बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

’लू' ज चैप‘ ने कहा ’हैप्पी बर्थ डे बिग बी‘


कभी नैनीताल के शेरवुड में पढ़ाई के दौरान फिल्म देखने से रोका, और भागे अमिताभ की मदद की थी दुर्गा दत्त ने 
अपने ब्लॉग में इस घटना का उल्लेख किया अमिताभ बच्चन ने
नवीन जोशी नैनीताल। 70 के दशक में फिल्में देखने के शौकीन बालक अमिताभ को शेरवुड कालेज के एक कर्मचारी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, तब अमिताभ उस शख्स को देखकर साथियों से फुसफुसाये थे, ‘लू’ज चैप’ यानी विद्यालय के प्रधानाचार्य रैवरन लेनिन का चपरासी। आज अमिताभ को उनके 70वें जन्मदिन पर उसी ‘लू’ज चैप’ ने नैनीताल से जन्म दिन की बधाई भिजवाई है, ‘हैप्पी बर्थ डे बिग बी’। यह बधाई यदि अमिताभ तक पहुंचे तो शायद यह अमिताभ के लिए अपने जीवन के सभी जन्म दिवसों की अविस्मरणीय बधाई साबित हो। 
sadee के महानायक अमिताभ के लिए वह दिन हमेशा अविस्मरणीय रहा, जब एक शक्श ने उन्हें न केवल फिल्म देखने से रोका था, वरण अनुशाशन का पाठ भी पढ़ाया था । तभी तो विगत वर्ष 2008 में जब अमिताभ अपना स्कूल शेरवुड छोड़ने के 50 वर्ष पूर्ण होने के मौके पर  नैनीताल आये तो जीवन के नौवें दशक में पहुंचे बूढ़े ‘लू’ज चैप’ को न केवल आसानी से पहचान लिया वरण गले भी लगा लिया। पढ़ाई के दिनों से ही फिल्मों के दीवाने अमिताभ वर्ष 1956 से 1958 तक शेरवुड के रोबिनहुड होस्टल में रहे.
उस दिन रात नौ से 12 का शो देखने के लिए साथियों के साथ बाजार की ओर भागे चले जा रहे थे। तभी डिग्री कालेज के निकट एक शख्स को देखकर वह साथियों से फुसफुसाये, ‘लू’ज चैप’ और मुंह को दुशाले से ढक लिया। सहसा दुर्गा दत्त पांडे नाम का वह शख्स उन पर झपटा और चीखा, ‘गो अप’। अमिताभ मिन्नतें करने लगे, आज जाने दो। उसने कहा, अभी साहब को बताता हूं। अमिताभ डर गये, वह जानते थे, प्रिंसिपल रैवरन लेवलिन जिन्हें बच्चे शैतानी में ‘लू’ कहा करते थे, खुद कालेज के गेट पर पहरेदारी करते हैं। वह जरूर पूछेंगे और पकड़े जाएंगे। दुर्गा दत्त ने तसल्ली दी, साहब से नहीं कहूंगा, जब जाना हो पूछ के जाया करो। अमिताभ साथियों सहित वापस लौट आये। स्कूल गेट पर पहुंचे तो सचमुच प्रिंसिपल लेवलिन गेट पर मौजूद थे। दुर्गा ने उन्हें अम्तुल्स की ओर से भीतर प्रवेश करा दिया। यह बात अमिताभ को करीब तीन दशक बाद विगत वर्ष कालेज लौटने तक भी याद रही। उन्होंने अपने ब्लॉग पर भी एक बार लिखा था, शेरवुड में मिली अनुशासन की सीख ने ही उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। आज उसी ‘लू’ज चैप’ यानी दुर्गा दत्त को जब अमिताभ के 70वें जन्म दिन की जानकारी दी गयी तो 92 वर्षीय दुर्गा ने सीना यूं फुला लिया, मानो उनके बेटे ने कोई बड़ा मुकाम हासिल कर लिया हो। गर्व से बोले, बिग बी तक मेरी शुभकामनाएं पहुंचा दें। अतीत में खोते हुए उन्होंने बताया, आजादी से पूर्व 1941 से अपने घर ग्राम अड़चाली गरुड़ाबांज (अल्मोड़ा) से आकर शेरवुड में नौ रुपये माहवार पर कार्य करना शुरू किया था। इस दौरान प्रिंसिपल रैवरन बिंस से लेकर न जाने कितने बड़े लोगों से साबका हुआ, लेकिन हरवंशराय बच्चन के उस बच्चे में न जाने क्या था जो कॉलेज के रॉबिनहुड छात्रावास में रहकर नौवीं कक्षा में यहां आया और सीनियर कैंब्रिज यानी 11वीं कक्षा पढ़कर वापस लौट गया, लेकिन एक बेटे की तरह जीवन का हिस्सा और सबसे बड़ी पूंजी बन गया। 

