रविवार, 28 दिसंबर 2014

भुखमरी के कगार पर पहुंची फड़ विक्रेता का आत्मदाह का प्रयास!


एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर समझाया, सोमवार को 11 बजे वार्ता के लिए बुलाया
नैनीताल (एसएनबी)। बीते तीन-चार माह से पालिका-प्रशासन की कड़ी निगहबानी की वजह से फड़ वाले फड़ नहीं लगा पा रहे हैं। इस कारण कई भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं। रविवार को पालिका कर्मियों के फड़ हटाने को छापेमारी करने के दौरान कथित तौर पर एक महिला फड़ विक्रेता ने मिट्टी का तेल छिड़क कर आत्मदाह का प्रयास किया। पुलिस से सूचना मिलने पर एसडीएम आशीष चौहान मौके पर पहुंचे और फड़ वालों को सोमवार सुबह 11 बजे अपने कार्यालय में बातचीत के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों व फड़ वालों की समस्याओं के बीच कोई संभव हल निकालने का विास दिलाया। 
उल्लेखनीय है कि फड़ वालों एवं पालिका-प्रशासन कर्मियों के बीच तकरार जारी है। प्रशासन हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए फड़ वालों को मल्लीताल पंत पार्क से गुरुद्वारे तक के क्षेत्र में न बैठने देने के लिए पालिका कर्मियों से पहरेदारी करा रहा है, जबकि फड़ वाले भी बाज आने को तैयार नहीं हैं। मौका देखते ही वे फड़ सजा लेते हैं। इस दौरान पालिका कर्मियों के आ जाने पर अफरा-तफरी मचती है। फड़ वाले अपना सामान लेकर भागते हैं और पालिका कर्मी उनका सामान जब्त कर लेते हैं। कई बार दोनों के बीच गंभीर झड़पें भी होती हैं। रविवार अपराह्न फड़ वालों ने मौका देख फड़ लगाए थे, मगर इसी दौरान पालिका कर्मियों के आ धमकने से उनके बीच झड़प की स्थिति बन गई। इसी दौरान एक महिला फड़ विक्रेता ने कपड़ों पर मिट्टी का तेल छिड़क लिया। इससे अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। मल्लीताल कोतवाल टीआर वर्मा को सूचना मिली तो उन्होंने एसडीएम आशीष चौहान को बताया। आशीष चौहान मौके पर पहुंचे और फड़ वालों को समझाया। फड़ वालों के नेता जमीर अहमद का कहना था कि उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति है। एसडीएम ने हाईकोर्ट के आदेशों के परिपालन को प्रशासन की जिम्मेदारी बताते हुए सोमवार को मामले का हल निकालने का आश्वासन दिया। कोतवाल को पड़ी फटकार : आत्मदाह की सूचना पर एसडीएम आशीष चौहान के मौके पर पहुंचने के दौरान पास ही स्थित मल्लीताल कोतवाली का एक भी पुलिस अधिकारी या जवान मौके पर नहीं था। इस पर एसडीएम ने नगर कोतवाल टीआर वर्मा को पुलिस की गैर मौजूदगी पर कड़ी फटकार लगाई।

जानवरों की तरह भिखारियों को भेजा था लालकुआं

उल्लेखनीय है कि गत दिवस नगर पालिका ने अपने वाहन में नगर में भीख मांगकर करीब एक दर्जन भिखारियों को जानवरों की तरह भरकर लालकुआं छुड़वा दिया था, और निर्लज्जता के साथ बकायदा इसके फोटो भी खिंचवाए थे। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी एक अधिवक्ता की जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए पालिका का जवाब-तलब किया है।

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

नये वर्ष 2015 का जश्न 28 से ही हो जाएगा शुरू

नैनीताल (एसएनबी)। पर्यटननगरी सरोवरनगरी में नए वर्ष के स्वागत के लिए बनी संशय की स्थिति पर छाया कुहासा छट गया है। नगर में नए वर्ष के स्वागत के लिए जोरदार जश्न का कार्यक्रम होगा। इसके लिए 28 दिसम्बर से ही नगर नैनी झील के चारों ओर व खास कर माल रोड को बिजली की लड़ियों से जगमगाया जाएगा और यह सिलसिला नए वर्ष की एक जनवरी तक जारी रहेगा। इस दौरान सैलानियों की सुरक्षा के लिए पूरे प्रबंध किए जाएंगे। खासकर यातायात को सुचारु रखने एवं नए वर्ष के स्वागत जश्न में नशा बिघ्न न डाल दे, इसके प्रबंध किए जाएंगे। मुख्यालय आने वाली तीनों सड़कों-हल्द्वानी, भवाली व कालाढुंगी पर दोपहिया वाहनों पर दोहरी नजर रखी जाएगी। 31 को बिना उचित प्रपत्रों एवं नशीले पदार्थो के सेवन के साथ नैनीताल नहीं आने दिया जाएगा। नगर में हर चौराहे व भीड़भाड़ के स्थान पर अतिरिक्त संख्या में पुलिस कर्मी तैनात रहेंगे, और खासकर शराब पीकर हुड़दंग करने वाले लोगों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। नैनीताल होटल रेस्टोरेंट एसोसिएशन की पुलिस के साथ बैठक में यह बातें तय हुई। पुलिस ने अपनी ओर से यह आश्वासन दिए, वहीं होटलियर्स से भी सीसीटीवी कैमरे लगाकर तथा खासकर युगलों पर दोनों के आईडी लेने आदि प्रबंधों के साथ विशेष नजर रखकर सहयोग करने की अपील की। बैठक में एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चंद्र साह, सचिव राजेश साह, महेंद्र बिष्ट, ओम प्रकाश वैद, बृज साह, वेद साह, रमनदीप सिंह, दीप साह, हरीश साह, आलोक साह व कमल जगाती तथा एएसपी श्वेता चौबे व सीओ हरीश चंद्र सती आदि लोग उपस्थित रहे। 

कुमाऊं चेप्टर बनाने पर बनी सहमति : 

नैनीताल होटल रेस्टोरेंट एसोसिएशन की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में बताया गया कि एसोसिएशन का पूरे कुमाऊं मंडल में विस्तार कर इसे कुमाऊं चेप्टर का स्वरूप देने पर सहमति हुई है। बताया गया कि बैठक में में रामनगर व भीमताल के होटलियर प्रतिनिध भी उपस्थित थे, जबकि रुद्रपुर, अल्मोड़ा, कौसानी आदि से इस बारे में विचार आए थे। शीघ्र इस पर कार्य शुरू किया जाएगा। 

प्रधान पतियों के ठेंगे पर सरकारी फरमान


महिला जनप्रतिनिधियों ने कहा लगातार हों पंचायतों, बीडीसी की बैठकें, मिले मानदेय
नैनीताल (एसएनबी)। महिला जनप्रतिनिधियों ने बताया कि अब सरकारी फरमान के बाद पंचायतों एवं बीडीसी बैठकों में प्रधानपतियों का बैठकों में तो प्रवेश रुक गया है, लेकिन अब भी वह अधिकारियों के साथ बैठकों के बाहर से साठगांठ जारी रखे हुए हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि विभागों में अधिकांश अधिकारी पुरु ष हैं, जो विकास कायरे में भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी के बारे में महिला जनप्रतिनिधियों से बातें नहीं कर पाते, लेकिन उनके पतियों के माध्यम से अपनी कारगुजारियां जारी रखे हुए हैं। उन्होंने इस पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत जताई है तथा बीडीसी एवं ग्राम पंचायत आदि की बैठकें नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने को जरूरी बताया है, ताकि वह भी कुछ सीख सकें तथा विकास कायरे को गति दे सकें। इसके अलावा उन्होंने सम्मानजनक मानदेय दिये जाने की भी जरूरत जताई है।तल्लीताल धर्मशाला में सरल संस्था के तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में ग्राम प्रधान, उप प्रधान एवं गांवों की वार्ड सदस्य आदि महिला जनप्रतिनिधि पत्रकारों से अपनी समस्याओं पर बात की।उनका कहना था कि अनेक ग्राम प्रधान अधिक सक्रिय नहीं हैं, जबकि अन्य उप प्रधानों एवं वार्ड सदस्यों को टीम के रूप में साथ लेकर नहीं चलते, तथा उन्हें योजनाओं व बजट आदि की जानकारी नहीं देते हैं। निर्वाचित होने के छह माह हो गए हैं, लेकिन अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है। ऐसे में एक ओर उन पर उन्हें चुनने वाली जनता का विकास कायरे को लेकर दबाव होता है, वहीं वह कहीं अपनी बात नहीं रख पाते। कार्यशाला में सरल संस्था की प्रमुख हेमा कबडवाल, भगवती सुयाल, नीतू राजपूत, शोभा देवी, ममता कुल्याल, नीमा देवी, रजनी देवी, राजकुमारी, जयंती ढैला, रत्ना पंत, जया रावत, चंपा मेलकानी, सरिता कार्की, गंगा टम्टा, हेमा नेगी आदि मौजूद रहीं। 

