रविवार, 15 मई 2011

नैनीताल जू में 'घर बसाएगा' नरभक्षी बंगाल टाइगर


गत वर्ष कार्बेट के बिजरानी जोन से पकड़ा गया था नरभक्षी नर व सांवल्दे से लाई गई थी बीमार मादा

इस तरह 'बाघ बचाओ मुहिम' भी  चढ़ेगी परवान
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल का पंडित गोविंद वल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणि उद्यान यानी नैनीताल चिडिय़ाघर देश भर में चल रही 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बनने जा रहा है। चिडिय़ाघर प्रबंधन यहां एक 'बंगाल टाइगर' नस्ल के नरभक्षी बाघ का 'घर' बसाने जा रहा है। कोशिश है कि उसे यहां एक मादा हम नस्ल मादा बाघ के साथ प्रेमालाप का मौका देकर 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित किया जाए।
गौरतलब है कि गत वर्ष चार अप्रैल को जनपद स्थित देश के जाने—माने कार्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में एक नर बंगाल टाइगर आतंक का पर्याय बन गया था। उसने चार फरवरी 09 को सर्पदुली रेंज के ढिकुली गांव में भगवती देवी को हमला बोलकर मार दिया था, जिसके बाद बमुश्किल उसे एक पखवाड़े बाद घायल अवस्था में पकड़कर नैनीताल चिडिय़ाघर लाया गया था। उसका सौभाग्य ही कहिए कि चिडिय़ाघर कर्मियों की सुश्रुसा व देखभाल से न केवल वह स्वस्थ हो गया वरन इसी दौरान कार्बेट पार्क के सांवल्दे क्षेत्र से एक मादा बंगाल टाइगर वन विभाग के अधिकारियों को घायल अवस्था में मिल गई। एक ही नस्ल के इस युगल को देखकर नैनीताल चिडिय़ाघर प्रबंधन के मन में उनका घर बसाने का विचार आ गया, जिसे अब जल्द मूर्त रूप दिये जाने की कोशिश की जा रही है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजूलाल टीआर ने बताया कि एक पखवाड़े के भीतर दोनों को साथ में आम जनता हेतु प्रदर्शित किया जाएगा। साथ में यह कोशिश भी होगी कि वह जंगल की परिस्थितियों में ही 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित हों। साथ रहते हुए सहवास करें, व नैनीताल चिडिय़ाघर उनके  प्रजनन से शावक उत्पन्न कर 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बन गौरवांवित हो सके।

'उम्मीद' से है तिब्बती मादा भेडिय़ा !
नैनीताल। नैनीताल चिडिय़ाघर में पहली बार तिब्बती भेडिय़ों के बाड़ों में नन्ही किलकारी गूंजने की उम्मीद की जा रही है। चिडिय़ाघर के अधिकारियों के अनुसार इन दिनों एक मादा भेडिय़ा गुफा में घुस गई है, व शारीरिक रूप से लगता है कि गर्भवती है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजू लाल टीआर ने उम्मीद जताई कि पहली बार यहां तिब्बती भेडिया का स्वस्थ शिशु पैदा हो सकता है। ऐसा हुआ तो यह चिडिय़ाघर के लिये बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि यहां रखे भेडिय़े अधिक ऊंचाई के तिब्बती क्षेत्रों के हैं।