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

खंडूड़ी के सिर सजी नरेंद्र मोदी की ‘ठुकराई’ टोपी


अपनी ससुराल नैनीताल से दिया सर्वधर्म समभाव का संदेश, गए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी बृहस्पतिवार को अपनी ससुराल नैनीताल में थे। यहां उन्होंने पाषाण देवी के साथ ही यहां चल रहे दुर्गा महोत्सव और नयना देवी मंदिर में भी शीश नवाया। गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा में भी अरदास की और जामा मस्जिद में भी सजदा किया। उन्होंने मस्जिद में प्रवेश करते ही मुस्लिमों की टोपी पहनी, जिसे न पहनने के कारण गत दिनों उनकी ही पार्टी के नरेंद्र मोदी विवादों में आ गये थे। नैनीताल में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी अरुणा खंडूड़ी का बचपन बीता। उनके पिता यहां मल्लीताल कोतवाली में कोतवाल रहे तथा भाई वन विभाग में वन संरक्षक पद पर रहे। खंडूड़ी दंपति की यहां की पाषाण देवी पर अगाध आस्था है। दोनों गाहे-बगाहे तथा खासकर नवरात्रों में यहां आते रहते हैं। मुख्यमंत्री तो वहां से करीब 35 मिनट बाद लौट आये, लेकिन उनकी पत्नी करीब तीन घंटे मंदिर में रहीं और दुर्गा सप्तशती व दुर्गा कवच का पाठ किया। इसके पश्चात पहले मुख्यमंत्री तथा बाद में उनकी पत्नी ने अलग-अलग नयना देवी मंदिर में दर्शन किये। अधिकारियों की बैठक व कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बावजूद मुख्यमंत्री ने अपने दौरे को व्यक्तिगत दौरा बताया। गुरुद्वारा में उन्हें गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा पदाधिकारियों ने कृपाण व सरोपा भेंट किया, जबकि मस्जिद में प्रवेश करते ही शहर इमाम व सेक्रेट्री आदि ने उन्हें मुस्लिम धर्म की परंपरागत टोपी पहनाई, जिसे उन्हें सामान्य तरीके से पहना, साथ ही अपनी ओर से मस्जिद एवं मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए हरसंभव मदद की पेशकश भी की। इसी बीच उन्हें बौद्ध समुदाय के लोगों ने सफेद खाता नामक वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया, साथ ही दुर्गा महोत्सव आयोजन समिति के लोगों ने गुलाल लगाकर मुख्यमंत्री का अभिषेक किया।

खुशखबरी: पहाड़ चढ़ेगी रेल

पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक केबीएल मित्तल ने बताया कि रेल बजट में घोषित टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का अक्टूबर 2010 में सर्वे किया गया था। करीब 254 किमी के इस रूट को तैयार करने का 2800 करोड़ रुपए और रामनगर-चौखुटिया के बीच 86 किमी की रेल लाइन का 1378 करोड़ यानी दोनों योजनाओं पर कुल करीब 42 सौ करोड़ का प्रस्ताव अगस्त 2011 में रेलवे बोर्ड को भेजा जा चुका है। दोनों योजनाओं की टेक्निकल फिजिबिलिटी एवं ट्रेफिक सर्वे रिपोर्ट पर रेलवे बोर्ड व मंत्रालय को निर्णय लेना है। यदि योजनाओं को मंजूरी और बजट आवंटन हो जाता है तो रेलवे इस पर काम शुरू करेगा। कहा कि यात्री आय के लिहाज से यह दोनों योजनाएं मुनाफा देने वाली नहीं हैं, लेकिन उत्तराखंड के सामरिक दृष्टिकोण के साथ रेलवे की सामाजिक प्रतिबद्धता के लिहाज से रेल लाइन पहाड़ तक पहुंचाना भी जरूरी है। बताया कि इसके अलावा काठगोदाम-नैनीताल रेल लाइन का भी बोर्ड ने दोबारा सर्वे का आदेश दिया है। जल्द ही इस रूट का सर्वे कराया जाएगा। बरेली-लालकुआं के बाद लालकुआं-कासगंज रूट का आमान परिवर्तन मार्च 2013 के बाद शुरू किया जाएगा।

बुधवार, 28 सितंबर 2011

रयाल-नयाल के भरोसे जनरल की ’ससुराल‘



एक दर्जन पदों का कार्यभार संभाले हुए हैं दो अधिकारी
जिले में कई पद रिक्त, कुछ पदों पर अधिकारियों में होड़
कोई यहां आना नहीं चाहता, आता है तो जाना नहीं चाहता
नवीन जोशी, नैनीताल। सालभर बारिश, नैनी झील और तरुणाई से सरोवरनगरी में भले हर ओर हरीतिमा नजर आती हो मगर प्रशासनिक हलकों में इसे ‘शुष्क’ ही कहा जाएगा। जनरल खंडूड़ी के शासन में भी उनकी ‘ससुराल’ में दर्जनभर मुख्य विभाग केवल दो अधिकारियों ललित मोहन रयाल और अवनेंद्र सिंह नयाल के हाथों में हैं। राज्य में विगत दिनों बदले निजाम में हुए प्रशासनिक फेरबदल के बाद जिले में न हाकिम है और न मुख्य विकास अधिकारी। सीएम जनरल के ससुराल की अनूठी कहानी यह है कि कोई अधिकारी यहां आना नहीं चाहता, और जो एक बार यहाँ आ जाता है तो वापस जाना नहीं चाहता। 
नैनीताल मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की ससुराल है। उनकी धर्मपत्नी अरुणा खंडूड़ी का बचपन यहीं बीता है। उनकी नगर की पाषाण देवी पर अगाध आस्था है। श्राद्ध पक्ष में जनरल ने तबादलों की पहली खेप का खुलासा किया तो सर्वाधिक फेरबदल इसी जनपद में हुए। उम्मीद थी कि नए अधिकारी शारदीय नवरात्र पक्ष में पद ग्रहण करेंगे। नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं लेकिन अधिकारियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू नहीं हो पा रहा है। यहां से एक-एक कर अधिकारी चले तो गए पर नए आए नहीं। दर्जनभर विभाग केवल दो अधिकारियों के कंधों पर हैं। वर्तमान में जनपद के अपर जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल के पास निर्वाचन जैसी पदेन जिम्मेदारियों के अतिरिक्त अपर आयुक्त कुमाऊं मंडल, सचिव झील विकास प्राधिकरण के साथ जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास आयुक्त का भी अतिरिक्त कार्यभार है। इसी तरह मुख्यालय में अपर निदेशक उत्तराखंड प्रशासन अकादमी के पद पर तैनात अवनेंद्र सिंह नयाल के पास पूर्व से ही श्रम आयुक्त, अपर राजस्व आयुक्त की जिम्मेदारियां थीं। उन्होंने अब कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक पद की जिम्मेदारी भी संभाल ली है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि नैनीताल में अधिकांश अधिकारी आने से बचते हैं। इसके उलट कुछ विभागों में आने का अधिकारियों में बड़ा चाव है। यानी कुछ पदों का आकर्षण अन्य के मुकाबले हल्का पड़ जाता है। वहां एक अनार-सौ बीमार की स्थिति है। इसी तर्ज पर नैनीताल सीडीओ पद की ही बात करें तो जनपद में रहे पूर्व एडीएम धीराज सिंह गब्र्याल, उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में अपर निदेशक रहे राजीव साह, हल्द्वानी में सिटी मजिस्ट्रेट रहे रणवीर सिंह चौहान, अपर आयुक्त और झील विकास प्राधिकरण के सचिव रहे एचसी सेमवाल आदि इस पद के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। जिलाधिकारी बन कर आ रहीं निधिमणि त्रिपाठी भी पूर्व में यहां सीडीओ रह चुकी हैं। इधर उनके नवरात्र शुरू होने के बाद भी कार्यभार ग्रहण न करने पर भी कयासों का दौर शुरू हो गया है।
इस आलेख को मूलतः यहाँ क्लिक कर राष्ट्रीय सहारा के प्रथम पेज पर भी देख सकते हैं.