सोमवार, 10 नवंबर 2014

रेल की पटरी की तरह नैनीताल के डीएम और एसएसपी आए साथ, रहे दूर-दूर, गए साथ-साथ, राज्य में ऐसा पहली बार


१४वें राज्य स्थापना दिवस पर नैनीताल को मिले १४वें डीएम, ११वें एसएसपी
नवीन जोशी, नैनीताल।नैनीताल जनपद को राज्य के १४वें वर्षगांठ की अगली सुबह मिली सूचना ने सबको चौंकाने वाली रही। यह ,खबर थी, जिले के डीएम अक्षत गुप्ता व एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन का एक साथ स्थानांतरण। अगली सूचना नैनीताल के नए डीएम के रूप में केएमवीएन के एमडी का कार्यभार संभाल रहे दीपक रावत की राज्य बनने के बाद जिले के १४वें डीएम एवं सेंथिल  अबूदई कृष्ण राज एस की ११वें एसएसपी के रूप में तैनाती हुई है। डीएम के रूप में अक्षत गुप्ता ने जनपद में इसी वर्ष १६ जनवरी से तथा एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन ने २२ फरवरी को कार्यभार संभाला था। 
उल्लेखनीय है कि नैनीताल जिले में राज्य बनने के बाद पहली डीएम आराधना शुक्ला वर्ष २००० से ३० जनवरी एक तक, दूसरे उत्पल कुमार सिंह नौ अप्रैल ०२ तक, तीसरे अमित कुमार घोष १७ फरवरी ०४ तक, चौथे आनंद वर्धन २७ अगस्त ०४ तक, पांचवे डा. राकेश कुमार ३० सितंबर ०६ तक, छठी डा. भूपिंदर कौर २२ मई ०७ तक, सातवें आरके सुधांशु आठ मई ०८ तक, आठवें अमित नेगी एक नवंबर ०८ तक, नौवें हरिताश गुलशन १० अगस्त ०९ तक, दसवें शैलेश बगौली २६ सितंबर ११ तक, ११वें निधिमणि त्रिपाठी २२ मई १३ तक, १२वें अरविंद सिंह ह्यांकी १५ जनवरी १४ तक व १३वें अक्षत गुप्ता आज १० नवंबर १४ तक डीएम रहे हैं। वहीं एसएसपी की बात करें तो विरेंद्र कुमार राज्य बनने के दौरान जिले के पहले एसएसपी थे, जो २७ अगस्त ९९ से सात फरवरी ०१ तक रहे। आगे दूसरे एसएसपी जेसी पांडे सात अप्रैल ०३ तक, तीसरे विजय साखरे २२ जून ०५ तक, चौथे आलोक शर्मा २२ जून ०७ तक, पांचवे जीएस मर्तोलिया २१ नवंबर ०८ तक, छठे दीपम सेठ ३१ जुलाई ०९ तक, सातवें मोहन सिंह बंग्याल २८ अगस्त ११ तक, आठवें अनंत राम चौहान २१ अप्रैल १२ तक, नौवें डा. सदानंद दाते २२ फरवरी १४ तक व १०वीं विम्मी सचदेवा रमन आज १० नवंबर तक जिले की एसएसपी रहे हैं।

नैनीताल के डीएम अक्षत गुप्ता और एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन करीब-करीब साथ-साथ इसी वर्ष जनवरी-फरवरी माह में नैनीताल आए थे, लेकिन जितने दिन भी यहां रहे, एक-दो मौकों को छोड़कर कभी साथ नहीं दिखाई दिए, और आपस में तालमेल की अक्सर भारी कमी दिखाई दी। यहां तक कि कई बार कुमाऊं आयुक्त एवं अन्य उच्चाधिकारियों की बैठकों में भी दोनों साथ-साथ नहीं दिखाई दिए। मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक बालिका से बलात्कार की घटना के मामले में दोनों के बीच के तालमेल की कमी खासी सुर्खियों में भी रही। सत्ता प्रतिष्ठान से छन-छन कर आई खबरों पर यकीन करें तो एसएसपी, डीएम के वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी होने के नाते डीएम से स्वयं को 'भाभी" की तरह वरिष्ठता का व्यवहार चाहती थीं, जो कि डीएम को गंवारा नहीं था। रामनगर में हुई युकां नेता के आग लगने से गंभीर होने की घटना में भी दोनों के बीच कभी सार्वजनिक तौर पर संवाद नजर नहीं आया। शायद यहीं से नियति बनी हो कि साथ आने के बाद दूर-दूर रहने वाले डीएम व एसएसपी एक साथ इस तरह गए कि यह प्रदेश के इतिहास में किसी जिले के डीएम व एसएसपी को एक साथ हटाने की पहली घटना के रूप में इतिहास ही बन गया। 

देर शाम हुआ कार्यभार आदान-प्रदान 

नैनीताल। नैनीताल के डीएम एवं एसएसपी दोनों पदों पर सोमवार को देर शाम ही कार्यभारों के आदान-प्रदान की पूरी संभावना है। निवर्तमान एवं नए दोनों डीएम एवं निवर्तमान एसएसपी ने इसकी पुष्टि की। निवर्तमान डीएम व एसएसपी ने जहां आदेश आने के तत्काल बाद ही कार्यभार छोड़ने की तैयारी की, वहीं आदेश की सूचना मिलने पर नए डीएम व एसएसपी देहरादून से मुख्यालय रवाना हो गए। दोनों के द्वारा देर शाम तक कार्यभार ग्रहण कर लिया गया। 

केएमवीएन एमडी के रूप में अनेक उपलब्धियां हासिल की रावत ने

नैनीताल। नैनीताल के सीडीओ एवं बागेश्वर के डीएम जैसे प्रशासनिक पद के बाद एक वाणिज्यिक संस्था केएमवीएन में गत तीन मई को ३४वें एमडी के रूप में कार्यभार ग्रहण करने वाले दीपक रावत के नाम करीब ढाई वर्ष के कार्यकाल में अनेक उपलब्धियां दर्ज हो गई हैं। उनके कार्यकाल में पहली बार सर्वाधिक १०० से अधिक कर्मियों को नियमित किया गया, और कर्मचारियों को एसीपी का लाभ दिया, साथ ही ग्रेच्युटी साढ़े तीन लाख से बढ़ाकर १० लाख रुपए कर दी गई तथा जॉव वर्क व अन्य पदों पर टेम्परेरी तौर पर कार्यरत कर्मियों के मानदेय में भी दो हजार रुपए की वृद्धि की गई। इन बड़े खर्चों के बावजूद अक्टूबर तक ही निगम ४.५ करोड़ रुपए से अधिक के लाभ में रहा है। इस दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा में अब तक के सर्वाधिक ९१० यात्रियों के जाने का रिकार्ड भी बना। पिंडारी व अन्य ग्लेशियरों के मार्गों पर २००७ से लंबित कार्य पूरे करा लिए गए। वर्षों से लंबित वर्ष २००३-०४ व २००४-०५ के ऑडिट कराए गए तथा २००५-०६ का ऑडिट कार्य भी पूरा करा लिया गया है। 