रोमियो—जूलियट: बेरोना से सरोवर नगरी में

थियेटर की नगरी में जारी है छोटे संसाधनों से बड़े नाटकों का प्रदर्शन
नवीन जोशी, नैनीताल। इटली के नगर बेरोना में प्रेम की किंवदंती बन चुके रोमियो और जूलियट का प्यार पला था, वही रोमियो और जूलियट इन दिनों दुनिया के महानतम नाटककार विलियम शैक्सपीयर के नाटक से निकलकर सरोवर नगरी के शैले हॉल सभागार में मौजूद हैं। यहां इन दो पात्रों की बेहद भावुक व दु:खांत काल्पनिक प्रेमगाथा का प्रदर्शन हो रहा है। 
कहते हैं कि शेक्सपीयर एक डार्क लेडी नाम की महिला के प्रेम से वंचित थे, इसी लिये उन्हें अतृप्त कवि और नाटककार भी कहा जाता है। शायद इसी लिये वह 159४ में रोमियो—जूलियट के अतृप्त प्यार पर अपनी साहित्यिक शुरुआत में ही इतना सुंदर नाटक लिख पाए, जो अपने काल्पनिक पात्रों को कहानी के जरिये दुनिया के अन्य जीवंत प्रेमियों लैला—मजनू व शीरी—फरियाद से कहीं अधिक प्रसिद्धि दिला गये। शेक्सपीयर ने रोमियो—जूलियट में प्रेम को जिस ढंग से उतारा है, उसमें प्यार का पहला इजहार जुबां से नहीं आंखों से होता है। जुबां का रिश्ता बुद्धि और तर्क के साथ जुडता है और प्यार में बुद्धि और तर्क के लिए कोई स्थान नहीं होता है। आंखों की भाषा मस्तिष्क, बुद्धि और तर्क से अलग होकर सीधे हृदय को छूती है, घायल करती है, और इतना घायल करती है कि दो हृदय विरह की आग में झुलसते रहते हैं। अंत में वर्जनाओं के कारण दोनों एक साथ मौत की माला गले में पहन लेते हैं। इस कशिश, भावनाओं के उद्वेग, भावों के विचारवान परिवर्तन को समझना बड़े कलाकारों के लिये भी आसान नहीं होता। आज से लगभग सात सौ वर्ष पूर्व लिखी गई यह कहानी शैले हॉल के रंगमंच पर उतारने का साहस करना भी कठिन होता है, किंतु नगर के 'मंच एक्सपरिमेंटल रेपेटरी' ने युवा निर्देशक अजय पवार के निर्देशन में यह साहस दिखाया है। जूलियट के रूप में गंगोत्री बिष्ट, कप्यूलेट अनिल घिल्डियाल के साथ ही बैन्वोलियो संजय कुमार, सैंपसन नीरज डालाकोटी, पैरिस रोहित वर्मा व टाइबौलट अनवर रजा आदि कलाकारों ने बेहद प्रभावित किया। हाँ, कई पात्र बीते कुछ समय से लगातार्र शैक्सपीयर के पात्रो को जीते हुए 'टाइप्ड' होते भी प्रतीत हो रहे हैं अन्य पात्रों मोहिनी रावत, धर्मवीर सिंह परमार व मो.जावेद हुसैन ने भी अच्छा अभिनय किया। निर्देशक अजय कुमार मुख्य चरित्र रोमियो के बजाय निर्देशन में अधिक प्रभावी दिखे। नगर में ऑडिटोरियम की कमी एक बार पुन: खली। प्रकाश व्यवस्था कई बार खासकर जूलियट के बेहोसी के दृश्यों में आने और उठकर जाने के दौरान कमजोर दिखी। बावजूद, अच्छी बात यह रही कि संसाधनों के बिना भी कभी थियेटर की नगरी कही जाने वाली सरोवरनगरी में युवा कलाकार व कला से जुड़े लोग नाटक को जिंदा किये हुए हैं, व पर्यटन नगरी में लगातार स्तरीय नाटक प्रदर्शित कर सिनेमाघरों की कमी को भी छुपाने में सफल हो रहे हैं।

