेरा डाल दिया। अपराह्न ढाई बजे के करीब से पहले हल्की बूंदा शुरू हुई और फिर बारिश तेज होती चली गई। देर शाम तक मूसलाधार बारिश हुई, इससे कई घंटों नगर की बिजली भी गुल रही 

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

नैनीताल में सैलानी हो गए सीएम डा. निशंक



देर रात्रि माल रोड पर टहलने निकले निशंक, नैनी झील के घटते जल स्तर पर जताई चिंता, स्थानीय लोगों से पूछीं समस्याएं
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शुक्रवार को नैनीताल में रात्रि विश्राम का उपयोग सैलानी के रूप में किया। देर रात वह कुछ पार्टी नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के साथ माल रोड की सैर पर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने नगरवासियों, दुकानदारों, होटल-रेस्टोरेंट स्वामियों के साथ सैलानियों से बात कर नगर में पर्यटन की वर्तमान स्थिति और संभावनाओं पर 'फीड बैक' ली। अंधेरा होने के बावजूद सीएम की नजरों में नैनी झील का घटता जलस्तर आ गया, उन्होंने डीएम से इस हेतु कार्ययोजना बनाने को कहा। डा. निशंक तल्लीताल नाव घाट पर झील के करीब आए और घटते जलस्तर पर चिंता जताई। डीएम शैलेश बगौली ने बताया कि गत वर्ष से झील का जलस्तर करीब दो फीट गिरा है। जलस्तर गिरने की यह दर दर गत दो-तीन वर्षो जैसी ही है। नैनी झील में प्रमुख जल संग्रहण क्षेत्र सूखाताल को दीर्घकालीन लाभ के लिए वषर्भर भरी रहने वाली झील में तब्दील करने के प्रयास चल रहे हैं, वहीं झील को जलस्तर और गिरने पर झील से हो रही वाल्व आदि से किसी भी प्रकार की लीकेज को रोकने के कार्य किए जाएंगे। सीएम का कहना था कि नैनी झील के संरक्षण के लिए सरकार पूरी मदद करेगी, डीएम कार्ययोजना बनाएं। इस दौरान अधिकांश सैलानियों ने नगर को अन्य पर्यटन स्थलों के मुकाबले अधिक साफ- स्वच्छ बताया, जिस पर सीएम ने संतोष जताया। सीएम के दौरे को लेकर लोगों में काफी उत्साह था। लोगों को उम्मीद थी कि डा. निशंक सरोवरनगरी की समस्याओं के समाधान के लिए घोषणाएं अवश्य करेंगे। विकास यात्रा और आसन्न चुनावों के मद्देनजर लोगों की आशाएं ठीक ही थीं। लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की, और सैर-सपाटा ही किया।  सीएम के नगर भ्रमण में भाजपा जिलाध्यक्ष भुवन हरबोला, रईस अहमद, कुंदन बिष्ट, संतोष साह सहित कई भाजपा नेता एवं मल्लीताल कोतवाल भूपेंद्र सिंह धौनी आदि लोग शामिल थे।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

52 करोड़ से स्थापित होगा भीमताल कैम्पस


कुमाऊं विवि ने शासन को भेजा प्रस्ताव पांच किमी दायरे में स्थापित होगा नया परिसर कई रोजगारपरक संकायों के अलावा स्टेडियम और आडिटोरियम बनाने का प्रस्ताव शामिल

