मंगलवार, 18 जनवरी 2011
चावला की वापसी से पुख्ता हुआ नैनीताल का टोटका
नवीन जोशी, नैनीताल। जुलाई 2008 से टीम इंडिया से बाहर चल रहे क्रिकेटर पीयूष चावला के वि कप टीम में चयन पर जहां खेल प्रेमियों के साथ ही मीडिया के एक वर्ग में भी जहां आश्चर्य प्रकट किया जा रहा है। वहीं नैनीताल के खेल प्रेमी इसे चावला के नगर के फ्लैट मैदान पर खेलने और नगर की आराध्य नैना देवी का आशीर्वाद मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पीयूष जिस दिन नैनीताल में खेले थे, ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने उसी दिन यह संभावना जता दी थी कि पीयूष नैनीताल में खेलने के बाद टीम इंडिया में वापसी कर सकते हैं, लेकिन वह खिलाड़ियों के लिए स्वप्न सरीखे वि कप के लिए भी टीम इंडिया का हिस्सा बन गए हैं, इससे नैनीताल का टोटका एक बार फिर साबित होने के साथ पुख्ता हो गया है।
उल्लेखनीय है कि चावला बीती 10 दिसम्बर को नैनीताल के फ्लैट मैदान में खेले और इसके 12 दिन के अंतराल में ही ढाई वर्ष बाद वह दक्षिण अफ्रीका में एक दिवसीय मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में स्थान बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने में सफल रहे। यह अलग बात है कि चावला को अभी तक इस प्रतियोगिता के अंतर्गत खेले गए दोनों मैचों में अपने प्रदर्शन का मौका नहीं मिला, बावजूद उन्हें वि कप खेलने वाली भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया है। खेल जानकारों के साथ ही कुछ मीडिया रिपोटरे में उनके तथा आर अिन के चयन पर आश्चर्य प्रकट किया गया है, जिस पर नगर के खेल प्रेमियों में हैरानी है। खेल विशेषज्ञ व ख्यातिलब्ध कमेंटेटर हेमंत बिष्ट ने इस संयोग पर हर्ष जताते हुए नगर के साथ इस संयोग के जुड़े रहने की कामना की। नैनीताल जिमखाना एवं जिला क्रीड़ा संघ के महासचिव गंगा प्रसाद साह, क्रिकेट सचिव श्रीष लाल साह जगाती, क्रिकेटर अजय साह, डा. मनोज बिष्ट व विनय चौहान आदि खेल प्रेमियों ने भी पीयूष की वि कप में टीम इंडिया में शामिल होने की सफलता पर नैनीताल नगर की भूमिका रहने पर खुशी जताई है और इसे नगर का सम्मान बताया है।
पूर्व में प्रकाशित खबर
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बुधवार, 12 जनवरी 2011
काकड़ीघाट (नैनीताल) में मिला था नरेद्र को राजर्षि विवेकानंद बनाने का आत्मज्ञान
यहाँ हुए थे ‘नरेंद्र’ को अणु में ब्रह्मांड के दर्शन
विवेकानंद सर्किट बनाएं |
नैनीताल। स्वामी विवेकानंद के देवभूमि में कुमाऊं प्रवास स्थलों को जोड़कर पर्यटन सर्किट बनाने की मांग सालों से की जा रही है। इस पर अमल नहीं हो सका है। इस सर्किट में नैनीताल से काकड़ीघाट, करबला, अल्मोड़ा और चंपावत के मायावती आश्रम को जोड़े जाने की मांग की जा रही है। 'यह युग परिवर्तन की भविष्यवाणी के सच होने का समय तो नहीं ?' भी पढ़ें: http://newideass.blogspot.com/2010/12/blog-post.हटमल (फोटो पर डबल क्लिक करके समाचार पत्र के स्वरुप में अन्यथा अनुवाद कर दुनियां की अन्य भाषाओं में भी पढ़ सकते हैं.) |
मंगलवार, 11 जनवरी 2011
नैनीताल के पास 3500 वर्ष पुरानी गुफा
पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर सरोवरनगरी से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हाथीखाल क्षेत्र में अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1900 में बसाए गए बाना गांव के पास कुदरत की एक और नियामत का पता चला है। एक घुमक्कड़ की नजरों में आई अद्भुत गुफा को देख वैज्ञानिक भी दंग हैं। चार मीटर लम्बी और दो मीटर चौड़ी गुफा में ढे़ड दर्जन से अधिक शिव लिंग हैं। हैरत वाली बात यह है कि आम तौर पर प्राकृतिक रूप से मिलने वाले शिवलिंग लाइम स्टोन पर बने होते हैं लेकिन इस गुफा में सैंड स्टोन पर बने हुए हैं।