शुक्रवार, 13 मई 2011

ओसामा के पतन के बाद भारत को चीन-पाक से खतरा बढ़ा : ले.ज. भंडारी


राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रहे सरकार
भारत को अमेरिका, चीन, पाक और रूस से जारी रखनी चाहिए वार्ता
नवीन जोशी, नैनीताल। परम विशिष्ट व अति विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डा. एमसी भंडारी ने आशंका जताई कि ओसामा की मौत के बाद भारत पर दोतरफा खतरा है। पाकिस्तान से आतंकियों की आमद के साथ चीन भी भारत की ओर बढ़ सकता है। डा. भंडारी ने कहा कि भारत पांच-छह वर्षो में दुनिया की आर्थिक सुपर पावर बन सकता है। इसलिए उसे इस अवधि में कूटनीति का परिचय देते हुए अमेरिका, चीन, पाकिस्तान व रूस सहित सभी देशों से बातचीत जारी रखनी चाहिए। 
कुमाऊं विवि के अकादमिक स्टाफ कालेज में कार्यक्रम में आए डा. भंडारी ने 'राष्ट्रीय सहारा' से कहा कि ओसामा बिन लादेन के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे 32 शिविरों से प्रशिक्षित आतंकी दो-तीन माह में भारत की तरफ कूच कर सकते हैं। कश्मीर में शांति पाकिस्तान की 'जेहाद फैक्टरी' में बैठे लोगों को रास नहीं आएगी। ओसामा ने भी कश्मीर में जेहाद की इच्छा जताई थी। उधर चूंकि पाकिस्तान बिखर रहा है, इसलिए तालिबानी- पाकिस्तानी भी यहां घुसपैठ कर सकते हैं। पाक पहले ही गिलगिट व स्काई क्षेत्रों में अनधिकृत कब्जा कर चुका है, दूसरी ओर चीन के 10 से 15 हजार सैनिक 'पीओके' में पहुंच चुके हैं, पाकिस्तान ने उन्हें सियाचिन के ऊपर का करीब 5,180 वर्ग किमी भू भाग दे दिया है, ऐसे में चीन तिब्बत के बाद भारत के अक्साई चिन व नादर्न एरिया तक हड़पने का मंसूबा पाले हुए है। उन्होंने कहा कि चीन ने यहां उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में 543 वर्ग किमी व पिथौरागढ़ के कालापानी में 52 वर्ग किमी क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड में अत्यधिक सतर्कता बरतने व सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चीन के घुसने की संभावना वाले 11 दर्रे हैं, जिनके पास तक चीन पहुंच गया है, और भारतीय क्षेत्र जनसंख्या विहीन होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सीमाओं की सुरक्षा मुख्यमंत्री देखें और वह सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ें। साथ ही उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के बावजूद 10 फीसद की विकास दर वाला भारत अगले पांच-छह वर्षो में सुपर पावर बन सकता है, इसलिए उसे इस अवधि में सभी देशों से कूटनीतिक मित्रता करनी चाहिए और अपने यहां सीमाओं की सुरक्षा दीवार मजबूत करनी चाहिए, ताकि बिखरते पाकिस्तान के बाद जब अमेरिका, चीन मजबूत होते भारत की ओर आंख उठाएं, वह मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हो जाए। उन्होंने भारत में सेना का बजट जीडीपी का 2.1 फीसद (64 हजार लाख रुपये) को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