रविवार, 4 सितंबर 2011

तंग कमरे में डाक्टर, शौचालय में दवाएं


यह है मंडल मुख्यालय के आयुष विंग का हाल मुख्यालय स्थित एक कक्ष में स्थापित आयुष विंग का नजारा।
नवीन जोशी नैनीताल। भवाली में जहां प्रदेश सरकार विपक्ष के तीव्र आक्रोश को झेलकर भी इमामी से प्रदेश का पहला आयुष ग्राम स्थापित करवाने को प्रतिबद्ध नजर आ रही है, वहीं मुख्यालय के बीडी पांडे जिला अस्पताल में महज 10 गुणा 15 वर्ग फीट के एक कमरे में आयुष विंग चलाया जा रहा है। महज चार कुर्सियों की जगह वाले आयुष विंग की कहानी भी अपने आप में अनूठी है। 
प्रदेश भर में चिकित्सकों की कमी के ‘दुखड़े’ के बीच यहां उपलब्ध चारों कुर्सियों में बैठने के लिए चार आयुर्वेदिक चिकित्सक तैनात हैं। जब चारों चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं तो मरीजों को बैठने तो दूर, खड़े होने तक को जगह नहीं मिलती। जगह की कमी के कारण बहुमूल्य एवं साफ सुथरी जगह पर रखी जाने वाली दवाइयां शौचालय में रखी गई हैं। यहां तैनात चिकित्सक प्रसाधन के लिए भी इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। इस कक्ष में बमुश्किल एक ही टेबल के गिर्द चार कुर्सियां लगी हुई हैं, जिन पर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. अजय पाल सिंह चौधरी, चिकित्साधिकारी डा. शोभा पांडे, डा. प्रीति टोलिया एवं डा. ज्योत्सना कुनियाल (इन दिनों महानिदेशक के आदेशों पर हल्दूचौड़ में संबद्ध) तैनात हैं। यहां दवाइयां बांटने के लिए एक भी फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं है, जिस कारण दवाइयां बांटने का कार्य वार्ड ब्वाय के भरोसे है। कक्ष में दवाइयों की अलमारी रखने के लिए स्थान नहीं है, इसलिए आलमारी शौचालय में रखी गई है। मरीजों की बात करें तो इन चार चिकित्सकों की फौज की सेवाएं लेने यहां हर रोज औसतन 50 रोगी ही आते हैं, यानी हर चिकित्सक को दिन भर में औसतन एक दर्जन मरीज ही देखने होते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती। मुख्यालय में तीन अन्य आयरुवेदिक चिकित्सालय भी हैं। यहां भी चिकित्सक उपलब्ध हैं परंतु फार्मासिस्ट व सहायक स्टाफ नहीं। कहानी साफ है, चिकित्सकों ने सुविधा संपन्न मुख्यालय में तैनाती कराकर यहां भीड़ लगा दी है, लेकिन मरीजों को उनकी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। पूछने पर वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. चौहान ने बताया कि मुख्यालय में आयुष विंग का अलग चिकित्सालय बनाने के लिए तीन वर्ष से 10 लाख रुपये कार्यदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल निगम का अवमुक्त भी हो चुके हैं, लेकिन जगह उपलब्ध नहीं कराई गई है। इधर सीएमओ के स्तर से रैमजे अस्पताल के पास की भूमि उपलब्ध कराई गई है, जिस पर निर्माण के लिए नक्शा झील विकास प्राधिकरण को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।