नवीन जोशी, नैनीताल। गत वर्ष की गई मुख्यमंत्री की घोषणा पर कुमाऊं विवि का भीमताल में तीसरा परिसर 52.1 करोड़ रुपये से स्थापित होगा। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के पत्र के प्रत्युत्तर में कुमाऊं विवि ने शुक्रवार को शासन को इस हेतु अपना प्रस्ताव भेज दिया है। नया परिसर भीमताल के औद्योगिक क्षेत्र, सौनगांव व आड़ूगांव में पांच किमी के दायरे में स्थापित होगा। कुमाऊं विवि की मंशा भीमताल के प्रस्तावित परिसर को रोजगारपरक पाठय़क्रमों का हब बनाने की। यहां ला फैकल्टी, जियो इंफाम्रेटिक्स, पर्यटन व पत्रकारिता जैसे नए पाठय़क्रम शुरू किए जाएंगे, जबकि एमबीए व बायोटैक्नालॉजी जैसे विभाग पहले ही यहां चल रहे हैं। यहां स्टेडियम, ऑडिटोरियम और जिम्नेजियम बनाने के प्रस्ताव भी किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने गत वर्ष आठ जनवरी 2010 को भीमताल में कुमाऊं विवि के बायोटैक्नोलाजी विभाग के शुभारंभ पर भीमताल में नया परिसर स्थापित करने की घोषणा की थी। इसकी फाइल अब चल पड़ी है, और चुनावी वर्ष होने के कारण परिसर के अतिशीघ्र स्थापित होने की उम्मीद लगाई जा रही है। इसका अंदाजा इससे भी लगता है कि प्रमुख सचिव ने कुविवि को तीन दिन के भीतर नए परिसर का औचित्यपूर्ण प्रस्ताव अपनी संस्तुति के साथ भेजने को कहा था, जिस पर विवि के कुलपति प्रो.वीपीएस अरोड़ा ने अपनी प्रबल संस्तुति सहित प्रस्ताव शुक्रवार को शासन को भेज दिया है। प्रस्ताव में भीमताल औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी फैक्ट्रियों की अधिकाधिक भूमि अधिग्रहण करने को कहा है। इस हेतु 20 करोड़ रुपये मांगे गये हैं। इसके अतिरिक्त 27.1 करोड़ रुपये नए परिसर हेतु भूमि, भवन, आडिटोरियम, प्रशासनिक भवन, जिम्नेजियम, फर्नीचर, साज-सज्जा, पुस्तक व जर्नल क्रय, मिनी स्वास्थ्य केंद्र निर्माण आदि के लिए तथा 29 नियमित एवं 10 संविदा पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के वेतन पर पांच वर्ष के खच्रे हेतु चार करोड़ रुपए व आकस्मिक व्यय हेतु एक करोड़ रुपये की आवश्यकता जताई गई है। कुलपति प्रो. अरोड़ा ने बताया कि हल्द्वानी महाविद्यालय व नैनीताल परिसर में क्षमता पूरी तरह भर जाने व आगे प्रसार की संभावनाओं को देखते हुऐ नए परिसर की मांग की गई थी, जो अब पूरी होने को है। उन्होंने कहा कि नये परिसर को रोजगारपरक पाठय़क्रमों का केंद्र बनाने की योजना है। भीमताल परिसर सुविधायुक्त होगा।
औद्योगिक क्षेत्र मिलने पर संशय
नैनीताल। कुमाऊं विवि ने हालांकि विवि में नए परिसर के लिए भीमताल के औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी इकाइयों को अधिग्रहित कर दिए जाने की मांग की है, लेकिन ऐसा जल्द संभव प्रतीत नहीं होता। कारण यह कि औद्योगिक क्षेत्र अभी भी पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश के यूपीएसआईडीसी से राज्य की सुपुर्दगी में ही नहीं आया है। दूसरे बाद में औद्योगिक भूमि का 'लैंड यूज' बदलने में भी समस्याएं आ सकती हैं।