गुरुवार, 12 मई 2011

'टीएमटी' के निर्माण में भारत व एरीज की भागेदारी तय


दुनिया की अतिमहत्वाकांक्षी दूरबीन होगी 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप'
नैनीताल (एसएनबी)। दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर व्यास की आप्टिकल दूरबीन के निर्माण में दुनिया के पांच देशों के साथ भारत भी भागेदारी देगा। खास बात यह है कि नैनीताल का आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज इसमें योगदान देगा। एरीज के वैज्ञानिकों के दिशा-निर्देशों पर भारतीय उद्योगों से इस अति महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए विभिन्न उपकरण बनाए जाएंगे। गत 18-19 अप्रैल को अमेरिका की वल्टेक आब्जरवेटरी की पसेदीना नगर में आयोजित संगोष्ठी में इस महायोजना की जिम्मेदारियां इसके भागीदारों, अमेरिका, जापान, कनाडा, चीन व भारत में बांटी गई। वहां से लौटे एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर ने बताया कि इस 1.3 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट में भारत करीब 800 करोड़ रुपये का योगदान देगा, जिसमें से 600 करोड़ रुपये के उपकरण अवयव भारत से भेजे जाएंगे। एरीज भारतीय उद्योगों में बनने वाले लैंस सहित अन्य यांत्रिक अवयवों की गुणवत्ता आदि की निगरानी करेगा। भारत में सर्वाधिक 50 फीसद कार्य भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के हिस्से आए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो वर्षो में पहले चरण के यह कार्य कर लिये जाऐंगे। उल्लेखनीय है कि यह दूरबीन प्रशांत महासागर स्थित हवाई द्वीप में होनोलूलू के करीब ज्वालामुखी से निर्मित 13,803 फीट (4,207 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2018 में स्थापित होने जा रही है। इस दूरबीन में अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंगदैध्र्य की पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से 10 माइक्रोन तरंगदैध्र्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृश्य) युक्त किरणों का प्रयोग किया जाएगा। यह हमारे सौरमंडल व नजदीकी आकाशगंगाओं के साथ ही पड़ोसी आकाशगंगाओं में तारों व ग्रहों के विस्तृत अध्ययन में सक्षम होगी।
अगले साल तक स्थापित होगी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन
नैनीताल। एरीज नैनीताल जनपद के देवस्थल में वर्ष 2012 के आखिर तक एशिया की सबसे बड़ी बताई जा रही 3.6 मीटर व्यास की नई तकनीकी युक्त 'पतले लैंस' (व्यास व मोटाई में 10 के अनुपात वाले) स्टेलर दूरबीन भी लगाने जा रहा है। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर ने बताया कि इस दूरबीन का लेंस रूस में बन रहा है, अगले तीन-चार माह में यह बेल्जियम चला जाऐगा, जहां दूरबीन के अन्य अवयवों का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। बताया कि इस वर्ष के आखिर तक लेंस एवं सभी अवयवों के निर्माण का पहला चरण 'फैक्टरी टेस्ट' के साथ पूर्ण हो जाएगा।
एरीज और यूकोस्ट मिल कर करेंगे कार्य
नैनीताल। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर व उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद-यूकोस्ट के हाल में महानिदेशक बने डा. राजेंद्र डोभाल ने मिलकर कार्य करने का इरादा जताया। बुधवार को एरीज में पत्रकारों से वार्ता करते हुऐ डा. डोभाल ने कहा कि एरीज में मौजूद संसाधनों का उपयोग कर बच्चों एवं आम जनमानस को खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी से रोचक तरीके से रूबरू कराया जाऐगा। बच्चों के साथ ही शोधार्थियों के लिऐ भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाऐंगे।