नैनीताल का निकटवर्ती बाना गांव अचानक ही चर्चाओं में आ गया है। वजह अदुभुत गुफा का मिलना। इस स्थान को बल्दियाखान से करीब तीन और हल्द्वानी के फतेहपुर से करीब एक घंटे पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है. एक स्थानीय घुमक्कड़ दीपक बिष्ट की नजर सबसे पहले साल और बांज के घने जंगलों से घिरी इस गुफा पर पड़ी। उसने वैज्ञानिकों को इसकी जानकारी दी। यूजीसी के वैज्ञानिक व हजारों वर्षों के दीर्घकालीन मौसम पर शोधरत डा.बीएस कोटलिया ने गुफा का मुआयना कर पाया कि गुफा 3,500 से 4,000 वर्ष पुरानी हो सकती है। उनका कहना है कि गुफाओं में प्राकृतिक रूप से शिव लिंग चूने के पत्थर पर बनते हैं मगर इस गुफा का भीतरी आवरण बालू की चट्टानों से निर्मित है, बालू एवं चूने की चट्टानों का यह मिश्रण भू-विज्ञान की दृष्टि से बेहद आश्चर्यजनक संयोग है। ऐसा हो सकता है कि गुफा के भीतर जिस पानी से शिव लिंग बने हैं वह पानी केल्सियम कार्बोनेट युक्त हो। डा.कोटलिया ऐसी गुफाओं की ऐसी शिव लिंग नुमा आकृतियों से ही दीर्घकालीन मौसम पर शोध करते हैं. बताया जाता है कि एक वर्ष में एक चालला बनता है लिहाजा छल्लों की संख्या गुफा की आयु बता देती है । शिव लिंग बनने के लिए पानी जिम्मेदार होता है। पानी के अधिक या कम होने की दशा में शिव लिंग की बनावट पर भी प्रभाव पड़ता है। इन तमाम अध्ययनों के बाद जलवायु में हुए परिवर्तन के विषय में जाना जा सकता है। गुफा में करीब एक दर्जन शिवलिंग हैं, तथा देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी उभरी हैं। गुफा के आसपास काफी मात्रा में गंधक भी मौजूद है, जिससे क्षेत्र से भू गर्भीय भ्रंश गुजरने की पुष्टि भी होती है।
रानीखेत-बिनसर बनेगा पर्यटन सर्किट
कुमाऊं मंडल विकास निगम की बोर्ड बैठक में हुआ निर्णय |
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल में पर्यटन गतिविधियों का मुख्य संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम मंडल में रानीखेत, भतरोंजखान व बिन्सर महादेव को जोड़कर नया पर्यटन सर्किट निर्मित करेगा। साथ ही निगम स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए एक दर्जन से अधिक टीआरसी को पीपीपी मोड में देगा। मंगलवार को सूखाताल टीआरसी में नये प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार एवं जीएम दीप्ति सिंह का निगम में स्वागत करने के साथ शुरू हुई बैठक में यह निर्णय लिए गए। इसके साथ ही उपाध्यक्ष रवि मोहन अग्रवाल के प्रस्ताव पर जागनाथ-बागनाथ-बैजनाथ तथा हाट कालिका व पाताल भुवनेर को जोड़ते हुए तथा उपाध्यक्ष माधवानंद जोशी के प्रस्ताव पर एबट माउंटदे वीधूरा-मायावती आश्रम के अन्य सर्किट प्रस्तावों को भी स्वीकार कर लिया गया। अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जीना के घाटे में चल रहे 14 टीआरसी एवं खनन पट्टों को पीपीपी मोड में देने के प्रस्ताव धरोहर राशि बढ़ाने की शर्त पर स्वीकार किए गए। निगम को दैवीय आपदा से हुए 3.5 करोड़ के नुकसान की भरपाई के लिए सीएम से अनुरोध करने, मुख्यालय में कर्मचारियों के कार्य विभाजन के प्रस्तावों को भी अनुमोदन दे दिया गया। बैठक में उपाध्यक्ष रवि मोहन अग्रवाल व माधवानंद जोशी, निदेशक वेद ठुकराल, ठाकुर विश्वास, सुधीर मठपाल, विनोद पांडे व ज्ञान वंसल, मंडलीय प्रबंधक डीके शर्मा, कंपनी सचिव अनिल आर्य, अमिता जोशी, टीएस बोरा व एलडी जोशी सहित कई अधिकारी मौजूद थे। (फोटो पर डबल क्लिक करके समाचार पत्र के स्वरुप में अन्यथा अनुवाद कर दुनियां की अन्य भाषाओं में भी पढ़ सकते हैं.) |
सोमवार, 10 जनवरी 2011
रविवार, 9 जनवरी 2011
शनिवार, 8 जनवरी 2011
शुक्रवार, 7 जनवरी 2011
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