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

कड़ी परीक्षा लेगा कैलाश मानसरोवर का सफर



यात्रा मार्ग की लम्बाई 36 किलोमीटर बढ़ी एक अतिरिक्त यात्रा पड़ाव और यात्रावधि में दो दिन का इजाफा, कुमंविनि भी बढ़ा चुका है किराया
नवीन जोशी, नैनीताल।लगता है कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की भोले बाबा इस बार कड़ी परीक्षा ले रहे हैं। यात्रा में पैदल दूरी के 36 किमी बढ़ जाने और एक अतिरिक्त यात्रा पड़ाव और यात्रा अवधि दो दिन बढ़ने के बाद गत दिनों यात्रा के भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगत द्वारा प्रति व्यक्ति यात्रा किराया 24,500 से बढ़ाकर 27 हजार रुपये कर दिया गया है। अब चीन सरकार ने किराया बढ़ाकर यात्रियों के लिए और संकट पैदा कर दिया है। 
उल्लेखनीय है कि मांगती से गाला के बीच के मार्ग पर निर्माण के कारण केएमवीएन को इस बार यात्रा मार्ग बदलना पड़ा है। इस कारण यात्रा अपने प्राचीन मार्ग पर लौटी है, लेकिन साथ ही नया यात्रा पड़ाव सिरखा बनने से पैदल यात्रा 36 किमी लंबी हो गई है। यात्रा की अवधि भी दो दिन बढ़ गई है। चीन व भारत के यात्रा किराया बढ़ाने से व्यय भार बढ़ गया है। बीते वर्ष में डालर की भारतीय मुद्रा के मुकाबले कीमत बढ़ने का असर भी यात्रा के खच्रे पर पड़ना तय है। बीते एक वर्ष में डालर की कीमत सात से आठ रुपये तक बढ़ी है, इस प्रकार किराये में निगम द्वारा की गई ढाई हजार रुपये की वृद्धि तथा चीन सरकार द्वारा की गई 50 डालर की वृद्धि से भारतीय यात्रियों की जेब पर करीब 10 हजार रुपये का अतिरिक्त भार पड़ने जा रहा है। 

चीन ने बढ़ाया कैलाश मानसरोवर यात्रा का किराया
नैनीताल (एसएनबी)। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को इस बार अधिक रकम चुकानी होगी। कुमाऊं मंडल विकास निगम के बाद चीन सरकार ने भी यात्रा का किराया प्रति यात्री 50 डालर बढ़ा दिया है। इस प्रकार यात्रियों को चीन सरकार को 700 डालर की बजाय 750 डालर चुकाने होंगे। चीन सरकार की मंशा किराया 850 डालर करने की थी। गत दिवस भारत एवं चीन के प्रतिनिधिमंडल की दिल्ली में हुई वार्ता एवं भारत द्वारा यात्रा के दौरान चीन में भारतीयों को खान- पान और शौचालय संबंधी समस्याओं की पैरवी करने के बाद चीन को 750 डालर प्रति यात्री किराया रखने पर सहमत होना पड़ा। केएमवीएन के मंडलीय प्रबंधक-पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि चीन के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने यात्रा के दौरान भारतीय यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का भी वादा किया है।

यात्रा के लिए चुने गए 960 लोग
नैनीताल। महंगाई, किराया, पैदल यात्रा की दूरी और यात्रा अवधि बढ़ने के बावजूद भोले के धाम के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। इस वर्ष यात्रा के लिए करीब 2300 लोगों ने आवेदन किया था। छंटनी में इनमें से 1778 आवेदन सही पाए गए। बुधवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इनमें से 960 आवेदनों को 'रेंडम' तरीके से चुनकर उन भाग्यशालियों की सूची में शामिल कर लिया है, जिन्हें इस वर्ष यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा। केएमवीएन के मंडलीय प्रबंधक-पर्यटन डीके शर्मा ने बुधवार को 'राष्ट्रीय सहारा' को बताया कि आज ही दिल्ली में साउथ ब्लॉक स्थित विदेश विभाग के कार्यालय में विदेश मंत्री श्री कृष्णा ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले 960 भाग्यशाली श्रद्धालुओं का चयन किया। यात्री एक जून से प्रारंभ हो रही यात्रा के 16 दलों में शामिल होंगे। इनके अतिरिक्त प्रति दल 45 श्रद्धालुओं को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। साथ ही तय हो गया है कि यात्रा के प्रत्येक दल में 60 यात्री शामिल होंगे। पहला दल एक जून को अल्मोड़ा पहुंच जाएगा। अगले दिन यह दल धारचूला होते हुए पांगू में रात्रि विश्राम करेगा। आगे 13 किमी की पैदल यात्रा कर अगले दिन नारायण आश्रम होते हुए सिरखा, सिरखा से 14 किमी पैदल चलकर गाला, गाला से 21 किमी चल कर बूंदी, बूंदी से नौ किमी चलकर कालापानी, पुन: अगले दिन नौ किमी चलकर नाभीढांग, फिर नौ किमी चलकर लिपुपास तथा अगले दिन तीन किमी चलकर चीन सीमा में प्रवेश करेगा। निगम के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार एवं अध्यक्ष सुरेंद्र जीना ने निगम को यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार व यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं देने के लिए संकल्पबद्ध बताया है। बताया कि नए शिविर सिरखा में युद्धस्तर से तैयारियां की जा रही हैं।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