मंगलवार, 10 मई 2011

आदि कैलाश यात्रा के लिए भी मानसरोवर जैसा क्रेज


किराया बढ़ने के बावजूद पहले चार दलों के लिए सीटें फुल
30 मई को रवाना होगा पहला जत्था
नवीन जोशी, नैनीताल। शिव के धाम कैलाश मानसरोवर की यात्रा से इतर शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा के लिए भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त क्रेज दिखाई दे रहा है। यात्रा का किराया करीब पांच हजार रुपये प्रति यात्री बढ़ने के बावजूद श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नहीं आई है। पहले चार दल पैक हो गये हैं, और अन्य 12 दलों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर ही वर्ष 1986-87 से आदि कैलाश यात्रा शुरू की गई थी। रहस्य-रोमांच और भोले बाबा की भक्ति में डूबने के लिहाज से आदि कैलाश यात्रा मानसरोवर यात्रा के समान ही महत्व रखती है। कैलाश शिव का धाम है तो आदि कैलाश भी शिव का छोटा घर ही है। इसलिए इसे छोटा कैलाश यात्रा भी कहते हैं। यहां शिव के शब्द प्रतीक 'ऊंकार' को प्राकृत रूप में देखना अद्भुत अनुभव है। आदि कैलाश यात्रा के लिए मानसरोवर की तहत विदेश मंत्रालय से अनुमति नहीं लेनी पड़ती, वीजा की जरूरत नहीं पड़ती व चीन में होने वाली दिक्कतों का सामना भी नहीं करना पड़ता। साथ ही खर्च भी कम आता है। नाभीढांग तक मानसरोवर व आदि कैलाश दोनों यात्राओं का मार्ग एक ही रहता है। नाभीढांग से ऊं पर्वत के दर्शन करते हुए यात्री गुंजी, कुट्टी व जौलिंगकांग होते हुए आदि कैलाश पहुंचते हैं। इधर बीते पांच वर्षो से निगम आदि कैलाश यात्रा की भी ऑनलाइन बुकिंग करता है। इस यात्रा के लिए हर बैच में औसतन 40 यात्री शामिल किये जाते हैं, जिनका चयन निगम द्वारा ही किया जाता है। इस यात्रा में कुमाऊं के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर व बैजनाथ जैसे आस्था केंद्रों के दर्शन भी हो पाते हैं। इस वर्ष यह यात्रा करीब चार हजार रुपये प्रति यात्री महंगी होने जा रही है। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जो इस वर्ष से 21 हजार रुपये प्रति यात्री होगा, साथ ही 2.58 फीसद सुविधा शुल्क भी अलग से वहन करना होगा। निगम के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने बताया कि इसके बावजूद पहले चार बैच पैक हो गये हैं और अन्य 12 बैचों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी है। यात्रा 29 मई से शुरू होगी। पहला दल 29 को दिल्ली से चलकर 30 की सुबह काठगोदाम और दिन के भोजन तक जागेश्वर पहुंच जाएगा।
मानसरोवर ट्रेक पर दिक्कत जल्द दूर कर लेने का भरोसा
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि आदि कैलाश के ठीक बाद एक जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ हो रही है। इस रूट पर 1 दिन पूर्व कुटी में भारी बारिश के कारण निगम के कैंप को क्षति पहुंची थी, जबकि तीन दिन पूर्व आई बारिश ने गर्बाधार के पास ट्रेक को क्षतिग्रस्त कर दिया था। केएमवीएन के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने भरोसा जताया कि कुटी के कैंप को 2 मई और गर्बाधार के खतरनाक हो चुके ट्रेक को 25 मई तक दुरुस्त करने को कहा गया है। बताया कि सोमवार शाम तक दिल्ली से मानसरोवर यात्रियों को लाने वाली 'टू-बाई-टू' एसी बसों और काठगोदाम से आगे जाने वाली लग्जरी बसों की निविदा प्रक्रिया शाम तक पूरी की जा रही है। तैयारियों को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।


रविवार, 8 मई 2011

'छोटी विलायत' को मिलेगा यूरोपियन लुक


21 करोड़ से निखरेगी नैनीताल की खूबसूरती, बनेंगे पार्क 

कोश्यारी होंगे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष


खंडूड़ी बनेंगे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विधानसभा चुनाव निशंक के नेतृत्व में ही
पिछले चुनाव में भी कोश्यारी ने अपने दम पर पार्टी को सत्ता दिलाई थी पर पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया 
मुख्यमंत्री निशंक और पूर्व सीएम कोश्यारी व खंडूड़ी को पार्टी ने आपसी तालमेल के लिए दिल्ली बुलाया
रोशन/एनएनबी नई दिल्ली। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर भाजपा में सांगठनिक फेरबदल किया जा रहा है। राज्यसभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है। बावजदू इसके विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में तो विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के लिए कोर कमेटी, चुनाव प्रचार अभियान समिति का गठन कर दिया गया है। इस लिहाज से चुनाव तैयारियों में उत्तराखंड पीछे है। भाजपा सूत्रों के अनुसार सीएम निशंक, पूर्व मुख्यमंत्रियों कोश्यारी व खंडूड़ी तीनों को दिल्ली बुलाया जाएगा और उनसे विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन तीनों नेताओं को एकजुट करने की है। तीनों की एकता बनाए रखने के लिए पार्टी ने तीनों को एक साथ बिठाने का फैसला किया है। बताया जाता है कि तीनों नेताओं को दिल्ली बुलाने के पीछे शीर्ष नेताओं का यह मकसद है कि समय रहते मनभेद व मतभेद भुलाकर एक दिशा में ताकत लगाई जाए। पार्टी भविष्य में उत्तराखंड में संगठन की कमान कोश्यारी को सौंपकर नई ऊर्जा का संचरण करना चाहती है। कोश्यारी की संगठन पर जबरदस्त पकड़ है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को सत्ता में लाने में कोश्यारी का अहम रोल रहा है , लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। खंडूड़ी के कुशल प्रशासकीय प्रबंधन का फायदा उठाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की डोर सौंपी जाएगी। संगठन में फेरबदल व खंडूड़ी को राष्ट्रीय राजनीति में लिए जाने के बाद भी पार्टी ने तय किया है कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।