शनिवार, 1 नवंबर 2014

नैनी झील में राष्ट्रीय पाल नौकायन प्रतियोगिता शुरू


नैनीताल (एसएनबी)। शरदोत्सव के बाद प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने सरोवरनगरी की एक और टूटी परंपरा को जोड़ दिया है। अंग्रेजी दौर के बाद नैनी झील में राष्ट्रीय स्तर की गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा (पाल नौकायन प्रतियोगिता)-2014 का आयोजन किया जा रहा है। नैनीताल याट क्लब व नैनीताल बोट हाउस क्लब के संरक्षक राज्यपाल डा. कुरैशी ने शुक्रवार को प्रतियोगिता का औपचारिक उद्घाटन किया। इस दौरान राज्यपाल ने पाल नौकाओं और पाल नौकायन को नैनीताल की पहचान बताते हुए उम्मीद जताई कि इस जलक्रीड़ा के माध्यम से नैनीताल और प्रदेश के पर्यटन और खासकर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सेलिंग रिगाटा इस शहर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर और अधिक आकर्षक गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी। उन्होंने इसे नैनीताल शरदोत्सव में जुड़ा एक नया आयाम भी बताया तथा प्रतियोगिता में शामिल हो रही इंचियोन एशियाई खेलों की देश के लिए सबसे युवा कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी वर्षा गौतम, ऐश्वर्या एन को बधाई भी दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा की स्मारिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर नैनीताल याट क्लब के कमोडोर बीर श्रीवास्वत, रिटार्यड वाइस एडमिरल एआर टंडन, सबसे वयोवृद्ध सेलर डीएस मजीठिया, सीता नंदा, डीएम अक्षत गुप्ता, कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी, नगर पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण, सूचना महानिदेशक रविनाथ रमन, एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन, एएसपी श्वेता चौबे, अरविंद प्रसाद, मुकुंद प्रसाद, विशाल खन्ना, आरएल नंदा, धनुषबीर सिंह, टी जायसवाल आदि उपस्थित रहे।
एकता दिवस दौड़ को समर्पित की नौका दौड़
नैनीताल। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने नैनी झील में आयोजित हुई पाल नौकायन प्रतियोगिता को शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की 139वीं जयंती पर शुरू हुई एकता दौड़ को समर्पित किया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री की देश को साफ रखने की पहल का भी खुले दिल से स्वागत किया। वहीं पत्रकारों द्वारा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि की बाबत याद दिलाए जाने पर राज्यपाल ने कहा कि हां, यह एक दु:खद दिन भी है। इस दिन खुश नहीं हुआ जा सकता। इस दौरान उन्होंने पिछले वर्ष केदारनाथ घाटी में आई आपदा को याद करते हुए खेलों को मौत के बीच जीवन में उल्लास वापस लाने का उपकरण भी बताया।

नैनीताल तमिलनाडु व नेवी ने जीते मुकाबले
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी की विश्व प्रसिद्ध नैनी झील में शुक्रवार से शुरू हुई राष्ट्रीय स्तर की गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा (पाल नौकायन प्रतियोगिता) में मेजबान नैनीताल की एनटीवाईसी यानी नैनीताल याट क्लब, तमिलनाडु की तमिलनाडु सेलिंग एसोसिएशन और भारतीय नौ सेना की टीमों ने एक-एक दौड़ जीतकर एक-एक अंक हासिल कर लिए जबकि भारतीय थल सेना (आर्मी) की टीम पहले दिन मुकाबला नहीं जीत पाई। आगे शनिवार को राउंड रॉबिन आधार के अन्य तीन मुकाबलों से फाइनल में पहुंचने वाली टीमों का निर्धारण होगा। दिन की पहली दौड़ मेजबान एनटीवाईसी के नाम रही। एनटीवाईसी के लिए कैप्टन अरविंद प्रसाद व वीर श्रीवास्तव, मुकुंद प्रसाद व विशाल खन्ना, कवीश नंदा व कवि नंदा व गौरव सनवाल व अनिरुद्ध ढौंडियाल चार नावों पर बतौर स्किपर व क्रू सदस्य खेले और पहली दौड़ में आर्मी को 13- 23 के अंतर से हराया। वहीं तमिलनाडु व नेवी का मुकाबला 22-25 के अंतर से नेवी के पक्ष में रहा, जबकि आखिरी मैच में पूर्व रजत पदक विजेता खिलाड़ी एसएस यादव की अगुआई में खेली तमिलनाडु ने एनटीवाईसी को आखिरी क्षणों में एक नौका के कमतर प्रदर्शन की वजह से हराने में सफलता पाई। प्रतियोगिता का निर्णय इंचियोन एशियाई खेलों में भी अम्पायर रहे कमोडोर एएस पटनकर सहित अंतरराष्ट्रीय अंपायरों रवि संथानम व नीलिमा साह के द्वारा किया गया। थल सेना की टीम पहले ही दिन मुकाबला हारी

रोमांचित हुई देश के लिए सबसे कम उम्र 16 एवं 18 की उम्र में कांस्य पदक दिलाने वाली सेलिंग खिलाड़ी
नैनीताल। गत दिनों आयोजित हुए इंचियोन एशियाई खेलों में देश के लिए सबसे कम उम्र 16 एवं 18 की उम्र में कांस्य पदक दिलाने वाली सेलिंग खिलाड़ी वर्षा गौतम एवं ऐश्वर्या एन ने कहा कि वह सामान्यतया तमिलनाडु के समुद्र तटों पर सेलिंग (पाल नौकायन) करती हैं। नैनीताल में पाल नौकायन खेल के रूप में उनका अनुभव बेहद अच्छा रहा। ऐसी रंग-बिरंगी पाल नौकाएं उन्होंने अब तक कहीं नहीं देखीं। इससे वह काफी प्रभावित हुई हैं। आगे यहां के अनुभवों व इस स्थान एवं यहां की रंग-बिरंगी पाल नौकाओं को देश के सेलिंग मानचित्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय युवाओं के लिए यहां से सेलिंग सीख कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ने के असीम अवसर उपलब्ध हैं। सेलिंग रिगाटा के अवसर पर एशियन खेलों में कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी वर्षा व ऐश्वर्या।

मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

कुमाऊं के 53 नए रूटों पर चलेंगी रोडवेज की बसें, केमू व प्राइवेट ऑपरेटरों को 'ठेंगा"