शनिवार, 3 सितंबर 2011

लगातार समृद्ध हो रहा नंदा महोत्सव

अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा  108 सालों से हो रहा महोत्सव
नवीन जोशी, नैनीताल। सामान्यतया अतीत को समृद्ध परंपरा के लिए याद करने, वर्तमान को बुरा एवं भविष्य के प्रति चिंतित होने का चलन है लेकिन इस चलन को झुठलाता हुआ सरोवरनगरी का ऐतिहासिक नंदा महोत्सव साल दर साल नई परंपराओं को आत्मसात करता हुआ लगातार समृद्ध होता जा रहा है। पिछली शताब्दी और इधर तेजी से आ रहे सांस्कृतिक शून्यता की ओर जाते दौर में भी यह महोत्सव न केवल अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा है, वरन इसने सर्वधर्म समभाव की मिशाल भी पेश की है। पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी यह देता है और उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों को भी एकाकार करता है। इधर गत वर्ष अपनी वेबसाइट के जरिये ई-दुनिया में जाने के बाद इस वर्ष मां नंदा महोत्सव सोशल साइटों पर चर्चित हुआ है। सरोवरनगरी में नंदा महोत्सव की शुरुआत नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह ने 1903 में अल्मोड़ा से यहां आकर की थी। शुरुआत में मंदिर समिति द्वारा ही यह आयोजन होता था, 1926 से आयोजन का जिम्मा नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा को दे दिया गया, जो तभी से लगातार दो वि युद्धों के दौरान भी बिना रुके सफलता से और नए आयाम स्थापित करते हुए यह आयोजन कर रही है। कहा जाता है कि 1955-56 तक मूर्तियों का निर्माण चांदी से होता था, बाद में स्थानीय कलाकारों ने मूर्तियों को सजीव रूप देते हुए उसमें लगातार सुधार किया। परिणामस्वरूप नैनीताल की नंदा- सुनंदा की मूर्तियां, महाराष्ट्र के गणपति बप्पा जैसी ही जीवंत व सुंदर बनती हैं। खास बात यह भी कि मूर्तियों के निर्माण में पूरी तरह कदली वृक्ष के तने, पाती, कपड़ा, रुई व प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। बीते तीन वर्षों से थर्मोकोल का सीमित प्रयोग भी बंद कर दिया गया है, जिसके बाद महोत्सव पूरी तरह ‘ईको फ्रेंडली’ हो गया है। साथ ही कदली वृक्षों के बदले 21 फलदार वृक्ष रोपने की परंपरा वर्ष 1998 से पर्यावरण मित्र वाईएस रावत के सुझाव पर शुरू की गई। वर्ष 2007 से तल्लीताल दर्शन घर पार्क से मां नंदा के साथ नैनी सरोवर की आरती की एक नई परंपरा भी जुड़ी है, जो प्रकृति से मेले के जुड़ाव का एक और आयाम है। मेला आयोजक संस्था ने मेले में परंपरागत होने वाली बलि प्रथा को अपनी ओर से सीमित करने की अनुकरणीय पहल भी की है। वर्ष 2005 से मेले में फोल्डर स्वरूप से स्मारिका छपने लगी, जिसका आकार इस वर्ष 220 पृष्ठों तक फैल चुका है। यहीं से प्रेरणा लेकर कुमाऊं के विभिन्न अंचलों में फैले मां नंदा के इस महापर्व ने देश के साथ विदेश में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली है। शायद इसीलिए यहां का महोत्सव जहां प्रदेश के अन्य नगरों के लिए प्रेरणादायी साबित हुआ। बीते वर्ष से मेले की अपनी वेबसाइट के जरिऐ देश दुनिया तक सीधी पहुंच भी बन गई है। इधर फेशबुक, गूगल प्लस व ट्विटर सरीखी सोशल साइटों के जरिये भी मेला स्थानीय लोक कला के विविध आयामों, लोक गीतों, नृत्यों, संगीत की समृद्ध परंपरा का संवाहक बनने के साथ संरक्षण व विकास में भी योगदान दे रहा है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुई शुरूआत
नैनीताल (एसएनबी)। शक्तिस्वरूपा मां नंदा का 108वां महोत्सव सरोवरनगरी नैनीताल में पूरे धार्मिक उत्साह व परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया। मुख्य अतिथि डीएम शैलेश बगौली ने मां नंदा को शीश नवाते हुए उन्हें प्रदेश के दोनों अंचलों कुमाऊं व गढ़वाल को एक सूत्र में पिरोने वाली माता बताया। मल्लीताल रामलीला मैदान में आयोजित महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में डीएम श्री बगौली ने क्षेत्रीय विधायक खड़क सिंह बोहरा, पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल, एसएसपी अनंत राम चौहान, केएमवीएन के एमडी चंद्रेश कुमार, आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष सुधीर जोशी व पालिकाध्यक्ष एवं सभा महासचिव मुकेश जोशी के साथ दीप प्रज्वलित कर 108वें नंदा महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ तथा महोत्सव की रिकार्ड 220 पृष्ठों की वार्षिक स्मारिका का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेला बीते कुछ वर्षो से लगातार समृद्ध होता जा रहा है तथा प्रदेश के बड़े महोत्सवों में शुमार हो गया है। उन्होंने महोत्सव के लिए जिला प्रशासन की ओर से हरसंभव सहयोग का आासन भी दिया। विधायक बोहरा ने मां नंदा को राज्य की कुलदेवी के साथ स्थानीय भूदेवी बताते हुए उनसे मां-बेटी का रिश्ता बताया। एसएसपी एआर चौहान ने मां से समृद्धि व शांति बनाये रखने की कामना की। पशु कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष शांति मेहरा ने महोत्सव का स्वरूप लगातार बेहतर होने तथा पूर्व विधायक डा. जंतवाल ने बदलती तकनीकी के दौर में भी सांस्कृतिक थाती को आगे बढ़ाने की बात कही। इस दौरान परंपरागत तरीके से मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त होने वाले कदली वृक्षों के बदले रोपे जाने वाले 21 पौधों की पूजा अर्चना की गई तथा कदली वृक्ष लाने वाले दल को परंपरागत लाल एवं सफेद ध्वज (निशानों) पवित्र कदली वृक्ष लाने वाले दल को प्रदान किये। इस अवसर पर  सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों एवं भारत सरकार के गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकारों के कुमाऊं के परंपरागत रंग्वाली पिछौड़े पहनकर भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। छोलिया नर्तकों तथा गिरीश बोरा रीठागाड़ी ने लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष सरिता आर्या, संजय कुमार संजू, हेम आर्या, दया बिष्ट, दिनेश साह, किशन लाल साह कोनी, सभासद दीपक कुमार व मंजू रौतेला, सभा के जगदीश बवाड़ी, डा. अजय बिष्ट, कमलेश ढोंढियाल, अनूप शाही सहित बड़ी संख्या नगरवासी श्रद्धालु इन गौरवमयी पलों के गवाह बने। संचालन गंगा प्रसाद साह ने किया।