ऑनलाइन होगी कुमाऊं की प्राचीनतम लाइब्रेरी


अधिकतर अभिलेख ऑनलाइन करने के लिए तैयार किए गए
1933 में हुई थी लाइब्रेरी की स्थापना
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल के प्राचीनतम पुस्तकालयों में गिने जाने वाले मुख्यालय के दुर्गा लाल साह नगर पालिका पुस्तकालय तक शीघ्र आपकी घर बैठे पहुंच होगी। करीब चार वर्ष के अनवरत कार्यों के बाद यह पुस्तकालय शीघ्र इंटरनेट पर उपलब्ध होने जा रहा है। इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का एक अन्य प्रस्ताव भी शासन से स्वीकृति की स्थिति में पहुंच गया है। 
वर्ष 1933 में नगर के मोहन लाल साह द्वारा पांच हजार रुपये के आर्थिक सहयोग से अपने पिता दुर्गा लाल साह के नाम पर 'मिड माल' में स्थापित नगरपालिका संचालित यह पुस्तकालय हिंदू धर्म ग्रंथों, वेद-पुराणों, नैनीताल-कुमाऊं के 1940 के दशक से इतिहास व गजेटियर सहित सैकड़ों बहु उपयोगी प्राचीन एवं दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, जर्नल व मैगजीन आदि का अनूठा संग्रहालय है। वर्ष 2007 से भारत सरकार के सूचना तकनीकी मंत्रालय की डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर योजना के तहत सेंटर फार डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटरिंग (सीडीएसी) द्वारा यहां उपलब्ध कॉपीराइट की बाधा रहित ज्ञान कोश को 'स्कैन' कर 'डिजिटलाइज' करने का कार्य किया जा रहा है, जो अब करीब 80 फीसद तक पूर्ण बताया जा रहा है। इसे 'डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर' में लॉग ऑन करके ऑन लाइन देखा जा सकेगा। इधर नगर पालिका ने इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का प्रस्ताव राज्य योजना के तहत शासन को भेजा था, बताया जा रहा है कि इसमें से करीब 50 लाख का प्रस्ताव शासन में स्वीकृत होने की स्थिति में है। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने बताया कि योजना के तहत पुस्तकालय में साइबर कैफे भी स्थापित किया जाएगा, ताकि लोग वहां बैठकर भी यहां मौजूद पुस्तकों को डिजिटल स्वरूप में पढ़कर सुविधानुसार ज्ञानवर्धन कर सकेंगे।

शुक्रवार, 6 मई 2011

कुमाऊं विवि में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' दे रहे परीक्षा