जलजलों से सुरक्षित नहीं पहाड़


वैज्ञानिकों ने कहा कि फिलहाल भूकंप से डरने की जरूरत नहीं मगर रहें सावधान
नवीन जोशी नैनीताल। भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी के पार आए भूकंप के झटके से कई आशंकाओं को बल मिला है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदेशवासियों को भूकंप के ताजा झटकों के मद्देनजर फिलहाल डरने की  जरूरत नहीं है, मगर उत्तराखंड में इस भूगर्भीय खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रदेश से गुजरने वाले दो प्रमुख भ्रंशों 'मेन सेंट्रल थ्रस्ट' व 'नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट' की भूगर्भीय हलचल खतरे की ओर इशारा कर रही है। 
हिमालय उत्तरी सिरे पर एशियाई और तिब्बती भूगर्भीय के प्लेटों के बीच टकराव हो रहा है। एशियाई प्लेट प्रतिवर्ष 30 से 40 मिमी की दर से तिब्बती प्लेट में समा रही है। इससे भारी ऊर्जा एकत्र हो रही है। उत्तराखंड में तीन बड़े भूगर्भीय भ्रंश थ्रस्ट मेन सेंट्रल थ्रस्ट यानी एमसीटी, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट यानी एनएटी और मेन बाउंड्री थ्रस्ट यानी एमबीटी मौजूद हैं। इनमें पृथ्वी के भीतर उत्पन्न ऊर्जा के कारण हलचल होती है। एमसीटी अरुणांचल और नेपाल से होता हुआ प्रदेश के धारचूला और मुनस्यारी से कपकोट और गढ़वाल में चमोली-उत्तरकाशी तक जाता है। एनएटी पिथौरागढ़ के rameshwar घाट से सेराघाट होता हुआ अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट से निकलता है जबकि एमबीटी चंपावत के चल्थी से नैनीताल, रामनगर होता हुआ हरिद्वार, देहरादून के उत्तर से होता हुआ पंजाब की ओर निकल जाता है। काफी समय से एमसीटी व एनएटी में हलचल जारी है, जबकि एमबीटी कुछ हद तक शांत है। इसी आधार पर उत्तराखंड के हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों को भूकंप के दृष्टिकोण से संवेदनशील जोन चार में तथा शेष जिलों को अति संवेदनशील जोन पांच में रखा गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि छोटे बड़े भूकंपों से पुन: जल्द बड़े भूकंपों के आने की संभावना कम तो होती है, पर खत्म नहीं होती।


भूकंपमापी केंद्र अगले महीने तक
नैनीताल। मालूम हो कि कुमाऊं मंडल के विभिन्न केंद्रों से जुड़ा मुख्यालय स्थित भूकंप मापी केंद्र करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बिजली गिरने से खराब हो गया था। इसके स्थान पर अब भारत सरकार का पृथ्वी विज्ञान विभाग एक करोड़ रुपये लागत का नया भूकंप मापी केंद्र लगने जा रहा है। प्रस्तावित केंद्र के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि इसके उपकरण दिल्ली पहुंच चुके हैं। अगले माह तक इसके नगर में स्थापित होने की उम्मीद है।