नंदा-सुनंदा के जयकारे के साथ शुरू हुआ जागर
बागेश्वर (एसएनबी)। कपकोट के पोथिंग गांव के भगवती मन्दिर में हर साल की तरह इस बार भी भव्य मेला लगा। हजारों श्रद्धालुओं ने मन्दिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की और मनौतियां मांगी। परम्परानुसार कई श्रद्धालुओं ने मनौतियों के लिए बकरियों की बलि चढ़ाई और सुख शांति के लिए भगवती माता से प्रार्थना की। ग्रामसभा कपकोट में भी नंदा देवी महोत्सव वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शुरू हो गया है। कपकोट के विभिन्न हिस्सों के अलावा जिले के अन्य क्षेत्रों से भी हजारों श्रद्धालुओं ने भागीदारी की। इस मौके पर आयोजित भंडारे में शिरकत कर प्रसाद भी ग्रहण किया। विधायक कपकोट शेर सिंह गड़िया, जिपं अध्यक्ष राम सिंह कोरंगा, उपाध्यक्ष विक्रम सिंह शाही के अलावा अन्य संगठनों के नेता, कार्यकर्ताओं ने भी भगवती मन्दिर जाकर पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगीं। ग्रामसभा कपकोट में भी नंदा देवी महोत्सव वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शुरू हो गया है। इसके अलावा कपकोट के ही बदियाकोट भगवती मन्दिर में शनिवार रात्रि जागरण व रविवार को मेला तथा भंडारे का आयोजन होगा। दोफाड़ के नंदादेवी मन्दिर में और पुड़कूनी के भगवती मन्दिर में रविवार से नंदादेवी मेला शुरू होगा। इसके अलावा रविवार को कोटभ्रामरी मन्दिर डंगोली में मेला लगेगा। सनेती के देवी मन्दिर में नौ व 10 सितम्बर को मेला लगेगा। कपकोट के केदारेर बगड़ में 28 सितम्बर से होने वाले दुर्गा पूजा महोत्सव की तैयारियां भी जोरशोर से शुरू हो गई हैं। महोत्सव के लिए देवीकुंड हिमालय से जल लाने के लिए गये 11 लोगों को विधायक कपकोट शेर सिंह गड़िया ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यात्रा के लिए रवाना किया।
महावीर मंगल समूह बिलौना के तत्वावधान में बिलौना में चल रहे गणपति महोत्सव में दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं की भीड़भाड़ रही। श्रद्धालुओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी। 
अल्मोड़ा/रानीखेत (एसएनबी)। नंदा-सुनंदा के आह्वान जागर व गणेश पूजन के साथ अल्मोड़ा में नंदा देवी महोत्सव शुरू हो गया है। रानीखेत में कदली पेड़ को लाने के साथ मेले का शुभारंभ किया गया। अल्मोड़ा डय़ोरीपोखर में नंदा देवी गणोश पूजन में राज परिवार के युवराज नरेन्द्र चन्द्र सिंह ने भाग लिया। शनिवार को चौधरीखोला में कदली वृक्षों को निमंतण्रदिया जाएगा। महोत्सव के शुरू होते ही विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी शुरू हो गया है। नंदा देवी परिसर में हुई ऐपण प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक युवतियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता प्रभा पांडे, मंजू पंत व मनोरमा बिष्ट के देखरेख में हुई। इधर रैमजे इंटर कालेज में उद्योग विभाग के तत्वावधान में हथकरघा प्रदर्शनी लगायी गई है। इसमें लगाए गए स्टालों में विभिन्न उद्यमियों द्वारा अपने उत्पादों की बिक्री प्रदर्शनी लगायी है। 
रानीखेत में कदली वृक्षों के आमंत्रण के साथ मेला शुरू हो गया है। शुक्रवार सुबह राय स्टेट से कदली वृक्ष को भव्य शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण कराकर मन्दिर में लाया गया। यहां शनिवार से मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। इस अवसर पर कमेटी अध्यक्ष हरीश साह, विधायक करन महरा, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार परिषद अध्यक्ष अजय भट्ट, नरेन्द्र रौतेला समेत दर्जनों लोग मौजूद थे। राजा की भूमिका इस बार सामाजिक कार्यकर्ता मोहन नेगी निभा रहे हैं।