-रक्त संबंधों के अलावा अन्य परमिट नामांतरणों पर भी आरटीए की 'नां -आरटीए की बैठक में हुए निर्णय, जनता की मांग एवं आरटीओ की विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद ही मिलेंगे नए रूट परमिट
-वाहनों में गाने बजाने पर लगाई पाबंदी
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं मंडल के परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) ने मंडल में राज्य परिवहन निगम (रोडवेज) को 53 नए रूटों पर बस संचालन की अनुमति दे दी है। जबकि कुमाऊं मोटर औनर्स यूनियन यानी केमू तथा अन्य निजी ऑपरेटरों को नए रूटों के लिए परमिट देने एवं पुराने परमिटों के गैर रक्त संबंधों वाले नामांतरण के सैकड़ों मामलों पर आरटीए का रुख पूरी तरह कड़ा और 'नां" की मुद्रा में रहा है। आरटीए ने इस बाबत आए सैकड़ों प्रस्तावों के आरटीओ (संभागीय परिवहन अधिकारी) कार्यालय से बिना उचित होमवर्क के सीधे आरटीए में आने पर नाराजगी जताई तथा आगे जनता की मांग पर ही तथा आरटीओ द्वारा विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट के उपरांत ही ऐसे मामलों पर सकारात्मक कार्रवाई करने का इरादा जताया। इससे मंडल भर से मुख्यालय आए सैकड़ांे प्राइवेट ऑपरेटरों, बस मालिकों को मायूसी का सामना करना पड़ा। अलबत्ता, उनके लिए राहत की बात रही कि आगे आरटीए की बैठक हर दो माह में तथा अगली बैठक इसी वर्ष  दिसंबर माह के भीतर होगी।
"बुधवार को झील विकास प्राधिकरण सभागार में कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल की उपस्थिति में नियमानुसार हर दो माह की जगह दिसंबर 2012 से दो वर्ष के बाद आयोजित हुई आरटीए की बैठक आयोजित हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि वाहन परमिट का स्थानान्तरण केवल पारिवारिक सदस्यों में ही होगा, अन्य व्यक्तियों के परमिट बेचने अथवा खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। अन्य व्यक्तियों को परमिट बेचना पाये जाने पर परमिट निरस्त कर दिया जायेगा। एक वर्ष से अधिक समय तक वाहन ना चलाये जाने व परमिट नवीनीकरण न किये जाने पर नया आवेदन प्रस्तुत करना होगा। किसी रूट पर वाहनों की संख्या आदि के बाबत फिजीबलिटी का सर्वे कर तथा जनता की मांग पर ही रूट पर वाहन के परमिट दिये जाएंगे। मंडलायुक्त ने आरटीओ को निर्देश दिये कि वे वाहनों के परमिटों की कड़ाई से नियमित रूटवार चेकिंग करायें। साथ ही निर्णय लिया गया कि डीएम की सर्वे के बाद संस्तुति के उपरांत ही परमिट जारी किये जायेंगे। केमू के वाहनों के रूट विस्तार के बाबत मिले आवेदनों पर निर्णय लिया गया कि आरटीओ व डीएम द्वारा रूटों की सर्वे के उपरांत ही रूट विस्तार दिया जायेगा। केमू को हर सप्ताहके रूट चार्ट को वाहन नंबर सहित तीन दिन पहले आरटीओ कार्यालय में उपलब्ध कराना होगा। इसके बाद संबंधित वाहन न चलता पाए जाने पर वाहन मालिक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कान्टेक्ट कैरेज एक निश्चित स्थान से दूसरे निश्चित स्थान तक ही जायेंगे। रास्ते में सवारियां ढोते हुये पाये जाने पर उनके परमिट निरस्त किये जायेंगे। वाहनों में टेप, सीडी आदि बजाने पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण पावंदी लगा दी गयी है। बैठक में अपर आयुक्त राजीव साह, झीविप्रा के सचिव श्रीश कुमार, आरटीओ एसके सिंह, आरटीए सदस्य मनीष छावड़ा, एआरटीओ गुरदेव सिंह, एजीएम रोडवेज पवन मेहरा व विजय जोशी आदि उपस्थित रहे।  

हल्द्वानी से वाया गौलापार टनकपुर को चलेंगी सात रोडवेज बसें

नैनीताल। आरटीए की बैठक में रोडवेज को जो 53 नए परमिट दिए गए, उनके अनुसार हल्द्वानी से टनकपुर के लिए गौलापार, चोरगलिया के रास्ते रोडवेज की सात नई बसें चला करेंगी। अभी तक इस रूट पर प्राइवेट बसें ही चलती हैं। इनके अलावा रानीखेत से सिमलगांव नैनीताल होते हुए रुद्रपुर के लिए दो, रानीखेत से गनाई, हल्द्वानी होते हुए रुद्रपुर के  लिए दो, भवाली नैनीताल चनौती को दो, भवाली नैनीताल घोड़ाखाल को एक, हल्द्वानी किच्छा टनकपुर को एक, काशीपुर रामनगर रुद्रपुर को दो, रामनगर टनकपुर को एक, लोहाघाट किच्छा टनकपुर हल्द्वानी को तीन, काशीपुर टनकपुर जसपुर को दो, जसपुर नैनीताल रुद्रपुर को दो, हल्द्वानी रुद्रपुर काशीपुर को एक, काशीपुर हल्द्वानी टनकपुर को एक, काशीपुर कालाढुंगी रामनगर नैनीताल को एक, टनकपुर हल्द्वानी को पांच, टनकपुर डीडीहाट को दो, टनकपुर झूलाघाट को दो, टनकपुर बागेश्वर को दो, टनकपुर नैनीताल एक, पिथौरागढ़ नैनीताल हल्द्वानी दो, पिथौरागढ़ टनकपुर काशीपुर चार, लोहाघाट देवीधूरा हल्द्वानी दो, टनकपुर काशीपुर तीन, लोहाघाट पंचेश्वर रुद्रपुर दो नए परमिटों को आज मंजूरी दी गई। जबकि प्राइवेट ऑपरेटरों के ५० इंटरसिटी बस परमिट एवं 98 परमिट ट्रांसफर के आवेदनों में से रक्तसंबंध वाले केवल आठ मामलों को ही बैठक में मंजूरी मिल पाई।

शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

अल्मोड़ा में बनेगा नया विवि, हल्द्वानी-पिथौरागढ़ नये कैंपस

कुमाऊं विवि की कार्य परिषद में बनी सहमति अंतिम फैसला राज्य सरकार पर निर्भर 12 नए कालेज, 20 सांध्यकालीन कॉलेज, पांच निजी कॉलेजों एवं 17 नए पाठय़क्रमों को भी मिली मंजूरी
नैनीताल (एसएनबी)। निकट भविष्य में कुमाऊं विवि का अल्मोड़ा परिसर एक अलग स्वतंत्र-टीर्चस एजुकेशन यूनिवर्सिटी और हल्द्वानी व पिथौरागढ़ दो नए परिसर बन सकते हैं। कुमाऊं विवि की कार्य परिषद ने इन पर अपनी सहमति दे दी है। इनमें से हल्द्वानी परिसर कुमाऊं विवि का एवं पिथौरागढ़ परिसर अल्मोड़ा विवि का होगा। इसके साथ ही कार्य परिषद ने प्रो. रजनीश पांडे को कुमाऊं विवि का स्थायी तौर पर परीक्षा नियंत्रक पद पर नियुक्ति देने, कुमाऊं में 12 नए कॉलेज, 20 सांध्यकालीन कॉलेज, पांच निजी कॉलेजों एवं कॉलेजों में 17 नए पाठय़क्रमों को भी मंजूरी दे दी है। शनिवार को कुमाऊं विवि कार्य परिषद की बैठक विवि प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी की अध्यक्षता एवं उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं केंद्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य सीरियक जोसफ एवं अन्य सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित हुई। इस बैठक में प्रयोगशाला सहायकों के वेतन ग्रेड संबंधित लंबित मामले को भी स्वीकृति दे दी गई, साथ ही पॉल कॉलेज आफ टेक्नोलॉजी व पाल कॉलेज और नर्सिग, सूरजमल कॉलेज, देवस्थली विद्यापीठ, चाणक्य लॉ कॉलेज व नैंसी कान्वेंट की कुमाऊं विवि से संबद्धता का नवीनीकरण स्वीकृत कर दिया गया। साथ ही कॉलेजों में 17 नए पाठय़क्रमों, सरकार द्वारा खोले गए 12 नए कॉलेजों एवं 20 सांध्यकालीन कॉलेजों को भी स्वीकृति दे दी गई। वहीं सर्वप्रमुख अल्मोड़ा परिसर को नए विवि के रूप में स्वीकृति देते हुए कुलपति प्रो. धामी ने प्रस्ताव रखा कि इसे वर्मा आयोग की इच्छा के अनुरूप शिक्षकों के लिए शिक्षण की सुविधा युक्त विवि के रूप में स्थापित किया जाए। इस बैठक में कुविवि के रजिस्ट्रार दिनेश चंद्रा, डॉ. महेंद्र पाल, अचिंत्यवीर सिंह, प्रकाश पांडे, डॉ. एसडी शर्मा, डॉ. एलएस बिष्ट, जेसी बधानी, डॉ. पीके जोशी, डॉ. अमित जोशी और डॉ. बीडी दानी आदि सदस्य मौजूद रहे। 
गरमाएगी कुमाऊं की राजनीति! 
कुमाऊं विवि की कार्य परिषद ने हालांकि अल्मोड़ा परिसर को नया विवि एवं हल्द्वानी व पिथौरागढ़ कालेजों को नये परिसरों के रूप में स्थापित करने को अपनी स्वीकृति दे दी है, मगर फैसला राज्य सरकार को ही करना है, लिहाजा आगे इस मामले में कुमाऊं की राजनीति के गर्माने से इनकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि गत दिवस हरमिटेज परिसर में हुए कुमाऊं विवि के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची उच्च शिक्षा मंत्री ने इसी मामले में इशारा किया था कि ऐसे मामलों में कोई फैसला राजनीतिक तौर पर नहीं वरन अकादमिक आधार पर ही लिया जाएगा।

शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

जिम कोर्बेट की यादों से रूबरू होंगे सैलानी

विश्व पर्यटन दिवस पर जिम कोर्बेट लीगेसी ट्रेल यात्रा होगी आयोजित
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के प्रबंध निदेशक ने ‘जिम कोर्बेट लीगेसी ट्रेल’ की एक नई परिकल्पना पेश की है, जिसे 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर शुरू किया जा रहा है। इस परिकल्पना के तहत निगम सैलानियों को 950 रुपये में प्रतिदिन प्रसिद्ध अंग्रेज शिकारी जिम कोर्बेट के जन्म स्थान नैनीताल और छोटी हल्द्वानी-कालाढुंगी के बीच उनकी यादों से जुड़े स्थानों की यात्रा कराई जाएगी। निर्धारित शुल्क में ही यात्रियों का आवागमन, विशेषज्ञ गाइड की सुविधा, दिन का भोजन, शाम का नास्ता और संबंधित दर्शनीय स्थलों के प्रवेश शुल्क व अन्य कर आदि शामिल होंगे। निगम के मंडलीय प्रबंधक पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि यात्रा की शुरुआत 27 सितम्बर को सुबह नौ बजे जिम कोर्बेट के प्रयासों से बने मल्लीताल स्थित बैंड स्टैंड से होगी। यहां से यात्रियों को स्विस होटल, कोर्बेट के घर गर्नी हाउस, कोर्बेट द्वारा नैनीताल से कालाढुंगी आने-जाने के लिए प्रयुक्त पैदल रास्ते-पोनी ट्रेल, घटगढ़, अरुंडेल, बौड़ नहर, काब्रेट का फार्म यार्ड व छोटी हल्द्वानी कालाढुंगी स्थित कोर्बेट संग्रहालय, कोर्बेट का मोती हाउस, छोटी हल्द्वानी के बाहर की बाउंड्री वाल, चौपाल व कोर्बेट की सिंगल बैरल की मजल लोडर बंदूक और कोर्बेट फॉल आदि के दर्शन भी कराए जाएंगे।

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

आज ही निपटा लें बैंक और दफ्तरों के काम, आगे हफ्ते भर रहेगा आराम


-इस माह के आखिर से अगले पूरे दिन बैंकों में काम न होने की संभावना
नवीन जोशी, नैनीताल। श्राद्ध पक्ष में खरीददारी और बैंकिंग कार्यों से दूर रहने के बाद यदि आप अब अपने ऐसे कार्य अगले सप्ताह निपटाने और नवरात्रि से दिवाली तक के ‘फेस्टिव सीजन’ की शुरुआत करने योजना बनाए हुए हैं, तो संभल जाइए। जान लीजिए कि अगले करीब-करीब पूरे सप्ताह बैंकों में कार्य नहीं होने वाला है। वरन बैंकों के कार्य प्रभावित होने की शुरुआत इसी सप्ताहांत से हो जाएगी। ऐसे में कोशिष करें कि कुछ कार्य आज ही यानी शुक्रवार को और शेष अगले सोमवार को ही निपटा लें।
हालांकि इस बीच बैंकों की कोई हड़ताल जैसे हालात भी नहीं हैं, लेकिन इस शनिवार यानी 27 सितंबर से अगले सप्ताह तक बैंकों में छुट्टियों की झड़ी लगने जा रही है। 27 को सप्ताहांत पर आधे दिन का बैंक होगा, जबकि 28 को रविवार को साप्ताहिक बंदी रहेगी। आगे सोमवार को बैंक खुलेंगे तो इस बार 30 सितंबर और एक अक्टूबर को दो दिन बैंकों की अर्ध वार्षिक बंदी के कारण बैंक तो खुलेंगे पर उनमें सामान्य वित्तीय लेनदेन का कामकाज नहीं होगा। इस दौरान बैंक कर्मचारी आतंरिक लेखा-जोखा में व्यस्त रहेंगे। इसके बाद दो अक्टूबर को गांधी जयंती और तीन को दशहरा की छुट्टी होगी। चार अक्टूबर को शनिवार के चलते आधे दि नही आंशिक काम होगा और अगले दिन पांच अक्टूबर को रविवार की छुट्टी होगी, उल्लेखनीय है कि रविवार को बकरीद भी है, लिहाजा इसके बदले बैंकों में छह अक्टूबर को भी छुट्टी होने की बात कही जा रही है। इस तरह लगातार सप्ताह भर से अधिक अवधि तक बैंक बंद रहेंगे। बताया गया है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स भी इससे चिंतित है। संस्था के अध्यक्ष बीसी. भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इसे बारे में देश भर के व्यापारियों को सर्कुलर जारी कर 29 सितंबर तक सभी जरूरी बैंकिंग लेन-देन कर लेने और पर्याप्त स्टॉक रख लेनेे की सलाह दी है। नगर के तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह ने कहा कि बीते तीन माह बरसात, चार्तुमास और श्राद्ध आदि के कारण शादी, व्याह, धार्मिक आयोजन खनन तथा अन्य खरीददारी की व्यापारिक गतिविधियां ठप रही है। इधर भी पहले ही कलक्ट्रेट व शिक्षा सहित अनेक सरकारी विभागों में कर्मचारी हड़ताल पर हैं। अब तीन माह के बाद धार्मिक आयोजन, शादी-व्याह, खनन तथा अन्य व्यापारिक क्रियाकलाप प्रारंभ होने से व्यापारी कुछ आशान्वित हुए थे, लेकिन लंबी छुट्टियांे से कामकाज के और बुरी तरह प्रभावित होने की उम्मीद है। कोशिष करेंगे कि बीच के दिनों में ही कुछ वित्तीय काम-काज निपटा लिया जाए।

नैनीताल के पैक होने की उम्मीद

नैनीताल। अगले पूरे सप्ताह लंबी छुट्टियों से जहां व्यापारी व आम जन प्रभावित होंगे, वहीं सरोवरनगरी के पर्यटन के लिहाज से पैक होने की उम्मीद है। नगर में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान की वजह से पहले ही कई प्रमुख होटल इस बीच बंद चल रहे हैं, और अपनी बुकिंग नहीं ले रहे हैं, इस कारण बड़े व अच्छे होटलों में खासकर दो अक्टूबर से लेकर अगले चार दिन की बुकिंग नहीं मिल पा रही हैं। इन होटलों के सभी कमरे अभी से पैक हो गए बताए गए हैं।