रविवार, 3 अप्रैल 2011

अधिक बारिश के बावजूद घट रहा झील का जलस्तर


विभाग के अनुसार बीते वर्षों जैसा ही है जलस्तर घटने का 'ट्रेंड'
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी का हृदय कही जाने वाली नैनी झील में जल का स्तर गत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष अधिक बारिश होने के बावजूद लगातार घटता जा रहा है, फलस्वरूप अप्रैल माह के शुरू में ही झील के किनारे कई स्थानों पर डेल्टा बनने की शुरूआत होने लगी है। 
आंकड़ों से ही सीधे बात शुरू करें तो आज की तिथि यानी दो अप्रैल तक नगर में जनवरी माह से 140.71 मिमी वष्रा हुई, और झील का जलस्तर 3.15 फीट है जबकि दो अप्रैल 10 तक बारिश 53.34 मिमी ही होने के बावजूद जलस्तर 4.75 फीट था। इसी तरह वर्ष 09 में बारिश 46.23 मिमी होने के बावजूद जलस्तर 5.44 फिट और 08 में मात्र 31.75 मिमी बारिश के बावजूद झील 6.4 फिट तक भरी थी लेकिन इससे इतर बीते तीन वर्षों में इस अवधि के एक सप्ताह के आंकड़ों के आधार पर ही लोनिवि के अभियंता डीसी बिष्ट का कहना है कि बीते वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी प्रतिदिन 0.5 इंच की गति से झील का जलस्तर लगातार गिर रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में अप्रैल में झील का जलस्तर 3.3 फीट, 78 में 2.95 फीट, 80 में मात्र 1.5 फिट, 85 में 2.5 फिट जितना कम रहा है, जबकि अगले दशक के 1990 में 9.48 फिट, 91 में 9.05 फिट भी रहा है। इधर वर्ष 2003 में भी झील का जलस्तर 8.7 फिट था। झील के घटते जलस्तर को उस वर्ष हुई बर्फबारी से भी जोड़ा जाता है, लंबी अवधि में झील के जलस्तर के घटने-बढ़ने को कुछ लोग सामान्य प्रक्रिया भी मानते हैं, हालांकि इस बात पर सभी एकमत हैं कि नगर में साल दर साल पानी का बढ़ता खर्च झील के जलस्तर को घटाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। खासकर इस वर्ष बरसात के बाद से बलियानाले में लगातार हो रहे पानी के रिसाव को इस वर्ष जलस्तर घटने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
इसे यहाँ और यहाँ  पेज 10 पर भी देख सकते हैं।

गुरुवार, 24 मार्च 2011

बेपरदा हो जाएंगे चांद-सितारों के राज


एरीज भी करेगा दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर की दूरबीन 'टीएमटी' योजना को पूरा करने में सहयोग
नवीन जोशी नैनीताल। वैज्ञानिकों का मानना है कि तारे भी पैदा होते एवं मरते हैं। उनसे मानव एवं अन्य जीवधारियों का जन्म होता है। वह यह भी मानते हैं कि किसी न किसी ग्रह पर एलियन होते हैं। संभावना है कि 2020 तक बैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझा लेंगे। इसके लिए 1.3 बिलियन डालर लागत वाली 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप' प्रशांत महासागर के हवाई द्वीप में एक पर्वत पर 2018 में स्थापित किए जाने की योजना है। यह सौरमंडल और अन्य आकाशगंगाओं का अध्ययन करेगी। अनंत ब्रह्माण्ड के रहस्यों को समझने में मानव अभी प्रारंभिक स्तर पर है। 