बागेश्वर में नंदा देवी महोत्सव कल 
बागेश्वर। श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में रविवार से होने वाले नंदादेवी महोत्सव की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। कमेटी के अध्यक्ष नंदन साह के नेतृत्व में दर्जनों पदाधिकारी, सदस्य और नगरीय युवा कदली वृक्ष लाने मंडलसेरा गांव रवाना हुए और पूर्व प्रधान किशन सिंह मलड़ा के खेत से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कदली वृक्ष निकाला गया। इसके बाद देवी की जय-जयकार के बीच कदली वृक्ष लेकर भक्तगणों ने नगर की सभी मुख्य सड़कों का परिक्रमण किया और महोत्सव स्थल रामलीला भवन नुमाईशखेत मैदान में वृक्ष रखा। इसके साथ ही देवी प्रतिमा बनाने का काम भी शुरू हो गया है। कदली वृक्ष लाने वालों में सूरज जोशी, नीरज उपाध्याय, नीरज पांडे, शंकर साह, पंकज पांडे, ललित तिवारी, किशन मलड़ा, रचित साह आदि दर्जनों युवा शामिल थे। महोत्सव की व्यापक तैयारियां चल रही हैं।
नैनीताल के विश्व प्रसिद्द नंदा महोत्सव की कुछ तस्वीरें यहाँ क्लिक करके देखी जा सकती हैं.
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रविवार, 28 अगस्त 2011

पहली फिल्म नैनीताल में फिल्मायेंगे सिंघम, मर्डर-2 वाले सुधांशु


नवीन जोशी नैनीताल। सरोवरनगरी की गलियों में पल-बढ़कर हॉलीवुड की ‘स्वप्निल’ दुनिया लांघ चुके सिने कलाकार सुधांशु पांडे 12 वर्षो बाद अपनी जन्मभूमि लौटे तो एक वादा कर दिया। इसी वर्ष बॉलीवुड में बतौर प्रोडय़ूसर नयी पारी खेलेंगे और उनकी पहली फिल्म की शूटिंग नैनीताल में भी होगी। 
"मॉडल टर्न्ड एक्टर" सुधांशु का चेहरा हिंदी सिने दर्शकों के लिए खासा जाना-पहचाना है। दूरदर्शन पर ‘बेटा’ सीरियल से अभिनय की दुनिया में आये सुधांशु पहली बार खिलाड़ी-420 फिल्म में अक्षय कुमार के अपोजिट पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में नजर आये थे। इसके बाद उनके फिल्मी कैरियर को गत वर्ष आयी अक्षय की ही ‘सिंह इज किंग’ में निभाये एक सिख युवक के किरदार से नयी पहचान मिली, जिसका परिणाम है कि इस वर्ष उनकी दो फिल्में ‘मर्डर-टू’ व सिंघम रिलीज हो चुकी हैं, जबकि  हेमा मालिनी की 'टेल मी ओ खुदा' व 'राजधानी एक्सप्रेस' शीघ्र रिलीज होने जा रही हैं। बीच में सुधांशु दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एक्शन हीरो में शुमार जैकी चेन के साथ हॉलीवुड की फिल्म ‘द मिथ’ में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इस फिल्म में वह तथा मल्लिका सहरावत ही भारतीय कलाकार थे। फिल्म के निर्देशक स्टैनली टौंग सुधांशु को तभी से अपनी  तथा अन्य हॉलीवुड फिल्मों में लेने तथा हॉलीवुड में ही स्थापित होने की सलाह दे रहे हैं, जिस पर सुधांशु भी अब तैयार नजर आ रहे हैं। हालांकि इस बीच उनकी इस वर्ष के अंत तक अपना प्रोडक्शन हाउस खोलकर हिंदी फिल्म बनाने की योजना भी है। फिलहाल वह तमिल फिल्म ‘बिल्ला' का 'प्रीक्वल' यानी पहले की कहानी पर बन रही फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं। इसी तमिल फिल्म में निभाये जा रहे ‘डॉन’ के 'गेटअप' में नैनीताल पहुंचे सुधांशु ने शनिवार को ‘राष्ट्रीय सहारा’ द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में वादा किया कि उनके प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म नैनीताल में ‘शूट’ की जाएगी। मूलत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के डुंगरी गांव निवासी सुधांशु ने बताया कि उनके पिता रेलवे में कार्यरत थे। उनकी पोस्टिंग नैनीताल स्थित रेलवे के होली डे होम में थी। यहीं बिशप शॉ स्कूल से सुधांशु ने प्रारंभिक शिक्षा ली। यहां फ्लैट मैदान में धर्मेन्द्र की 'हुकूमत' सहित अन्य फिल्मों की शूटिंग देखते हुए उनके मन में भी कला की अलख जगी। यहीं रहते उन्हें भीलवाड़ा शूटिंग्स की मॉडलिंग का ऑफर मिल गया था। बाद में मुंबई जाकर बिना किसी प्रशिक्षण के पहले मॉडल और फिर टीवी व सिने कलाकार बन गये। एक दौर में मुंबई में उनका अपना बैंड भी था। सुधांशु कहते हैं, यह पहाड़ की कला से भरी तासीर ही है, जिसके कारण यह हो पाया। पहाड़ उनके दिल में बसता है। आज नैनीताल आये हैं तो यह उनके लिए घर वापसी जैसा है। आगे लगातार आने की कोशिश करेंगे।