सोमवार, 22 सितंबर 2014

उत्तराखंड की नौकरशाही का भगवान ही मालिक : किशोर उपाध्याय

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा, अमित शाह नहीं संभाल सकते पूरा देश
कहा, गुजरात के तड़ीपार हैं अमित शाह गैरसैंण में राज्य की राजधानी बनाने का किया समर्थन, राज्य सरकार से वहां पार्टी कार्यालय के लिए जमीन भी मांगी
नैनीताल (एसएनबी)। अपनी ताजपोशी के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का पहली बार सरोवरनगरी आगमन अनेक विवादों को जन्म दे सकता है। यहां उन्होंने जहां कई विवादास्पद टिप्पणियां कीं। वहीं उनके स्वागत में जिस तरह बाहर से आये कार्यकर्ताओं ने अपने नाम के होर्डिग लेकर मुंह दिखाई का प्रदर्शन किया, वह भी अभूतपूर्व रहा। 
नैनीताल क्लब में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक के उपरांत मीडियाकर्मियों से बातचीत में उपाध्याय ने पहली टिप्पणी प्रदेश की नौकरशाही को लेकर की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नौकरशाही का भगवान ही मालिक है। राज्य इन अधिक पढ़-लिखकर आ गए लोगों के लिए नहीं बना है। उन्होंने प्रदेश के सीएम से इन पर लगाम लगाने के लिए कहा। राज्य की राजधानी के मसले पर किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने के पक्ष में है। पार्टी ने राज्य सरकार से गैरसैंण में अपने प्रदेश मुख्यालय के लिए जमीन दिलाने का आवेदन भी कर दिया है। केदारनाथ में राज्य सरकार द्वारा गौरीकुंड तक सड़क तैयार कर लिए जाने व सब कुछ बेहतर होने का दावा करते हुए किशोर ने 2013 की केदारनाथ आपदा से पूरे प्रदेश को प्रभावित बताने के लिए मीडिया को दोषी ठहराया। उनके शब्द थे, ‘इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया ने केदारनाथ की आपदा को इस तरह दिखाया कि पूरे प्रदेश का पर्यटन प्रभावित हो गया, जबकि आपदा केवल सीमित क्षेत्र में आयी थी।’ पत्रकारों द्वारा यह याद दिलाने पर कि तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यात्रियों-सैलानियों से प्रदेश में न आने का बयान दिया था, किशोर बगलें झांकते नजर आए। बमुश्किल बोले, यदि ऐसा था तो गलत था। सत्तापक्ष के विधायकों द्वारा राज्य सरकार की खिंचाई किये जाने के प्रश्न पर किशोर ने कहा कि अपने हितों को जनता के हितों का नाम देकर पेश करना गलत है। सदन में मर्यादित तरीके से ही अपनी बात उठाई जानी चाहिए। उन्होंने एक बार फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लेकर अपनी टिप्पणी दोहराई। कहा, ‘अमित शाह अपने प्रदेश गुजरात से बाहर किए गए ‘तड़ीपार’ हैं। ऐसा व्यक्ति देश को कैसे संभाल सकता है। संभवतया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई मजबूरी है, जो वह शाह को नजरअंदाज नहीं कर पा रहे हैं।’

सीएम को स्वस्थ होने के लिए दिया जाना चाहिए समय

नैनीताल। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय राज्य में अवरुद्ध विकास कायरे के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराते रहे, लेकिन जब वह प्रदेश सरकार के कायरे के सवालों पर घिरे तो बोले, ‘मुख्यमंत्री हरीश रावत घायल हैं, उन्हें स्वस्थ होने का समय दिया जाना चाहिए। हम सभी देवभूमि के वासी हैं, हमें ऐसे संवेदनशील मामलों में बड़ा दिल रखना चाहिए।’

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

प्राकृत पर्वताकार रूप में प्रकटीं मां नंदा-सुनंदा


‘जै भगौति नंदा’ के जयकारों से गूंजी सरोवरनगरी सुबह से लेकर तीसरे प्रहर तक होता रहा भजन-कीर्तन एक लाख के करीब श्रद्धालुओं ने नवाए शीश
नैनीताल (एसएनबी)। ‘जै मां जै, जै भगौती नंदा, जै मां ऊंचा कैलाश की’ के जयकारों से सरोवरनगरी मंगलवार को पूरे दिन गुंजायमान रही। सरोवरनगरी नैनीताल एवं आसपास के गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां नंदा-सुनंदा के दर्शन किये। लोगों में अटूट आस्था व श्रद्धा बरसाने वाली मां नंदा-सुनंदा पवित्र कदली वृक्षों से ‘प्राकृत पर्वताकार रूप में’ मंगलवार को सुबह ब्रह्म मूहूर्त में जैसे ही प्रकट हुईं, श्रद्धालुओं के जैकारे से आसमान गूंज गया। फिर तो पूरे दिन के लिए मां के सच्चे दरबार में जैसे भक्तों का रेला उमड़ आया, सुबह से लेकर तीसरे पहर तक भजन-कीर्तन होते रहे और जयकारे लगते रहे। 
मंगलवार सुबह तड़के ब्रrा मूहूर्त में साढ़े तीन बजे से मां नंदा व सुनंदा की कदली वृक्ष से बनाई गई मूर्तियों को मां नयना देवी मंदिर परिसर में बनाए गए पारंपरिक दरबार में रखा गया और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया शुरू हुई। चंदवंशीय राजाओं की काशीपुर शाखा के राजपुरोहित पं. दामोदर जोशी एवं पं. जगदीश लोहनी ने आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष मुकेश जोशी के सपत्नीक यजमानत्व में यह विशेष पूजा-अर्चना आयोजित करवाई। इससे पूर्व रात्रि डेढ़-दो बजे से ही श्रद्धालु मंदिर में जम गए थे। आखिर लगभग दो घंटे के लंबे इंतजार के बाद मां के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गये। कुमाऊं के दूर दराज अंचलों से आए छोलिया नर्तक और लोक कलाकार के नैनीताल को संस्कृति की नगरी बना रहे हैं। वहीं मल्लीताल फ्लैट मैदान हाट बाजार और मेले के रूप में नजर आ रहा है, यहां ऊंचे-ऊंचे झूले लगे हुए हैं और उल्लासपूर्ण माहौल बन गया है। हर ओर मां नंदा महोत्सव के साथ धर्म और संस्कृति का उल्लास छाया हुआ है। श्रद्धालुओं के हुजूम नजर आ रहे हैं। आज पहले दिन लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। बाहर नौकरी-व्यवसाय करने वाले अनेक लोग भी घर लौट आए हैं। मेला लोगों-महिलाओं को मिलने का मौका भी उपलब्ध करा रहा है।


बलि परम्परा को लेकर रहा तनाव

नैनीताल (एसएनबी)। नंदा देवी महोत्सव में बलि की परम्परा पर प्रशासन के रवैये से शहर में तनावपूर्ण स्थिति रही। पुलिस ने बकरों को शहर में ही प्रवेश नहीं करने दिया। इससे श्रद्धालुओं में प्रशासन के प्रति बेहद आक्रोश रहा। हिंदूवादी संगठनों में पुलिस के घेरे को तोड़कर प्रथा को जारी रखने की करीब चार बार कोशिश की। दो बार प्रशासन के रवैये के विरोध में नयना देवी मंदिर के गेट भी बंद कर दिए गए। हिंदूवादी संगठनों ने पहले तड़के तथा फिर नौ बजे मंदिर परिसर में बलि प्रथा का जारी रखने की कोशिश की। नौ बजे कार्यकर्ता मेला क्षेत्र के बीच से एक बकरे को दौड़ाकर मंदिर की ओर बढ़े। गुरुद्वारे के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया और विरोध करने पर मारपीट की गई। इससे आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मंदिर का गेट बंद कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर पुलिस कर्मियों व एसओजी के सादी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों ने दो युवकों को कोतवाली पहुंचा दिया, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