2001 और 2003 में खगोल विज्ञानियों ने 30 मीटर व्यास की आप्टिकल अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंग दैध्र्य की पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से 10 माइक्रोन तरंग दैध्र्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृश्य) युक्त दूरबीन का ख्वाब देखा गया था। 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप यानि 'टीएमटी' कही जा रही 1.3 बिलियन डालर लागत वाली यह दूरबीन प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप में होनोलूलू के करीब ज्वालामुखी से निर्मित 13,803 फिट (4,207 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2018 में स्थापित किए जाने की योजना है। यह सौरमंडल और अन्य आकाशगंगाओं का अध्ययन करेगी। इस दूरबीन का निर्माण किसी एक देश के बस की बात नहीं है। इसके निर्माण में भारत, अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चीन एवं यूरोप सहित आठ देश सहयोग करेंगे। भारत की ओर से विगत दिनों तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चह्वाण इस महायोजना में भारत के शामिल होने की औपचारिकता पूरी कर चुके हैं। देश के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स (आईसीयूएए) पुणो व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स (आईआईए) बंगलुरु के साथ ही नैनीताल स्थित एरीज की इस महायोजना में प्रमुख भागीदारी होगी। आगे की रणनीति के लिए अगले माह कनाडा में होने जा रही सहयोगी देशों के वैज्ञानिकों की अति महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर एवं वैज्ञानिक डा. अमितेष ओमर सहित भारतीय वैज्ञानिकों का दल कनाडा रवाना हो गया है। एरीज में वैज्ञानिकों में टीएमटी के प्रति खासा रोमांच है। तारों के अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक डा. महेर गोपीनाथन ने उम्मीद जताई कि 2020 तक टीएमटी अनंत ब्रह्माण्ड की अनेक गुत्थियों पर लगातार नजर रखकर इन्हें सुलझाने में मदद करेगी।
अवरक्त किरणों को देखना चुनौती
नैनीताल। बड़ी से बड़ी व्यास की दूरबीन बनाने की कोशिशों का मूल कारण अवरक्त यानि इंफ्रारेड किरणों को न देख पाने की समस्या है। दुनिया में मौजूद दूरबीनें 350 से 750 तरंग दैध्र्य की किरणों तथा ऐसी किरणों उत्सर्जित करने वाले तारों व आकाशगंगाओं को ही देख पाती हैं जबकि इससे अधिक तरंग दैध्र्य की अवरक्त यानी इंफ्रारेड किरणों को देखने के लिए इनके अनुरूप उपकरणों की जरूरत होगी। ऐसी बड़ी दूरबीनें ऐसी प्रकाश व्यवस्था से भी जुड़ी होंगी जो बड़ी तरंग दैध्र्य की अवरक्त किरणों के माध्यम से बिना वायुमंडल और ब्रrांड में विचलित हुए सुदूर अंतरिक्ष के निर्दिष्ट स्थान पर पहुंचकर वहां का हाल बता पाएंगी। एरीज ने जहां नैनीताल के देवस्थल में अभी 1.3 मीटर की दूरबीन लगाई है, वहीं एशिया की सबसे बड़ी बताई जा रही 3.6 मीटर व्यास की स्टेलर दूरबीन भी लगाने जा रहा है। यही नहीं देश में 10 मीटर व्यास की दूरबीन लगाने की कोशिश की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।