बुधवार, 24 अगस्त 2011

एरीज से हवा की ’फितरत‘ पर नजर

एरीज में वायुमंडल में 30-32 किमी तक के प्रदूषण का मापन शुरू हीलियम गैस से भरे गुब्बारों में लगाए गए उपकरणों से एकत्रित किए जाते हैं आंकड़े
नवीन जोशी नैनीताल। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ‘एरीज’ से हवा में आने वाले प्रदूषण पर नजर रखी जा रही है। आने वाले दिनों में राज्य के लिए यंह ‘कार्बन क्रेडिट’ मांगने का आधार साबित हो सकता है। एरीज में इसरो, अमेरिका के ऊर्जा विभाग व आईआईएससी बेंगलुरु के सहयोग से परियोजना चल रही है। इसके तहत हर सप्ताह वायुमंडल में हीलियम गैस से भरे गुब्बारों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है। ये गुब्बारे धरती की सतह से 30 से 32 किमी. की ऊंचाई तक जाते हैं। अपने साथ लेकर गए दो उपकरणों ‘ओजोन सौंडे’ व ‘वेदर सौंडे’ की मदद से हवाओं की दिशा, दबाव, तापमान व ओजोन की मात्रा जैसे आंकड़े एकत्र करते हैं। इतनी ऊंचाई तय करने में गुब्बारों को करीब एक से डेढ़ घंटे लगते हैं, इस दौरान यह लगातार आंकड़े देते रहते हैं। इस परियोजना के वैज्ञानिक डा. मनीष नजा का कहना है कि नैनीताल के वायुमंडल में चूंकि अपना प्रदूषण नहीं है। यहां के वायुमंडल से प्राप्त प्रदूषण व ओजोन गैस के आंकड़े पूरी तरह से बाहर से आने वाली हवाओं के माध्यम से लाए होते हैं। इसलिए वायुमंडल में आने वाली हवाओं की दिशा का अध्ययन किया जा रहा है। आने वाले तीन माह में इस बाबत ठोस तरीके से कहा जा सकेगा कि देश-दुनिया के किस क्षेत्र के प्रदूषण का यहां के वायुमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है। अब तक के अध्ययनों से यह देखा गया है कि पहाड़ पर अप्रैल-मई में लगने वाली जंगलों की आग के कारण पांच किमी से ऊपर के वायुमंडल में ओजोन की अत्यधिक मात्रा रिकार्ड की गई है। शेष समय मात्रा सामान्य है। 
मैदानी क्षेत्रों पर भी नजर : 
एरीज में एक अन्य परियोजना ‘गंगा वैली ऐरोसोल एक्सपेरीमेंट’ के तहत हर दिन चार छोटे गुब्बारे भी हवा में छोड़े जा रहे हैं। इनके माध्यम से गंगा के मैदानी क्षेत्रों में औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप हो रही ग्लोबल वार्मिग व ग्लोबल कूलिंग तथा सौर विकिरण पर पड़ रहे प्रभाव का आकलन किया जा रहा है। मौसम वैज्ञानिक डा. मनीष नजा के अनुसार भविष्य में पंतनगर और लखनऊ से भी इस प्रकार के आंकड़े लिए जाएंगे। उपग्रह से प्राप्त चित्रों में इन क्षेत्रों में काफी मात्रा में औद्योगिक प्रदूषण देखा गया है, जिसका अब विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है। 
उपकरण लौटाने पर इनाम : 
बैलून के जरिए वायुमंडल में छोड़े जाने वाले उपकरण करीब चार घंटे में धरती पर कहीं भी आ गिरते हैं। हालांकि जीपीएस सिस्टम से जुड़े इन उपकरणों के गिरने के बावजूद पूरी जानकारी एरीज में होती है। इसके बावजूद यहां के अधिकारियों ने इनकी सूचना देने व लौटाने पर पांच सौ व एक हजार रुपये के इनाम घोषित किए हैं। इन उपकरणों पर इनाम की जानकारी और लौटाने का पता भी लिखा होता है। इसलिए यदि आपको कहीं ऐसे पता व सूचना लिखे वैज्ञानिक उपकरण मिल जाएं तो इन्हें एरीज को लौटाकर इनाम ले सकते हैं।

बुधवार, 10 अगस्त 2011

एपीजे बोले, ज्ञान लो, महान बनो

नैनीताल (एसएनबी)। भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि छात्र महान वैज्ञानिकों ग्राहम बेल, सीवी रमन, रामानुजम, राइट ब्रदर्स, थामस अल्वा एडिसन, हार्डी और प्रो. चंद्रशेखर की तरह असंभव कल्पनाएं करें। इसके बाद वे इन कल्पनाओं को पूरा करने की हिम्मत दिखाकर अद्वितीय बनें। इससे वे मानवीय क्षमता की सीमाओं को तोड़ सकते हैं।
कुमाऊं विवि के 11वें दीक्षांत समारोह में ‘मिसाइलमैन’ के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने विद्यार्थियों से अद्वितीय बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उन्हें जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने होंगे। लगातार ज्ञानार्जन करना होगा। कठिन परिश्रम के साथ महान उपलब्धि का पाने के लिए दृढ़ रहना होगा। ऐसा करने पर वे स्वत: अद्वितीय बन जाएंगे। दीक्षोपदेश देते हुए कुलाधिपति मार्ग्ेट आल्वा ने 1973 में स्थापित कुमाऊं विवि के गौरवमयी इतिहास का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह देश और दुनिया के विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा का केंद्र बनता जा रहा है। उन्होंने कुमाऊं विवि को राज्य ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल व भूटान के विद्यार्थियों का प्रमुख शिक्षा पड़ाव बताया। मुख्यमत्री डा. निशंक ने युवाओं देश और प्रदेश के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर इसे आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य को 2020 तक आदर्श राज्य बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। इससे पूर्व डा. कलाम ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के साथ विवि के 36,711 विद्यार्थियों को उपाधियां तथा स्नातकोत्तर के 26 छात्र-छात्रों के अलावा स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वोच्च अंक प्रदान करने वाले विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक के अलावा चार छात्राओं को गौरा देवी स्वर्ण पदक व दो अन्य पदक प्रदान किए। आयोजन की शुरूआत कुलसचिव डा. कमल के पांडे के नेतृत्व में विद्या परिषद एवं कार्य परिषद सदस्यों की शोभायात्रा के साथ हुई। डा. कलाम को एनसीसी कैडेटों ने सलामी दी। डा. कलाम ने उपाधिधारकों व पदक विजेताओं से बातचीत भी की। समारोह का शुभारंभ व समापन राष्ट्रगान तथा विवि के कुलगीत से हुआ। संचालन प्रो. नीरजा टंडन तथा डा. दिव्या उपाध्याय जोशी ने किया। कुलपति प्रो.वीपीएस अरोड़ा ने स्वागत एवं कुलसचिव डा. कमल के पांडे ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. आरसी पंत, पंतनगर विवि के कुलपति डा. बीके बिष्ट, उत्तराखंड मुक्त विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ले.जनरल एमसी भंडारी, महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर आदि उपस्थित थे।