रविवार, 31 अगस्त 2014

मां नयना की नगरी में कदली रूप में आई मां नंदा-सुनंदा

मूसलाधार बारिश के बीच सैकड़ों महिलाओं, छात्र- छात्राओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर कराया नगर भ्रमण
नैनीताल (एसएनबी)। एक वर्ष के लंबे अंतराल और एक-एक दिन गिनने के बाद आखिर वह दिव्य पल आ गए जब राज्य की कुलदेवी मां नंदा और सुनंदा पवित्र कदली (केला) वृक्षों के रूप में मां नयना की नगरी में लौट आईं। अब वह अगले छह दिनों तक एक बेटी के रूप में अपने मायके में रहेंगी। उनके आगमन पर आज नगर के सभी नर-नारी श्रद्धालु हर्षित हो उठे। उनके नगर भ्रमण में सैकड़ों लोगों, खासकर महिलाओं की भीड़ मूसलाधार बारिश के बावजूद पारम्परिक परिधानों में उमड़ी, जबकि बड़ी संख्या में नगरवासियों ने सड़क किनारे और घरों की बुजरें से भी उनके दर्शन करते हुए उनका स्वागत किया। 
रविवार को पवित्र कदली वृक्षों के रूप में मां नंदा-सुनंदा का मंगोली से आकर सबसे पहले सूखाताल में अवतरण हुआ। यहां आदर्श रामलीला कमेटी सूखाताल के सदस्यों, महिलाओं व अन्य श्रद्धालुओं में माता का स्वागत किया, यही सिलसिला कदली दलों के तल्लीताल स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में पहुंचने पर भी चला। दोनों स्थानों पर भंडारे व प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। वैष्णव देवी मंदिर समिति के सदस्यों ने कदली वृक्षों की परम्परा के अनुसार पूजा- अर्चना की। यहां से शक्ति स्वरूपा मां नंदा-सुनंदा कदली वृक्षों के रूप में नगर भ्रमण पर निकलीं। तल्लीताल धर्मशाला और बाजार से पारम्परिक रंग्वाली लहंगे-पिछौड़े में सजी माउंट रोज महिला समिति सहित कई संगठनों की पूर्व सभासद मंजू रौतेला, मंजू पाठक, सरस्वती खेतवाल, जीवंती भट्ट, तारा राणा, दया बिष्ट व लीला साह आदि महिलाएं व छात्राएं कुमाऊं के परम्परागत घांघरा व रंग्वाली पिछौड़ा के वस्त्रों में सजकर और मां के रूप में आत्मसात होकर कलश यात्रा में भारी बारिश में तरबतर होते हुए भी भजन-कीर्तनों से साथ चल रही थीं। श्रद्धालु ‘जै मां नंदा सुनंदा तेरी जै जैकारा’ के गगनभेदी नारे लगा रहे थे। बैंड एवं कुमाऊं के पारम्परिक छोलिया नर्तक, ढोलद माऊ, मशकबीन व नगाड़े की थाप पर लोगों में जोश भर रहे थे। सबसे आगे शांति का प्रतीक धवल ेत तो सबसे पीछे विजय के लिए क्रांति का संदेश देता लाल ध्वज पारंपरिक रूप में चल रहा था। मां नगर भ्रमण करते हुए माल रोड से नैनी सरोवर का चक्कर लगा कर मल्लीताल बाजार पहुचीं, जहां आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा में कुछ देर विश्राम एवं पूजा-अर्चना के पश्चात कदली वृक्षों को मां के आकर्षक मूर्ति रूप में परिवर्तित करने के लिए नयना देवी मंदिर के समीप रख दिया गया। शोभायात्रा में श्रीराम सेवक सभा के संरक्षक गंगा प्रसाद साह, अध्यक्ष मुकेश जोशी, महासचिव राजेंद्र लाल साह, मुकुल जोशी, कमलेश ढौंढियाल, अनूप शाही, विमल चौधरी, जगदीश बवाड़ी, अजय बिष्ट, देवेंद्र लाल साह व कैलाश जोशी, तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह, विक्की राठौर व राजेंद्र मनराल सहित सभी सदस्य एवं नगर के बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। महिलाओं की संख्या सर्वाधिक रही। बच्चों को बारिश की वजह से रोक दिया गया।

बारिश संग मौसम ने कराए दिव्य अनुभव

नैनीताल। माता नंदा के कदली स्वरूप में नगर भ्रमण के अवसर पर मूसलाधार बारिश हुई। इससे पूर्व बीते कुछ दिनों से खिली धूप के बीच महोत्सव के दीप प्रज्वलन के बाद बारिश का सिलसिला चल पड़ा है। उल्लेखनीय है कि बारिश को धार्मिक आयोजनों के बीच बेहद शुभ माना जाता है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब शोभायात्रा के शुरू होते ही मूसलाधार बारिश हुई। इसे श्रद्धालु माता के मायके में पहुंचने के दिव्य अनुभवों से जोड़कर देख रहे हैं।

भावुक हुई महिलाएं

नैनीताल। कालाढूंगी मार्ग स्थित मंगोली के ग्रामीण आज स्वयं को धन्य मान रहे थे। कारण, उनके गांव को इस वर्ष के नंदा महोत्सव के लिए कदली वृक्ष लाने के लिए चयनित किया गया था। इस दौरान गांव में एक ओर जश्न जैसा माहौल था, जो कदली वृक्षों की नैनीताल को विदाई के दौरान बेहद भावुक पलों में बदल गया। कई महिलाएं झूम रही थीं। इससे पूर्व गत रात्रि गांव में चयनित कदली वृक्षों की विशेष पूजा हुई।

यह भी पढ़ें : मां नयना की नगरी में होती है मां नंदा की ‘लोक जात’

::एक्सक्लूसिव::पिछले छह वर्षों की माता नंदा-सुनंदा की मूर्तियां देखिए 

शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

प्रदेश के नये मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसफ को केरल के मोनार की तरह खूबसूरत लगा नैनीताल

प्रदेश के नये मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसफ ने कहा हर सेवा राष्ट्र की सेवा
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के नये एवं नौवें मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ ने कहा कि वह हर सेवा को भारत देश की सेवा मानते हैं। उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने को भी वह देश की सेवा ही मानते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें देश के कानून का पालन करना सुनिश्चित करने और कोई असंवैधानिक गतिविधि न होने देने की जिम्मेदारी मिली है, जिसका वह पूरी शक्ति से पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह केरल से आए हैं, जिसे ‘लैंड ऑफ गॉड’ यानी देवताओं की भूमि कहा जाता है और यह संयोग तथा दोनों राज्यों के बीच समानता है कि उत्तराखंड को भी देवभूमि कहा जाता है। उन्होंने कहा कि हर स्थान का हर नागरिक बिना किसी दबाव के सही न्याय चाहता है। उनकी कोशिश रहेगी कि उत्तराखंडवासियों को ऐसा ही बिना किसी दबाव के सही न्याय, त्वरित न्याय दिलाएं। उन्होंने बताया कि पहली बार नैनीताल आये हैं और यह स्थान उन्हें केरल के मोनार की तरह बेहद खूबसूरत लगा है। नए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसफ मूलत: कोच्चि (केरल) के रहने वाले हैं। उनकी शिक्षा केंद्रीय विद्यालय कोच्चि, नई दिल्ली, चेन्नई व एर्नाकुलम में हुई है। उन्होंने अपनी वकालत 12 जनवरी 1082 को प्रारंभ की। केरल उच्च न्यायालय में 1983 से प्रैक्टिस शुरू की। वह केरल हाईकोर्ट के वकीलों के संगठन के स्थायी सदस्य हैं तथा 14 अक्टूबर 2004 में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। 