150 परीक्षार्थियों को भेजा गया नोटिस
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं विविद्यालय के अधीन मंडल के महाविद्यालयों व परिसरों में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' परीक्षा दे रहे हैं। करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि हो गई है। इनमें से 150 को नोटिस भेजे गए हैं। ऐसे कई परीक्षार्थी परीक्षा देने से रोक दिये गए हैं, जबकि अनेक अब भी परीक्षा दे रहे हैं। 
कुमाऊं विवि इन दिनों चल रही वाषिर्क परीक्षाओं के कारण हर ओर से हमले झेल रहा है, लेकिन समस्या की असल वजह क्या है, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। 'राष्ट्रीय सहारा'  ने जब वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि विवि के परीक्षा विभाग और बड़ी संख्या में कर्मियों की ऊर्जा पहले वर्ष की परीक्षा दे रहे 'मुन्नाभाइयों' की पहचान करने में नष्ट हो रही है। डेढ़ सौ से अधिक मुन्ना भाई बीए प्रथम वर्ष में बताए गए हैं। बीकाम प्रथम वर्ष में तीन दर्जन से अधिक ऐसे परीक्षार्थी पकड़ में आए हैं, जिनके इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाणपत्र दिल्ली हायर सेकेंडरी बोर्ड एवं वृंदावन ओपन बोर्ड से निर्गत हैं। कुमाऊं विवि के परीक्षा नियंत्रक डा. जीएल साह ने स्वीकार किया कि करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटर के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इनमें से करीब 150 को नोटिस भेजा जा चुका है। 
अग्रसारण शुल्क के कारण भरवा दिए अधिक फार्म
पंतनगर निवासी मीरा कुमारी नाम की एक छात्रा का शिक्षाशास्त्र विषय से व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरा। इसे रुद्रपुर महाविद्यालय में जमा कराया गया था। इधर 11 मई से उसकी परीक्षा शुरू होनी हैं, लेकिन प्रवेशपत्र नहीं मिला। रुद्रपुर महाविद्यालय ने अपने यहां शिक्षाशास्त्र विषय न होने के कारण उसकी परीक्षा कराने से असमर्थता जाहिर की, और हल्द्वानी भिजवा दिया। इसके बाद वह हल्द्वानी-रुद्रपुर के चक्कर काटती हुई विवि प्रशासनिक भवन पहुंची और आखिर यहां भी प्रवेशपत्र न मिलने से शुल्क वापस लेकर परीक्षा छोड़ने को मजबूर हुई। जानकार बता रहे हैं कि महाविद्यालयों को प्रति स्नातक फार्म 40 व प्रति स्नातकोत्तर छात्र 60 रुपये परीक्षा फार्मो को जांच कर भेजने के लिए अग्रसारण शुल्क के रूप में मिलते हैं। अकेले रुद्रपुर महाविद्यालय को अग्रसारण शुल्क से दो लाख रुपये से अधिक प्राप्त हो रहे हैं। अधिक धन की चाह में महाविद्यालयों ने क्षमता से अधिक व गलत फार्म ले लिए हैं और उन्हें जांच किये बिना कुविवि को भेज दिया।

सोमवार, 2 मई 2011

दुनिया की धरोहर है हिमालय : प्राइस

विकास के लिए संसाधनों का करना होगा सुनियोजित उपयोग
नवीन जोशी नैनीताल। वर्ष 2007 में अमेरिकी उप राष्ट्रपति अल गोर और भारतीय वैज्ञानिक डा. आरके पचौरी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिक प्रो. मार्टिन प्राइस ने कहा कि हिमालय भारत और दक्षिण एशिया ही नहीं वरन पूरी दुनिया का धरोहर है। यहां संसाधनों के अपार भंडार हैं मगर इनका लाभ दूसरे लोग उठा रहे हैं। यहां रह रहे लोग इसके लाभों से अछूते हैं। लिहाजा हिमालयी क्षेत्रों के संसाधनों के मूल्यांकन एवं उनके सुनियोजित उपयोग करने की आवश्यकता है, ताकि यहां से हो रहे प्रतिभा पलायन को रोका जा सके और लोग यहां अपनी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए आएं। नैनीताल क्लब में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान 'राष्ट्रीय सहारा' से प्रो. प्राइस ने हिमालयी क्षेत्र के लोगों को अपने संसाधन और सेवाओं के समुचित मूल्यांकन करने की सीख दी। उनका कहना था कि हिमालयी क्षेत्रों में दुनिया की अनूठी व अचूक औषधियां हैं। केवल इनसे यह क्षेत्र दुनिया का सबसे धनी क्षेत्र बन सकता है। उन्होंने यहां पनबिजली की सर्वाधिक संभावनाएं बताते हुए छोटे बांध ही बनाए जाने की राय दी। उन्होंने कहा हिमालय में छोटे बांध उपयोगी होंगे। उन्होंने कहा कि हिमालय पूरी दुनिया को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला पर्वत है। इससे केवल दक्षिण एशिया में ही 1.3 बिलियन लोग प्रभावित होते हैं। प्रतिभा की दिशा पहाड़ की ओर करने के लिए उन्होंने मंत्र सुझाया कि बाहर से आने वाले लोगों को पहाड़ों तक संचार की मोबाइल, सेटेलाइट फोन व यातायात व आवासीय सुविधा देनी होगी। ऐसा होने पर यहां शोध के लिए ही बड़ी संख्या में देशी-विदेशी लोग पहुंचेंगे।