"आधी दुनियां" ने हासिल किये तीन चौथाई पदक 
नवीन जोशी नैनीताल। छात्राओं ने 11वें दीक्षांत समारोह में दिखाया कि जमाना उन्हें हाशिये पर धकेलने की कोशिश न करे। कुमाऊं विवि देश को शिक्षित, ज्ञानवान नारियां देने का फर्ज निभा रहा है। विवि द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों जिन 44 विद्यार्थियों को कुलपति, गौरादेवी एवं अन्य पदक प्रदान किए। उनमें तीन चौथाई यानी 33 पदक छात्राओं को मिले। इनमें कई छात्राऐं ऐसी हैं जिनको कई पदक मिले। दीक्षांत समारोह में स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर कर्म दुचेन भूटिया, राजेंद्र मेहता, भावना कोठारी, पीतांबर पंत, मोनिका बिष्ट, गुरजीत कौर, हुमा अंबारी, वंदना शर्मा, नवीन चंद्र, नाजिया, तृप्ता जोशी, कविता, वष्रा रानी, स्वाति साह, दीपक चंद्र, वंदना अधिकारी, नीरा सिंह, डीवी व्हुडरी, सीमा नेगी, प्रतिभा रावल, हषर्ल गुणवंत, दीपक बहादुर चंद्र, रवींद्र सिंह, रचना बाजपेयी, परिधि अग्रवाल व मुकेश राय तथा स्नातक स्तर पर उदिता रानी, क्राइस्टबेल सोरेसम, शिखा शर्मा व आफिया मतीन को स्वर्ण पदक प्राप्त से अलंकृत किया गया। संकायों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं उदिता, क्राइस्टबेल, शिखा व आफिया को गौरा देवी स्वर्ण पदक हासिल हुआ। इसके अतिरिक्त एमए संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाली भावना कोठारी व एमएससी रसायन में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली वंदना अधिकारी को डा. डीसी भाकुनी स्मारक स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

बायो डीजल पर शोध करें वैज्ञानिक : कलाम

बायो डीजल से लगेगा प्रदूषण पर अंकुश पूर्व राष्टपति ने कहा भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आना होगा आगे
हल्द्वानी (एसएनबी)। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने डीजल और पेट्रोल से उत्पन्न प्रदूषण को कम करने के लिए बैज्ञानिकों से बायोडीजल पर शोध और उत्पादन का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पंतनगर से नैनीताल आते समय उन्हें दूसरे शहरों की तरह यहां फैल रहे प्रदूषण की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि बायोडीजल से कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। 
अपने संबोधन में डा. कलाम ने भ्रष्टाचार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आगे आना होगा। डा. कलाम बुधवार को पंतनगर एयरपोर्ट जाते समय गौरा पड़ाव स्थित रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डिबेट) में वैज्ञानिकों और छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में वाहनों की बढ़ती संख्या से वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा अधिक हो रही है। इसको रोकने के लिए बायो-डीजल के उत्पादन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से बायो रिसर्च पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा। डा. कलाम ने डिबेट के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में यह संस्थान पूरी दुनिया को नई दिशा दे सकता है। उन्होंने बायो-डीजल उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कार्बन डाई आक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन से मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जैव विविधता की संरचना बिगड़ सकती है। उन्होंने संबोधन में उन्होंने भ्रष्टाचार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आगे आना होगा। इस मौके पर डा. कलाम ने बच्चों के सवालों का जवाब देने के साथ ही ज्ञानवृद्धि, कठिन परिश्रम, समस्या और परेशानियों का डटकर मुकाबला करने का मंत्र दिया। उन्होंने भरोसा दिया कि जो छात्र इन चार बातों पर ध्यान केंद्रित करेगा वे सफल होंगे। करीब बीस मिनट के कार्यक्रम में डा. कलाम ने आधे दर्जन से अधिक बच्चों के सवालों के जवाब दिए। सभी बच्चे बिड़ला स्कूल के थे। इस दौरान डा. कलाम ने संस्थान की तमाम प्रयोगशालाओं और विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी ली।संस्थान ने डा. कलाम को स्मृति चिह्न भी भेंट किया। डा. कलाम ने छात्रों ने आटोग्राफ भी दिये।

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