एक सी है मानव और तारों के जीवन-मरण की कहानी
नैनीताल। वैदिक मान्यता अनुसार मानव शरीर को पंच महाभूतों धरती, आकाश, अग्नि, हवा व पानी से बना माना जाता है, वहीं वैज्ञानिक इससे भी आगे मानते हैं कि मानव शरीर तारों (उपग्रहों में मौजूद तत्वों) से बना है। एरीज के वैज्ञानिक डा. महेर गोपीनाथन के अनुसार तारों से ही मानव एवं जीवधारियों का निर्माण होता है। हमारे रक्त में मौजूद हीमोग्लोबिन हो या हड्डियों में मौजूद कैल्शियम, सभी तत्व मूलत: तारों में ही बने हैं। यदि प्रकृति ने कोई आंख मिचौली न दिखाई तो टीएमटी से तारों के साथ ही जीवधारियों के जीवन-मरण की गुत्थी को भी और बेहतरी से समझा जा सकेगा।

रविवार, 20 मार्च 2011

जापानी परमाणु विकीरण के खतरे से अछूता नहीं भारत

बारिश हुई तो भारत पर पद सकती है विकीरण की मार 
पश्चिमी विक्षोभ की अति सक्रियता बढ़ा रही हा खतरा 

गुरुवार, 17 मार्च 2011

गांधी दर्शन को पुनर्स्थापित करेगा कुमाऊं विवि

गांधी भवन स्थापित होगा, गांधी अध्ययन केंद्र करेगा अनुसूचित वर्ग के कल्याणार्थ कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। "राष्ट्रपिता गांधी पर बातें तो बहुत होती रही हैं, परंतु उनके विचार कार्य रूप में परिणित नहीं होते" व "हिमालय से ही फिर नयी गंगा निकलनी चाहिए" यह वह दो सवाल थे, जो मुख्यालय में चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बार-बार उठे और इनका जवाब कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. वीपीएस अरोड़ा ने "कुमाऊं विवि गांधी जी के दर्शन को पुनर्स्थापित करेगा" की घोषणा से दिया। 
उन्होंने घोषणा की कि कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में 2011-12 के शैक्षिक सत्र से गांधी दर्शन पर स्नातकोत्तर पाठय़क्रम प्रारंभ होगा। खुलासा किया कि यह पाठय़क्रम किसी भी अन्य पाठय़क्रम से भिन्न होगा। यह किसी विभाग के अधीन नहीं होगा, साथ ही इसमें विद्यार्थियों के लिए कोई बाहरी परीक्षा नहीं होगी। विद्यार्थियों का आकलन पूरी तरह पाठय़क्रम पढ़ाने वाले शिक्षक ही करेंगे। इस पाठय़क्रम के संयोजन की जिम्मेदारी कुलपति ने कुलसचिव कमल किशोर पांडे को सौंपी गई है। उनसे एक माह के भीतर इस के लिए पाठय़क्रम का प्रारूप तैयार करने को कहा गया है। साथ ही पाठय़क्रम के लिए स्वैच्छिक आधार पर शिक्षकों से आगे आने को कहा गया, जिसमें कई शिक्षकों ने स्वयं को इस के लिए प्रस्तुत भी कर दिया। कुलपति ने साफ किया कि इस पाठय़क्रम से जुड़ने वाले शिक्षकों को स्वयं के आचरण में भी गांधी दर्शन को आत्मसात करना होगा। उसे मांस-मदिरा जैसे व्यसन भी छोड़ने होंगे। इसके साथ ही उन्होंने विवि में गांधी भवन की स्थापना करने की घोषणा भी की तथा कार्यशाला में आए गांधीवादी विचारकों श्री बसंत, राधा बहन, एनपी मोदी व डा. एडी मिश्रा आदि से सहयोग की अपेक्षा की। इसके अलावा कुलपति ने विवि के गांधी अध्ययन केंद्र को गांधी जी के प्रिय पिछड़ा वर्ग के उद्धार की भावना के अनुरूप हर माह यानी वर्ष में 12 अनुसूचित बाहुल्य गांवों में परिवारों के कल्याणार्थ धरातल पर कार्य करने व इसकी सफलता की कहानी प्रकाशित करने को कहा। ऐसे लाभान्वित परिवारों के प्रतिनिधियों को हर वर्ष आयोजित होने वाली कार्यशाला में प्रतिभाग कराया जाएगा। साथ ही केंद्र इस वर्ग के लोगों की दक्षता वृद्धि का कार्य भी करेगा। कुलसचिव श्री पांडे ने केंद्र के माध्यम से महात्मा गांधी को अब तक प्राप्त न हो पाए नोबल पुरस्कार के लिए भी प्रयास करने की बात कही है। इससे पूर्व कार्यशाला में आए गांधीवादियों ने कुमाऊं विवि से गांधी दर्शन व विचार पर पाठय़क्रम शुरू किये जाने की मांग उठाई।
गांधी मॉडल न अपनाने का झेल रहे परिणाम : राधा बहन
नैनीताल। गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष तथा गांधी जी की शिष्या रही सरला बहन के कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम की संचालिका व जमना लाल बजाज पुरस्कार विजेता राधा भट्ट (राधा बहन) का मानना है कि गांधी जी यदि जिंदा होते तो आज देश में वर्तमान जैसे भ्रष्टाचार युक्त हालात न होते, साथ ही देश आज से भी अधिक तरक्की कर बुलंदी पर होता। बृहस्पतिवार को मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय सहारा से बातचीत करते हुए उनका कहना था कि देश की आजादी के बाद की शुरूआती सरकारों ने गांधीजी के एवं देश के हजारों वर्ष से जिये मॉडल की बजाय पहले पूंजीवाद और फिर रूस के समाजवाद के मॉडल को लागू किया लेकिन रूस के विघटन के बाद समाजवाद का मॉडल छोड़क र वापस अमेरिका के पूंजीवाद के मॉडल पर चले गए। इसका परिणाम यह हुआ कि गांधी जी के सपनों का स्वराज तो मिला पर सुराज नहीं। उनका कहना था कि गांधी जी पहले ‘सत्य की खोज’ करते हुए विचारों को स्वयं जीकर आगे बढ़ने की गुंजाइश भी छोड़ते थे।