नौवें मुख्य न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति जोसफ

राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने दिलाई शपथ
नैनीताल (एसएनबी)। न्यायमूर्ति केएम जोसफ नैनीताल हाईकोर्ट के नौवें मुख्य न्यायाधीश बन गये हैं। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति जोसफ नैनीताल हाईकोर्ट में शपथ ग्रहण करने वाले प्रदेश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक ए. देसाई ने ही नैनीताल हाईकोर्ट में शपथ ली थी जबकि अन्य मुख्य न्यायाधीशों को देहरादून में ही शपथ दिलाई गई थी। बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में न्यायमूर्ति जोसफ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान की धुन के साथ हुई। रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से गत 16 जुलाई को केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश केएम जोसफ की नियुक्ति का वारंट पढ़कर सुनाया। इसके बाद राज्यपाल ने न्यायमूर्ति जोसफ को नैनीताल हाईकोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति बीके बिष्ट, न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया, न्यायमूर्ति आलोक सिंह, न्यायमूर्ति सव्रेश कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश इरशाद अहमद, जेसीएस रावत, राजेश टंडन व बीएसवर्मा, विधानसभा अध्यक्ष गोबिंद सिंह कुंजवाल, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश, महाधिवक्ता यूके उनियाल, विधायक सरिता आर्या, नगरपालिका अध्यक्ष श्यामनारायण, जिला न्यायाधीश एनएस धानिक, उजाला की निदेशक मीना तिवारी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, डीजीपी बीएस सिद्धू, कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी, कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल, डीआईजी अनंत राम चौहान, डीएम अक्षत गुप्ता, एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन, केएमवीएन के एमडी दीपक रावत, कमांडेंट अनन्त शंकर ताकवाले, मुख्य वन संरक्षक एसएस शर्मा व अन्य अधिवक्तागण व अधिकारी उपस्थित थे।


गुरुवार, 24 जुलाई 2014

हफ्ते भर में नौ फीट बढ़ा नैनी झील का जलस्तर


  • 17 जुलाई को जल स्तर था शून्य से नीचे, 
  • 23 जुलाई को पहुंचा 8.7 फीट के स्तर पर, एक इंच खोले गये गेट

नैनीताल (एसएनबी)। नैनी झील पर कुदरत बारिश के रूप में मेहरबान हो ही गई है। बीते एक सप्ताह में नैनी झील का जलस्तर करीब नौ फीट ऊपर चढ़ गया। बुधवार को यह जुलाई माह के लिए निर्धारित साढ़े आठ फीट के स्तर को भी पार कर 8.7 फीट के स्तर पर पहुंच गया और इसके बाद एक वर्ष बाद झील के गेट (डांठ) एक इंच खोल दिए गए हैं। गौरतलब है कि बीती 14 जुलाई से ही नगर में मानसून की बारिश शुरू हो पाई है। इससे पहले झील के किनारे बड़े-बड़े डेल्टा नजर आ रहे थे। नगर में 14 जुलाई को 2.54 मिमी, 15 को 3.81, 16 को 198.12, 17 को 63.5, 18 को 325.12, 19 को 396.24, 20 को 238.76, 21 को 15.24, 22 को 30.48 व आज 23 को 8.89 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है। इस तरह इस वर्ष अब तक कुल मिलाकर 2,506.98 मिमी बारिश हो चुकी है। इसके साथ ही झील का जलस्तर बीते 24 घंटों में चार इंच बढ़कर सुबह साढ़े आठ बजे 8.7 फीट पर पहुंच गया। इसके बाद दोपहर साढ़े 11 बजे झील के गेटों को इस वर्ष में पहली बार एक इंच खोल दिया गया। उल्लेखनीय है कि झील के गेट खोलने से झील का पानी बाहर चला जाता है, और इसे आमतौर पर स्थिर पानी वाली नैनी झील का पानी ‘रिफ्रेश’ हो पाता है, और इसे झील के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। इधर बुधवार को भी नगर में रिमझिम बारिश का सिलसिला चलता रहा। मौसम विभाग के अनुसार दिन का अधिकतम तापमान 23.2 व न्यूनतम 17.9 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

उत्तराखंड से पहले मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत

नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बाद मेघालय हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए हैं। इस तरह वह यह दोनों उपलब्धियां हासिल करने वाले उत्तराखंड राज्य के पहले व्यक्ति भी बन गए हैं।
गत वर्ष 18 सितंबर को राष्ट्रपति की स्वीकृति पर न्याय विभाग के संयुक्त सचिव प्रवीण गर्ग की ओर से उन्हें मेघालय हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति का नोटिफिकेशन उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मिला था। इसके बाद वह दिल्ली रवाना हो गए। न्यायमूर्ति पंत उत्तराखंड के पहले निवासी हैं जो किसी प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश बने और अब सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीष पद पर उनकी नियुक्ति हुई है। उनसे पूर्व न्यायमूर्ति बीसी कांडपाल को ही उत्तराखंड हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहने का गौरव प्राप्त हुआ था, जबकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वर्तमान कार्यकारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीके बिष्ट भी उत्तराखंड के ही हैं।
मेघालय का मुख्य न्यायाधीष बनने पर उन्होंने अपनी उपलब्धि का श्रेय बड़े भाई चंद्रशेखर पंत को दिया था। इस मौके पर ष्राष्ट्रीय सहाराष् से बातचीत में न्यायमूर्ति पंत ने कहा कि वह ईमानदारी और निडरता से कार्य करने वाले न्यायाधीशों को ही सफल मानते हैं। पदोन्नति के बजाय मनुष्य के रूप में सफलता ही एक न्यायाधीश और उनकी सफलता है। आज भी वह 1976 में नैनीताल के एटीआई में न्यायिक सेवा शुरू करने के दौरान प्रशिक्षण में मिले उस पाठ को याद रखते हैं, जिसमें कहा गया था कि एक न्यायिक अधिकारी को ‘हिंदू विधवा स्त्री’ की तरह रहते हुए समाज से जुड़ाव नहीं रखना चाहिए। इससे न्याय प्रभावित हो सकता है।

बुधवार, 25 जून 2014

बेड पर लेटकर ही चुनाव लड़ेंगे मुख्यमंत्री हरीश रावत

-विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिह कुंजवाल ने अनौपचारिक बातचीत में दिए संकेत
नवीन जोशी, नैनीताल। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान यानी एम्स दिल्ली में भर्ती प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य की खाली हुई धारचूला सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। खास बात यह होगी कि वह अपने अपने चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए जाना दूर, नामांकन के लिए भी क्षेत्र में नहीं आएंगे। उनके नामांकन की औपचारिकता निर्वाचन अधिकारी एम्स दिल्ली जाकर ही पूरी कराएंगे। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिह कुंजवाल ने नैनीताल में अनौपचारिक बातचीत में इस बात के साफ संकेत दिए।
मुख्यमंत्री के अस्पताल के बेड से ही चुनाव लड़ने से पार्टी को प्रत्याशी के पक्ष में सहानुभूति के तौर पर अलग से मनोवैज्ञानिक लाभ मिल सकता है। ऐसे में शेष दो सीटें  भी सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिल पाएंगी।
गौरतलब है कि एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वरिष्ठ काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश को शैडो मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी सोंप कर यह संकेत दे दिए हैं कि अभी उनका काफी वक्त एम्स दिल्ली में ही बीतना तय है। मालूम हो कि विगत दिनों दिल्ली में हैलीकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान मुख्यमंत्री गले में झटका खाने की वजह से एम्स में भर्ती हैं। अब विस अध्यक्ष कुंजवाल ने जिस तरह के संकेत दिए हैं, उससे साफ है कि मुख्यमंत्री राज्य में विधानसभा की खाली हुई तीन सीटों के उप चुनावों के लिए नई रणनीति बना चुके हैं। अल्मोड़ा के लिए उन्हें रेखा आर्या के रूप में भाजपा से तोहफे की तरह मजबूत प्रत्याशी मिल चुका है, जबकि धारचूला से चूंकि कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने रणनीति के तहत ही मुख्यमंत्री के लिए सीट खाली की है, इसलिए धारचूला को कांग्रेस आसान मानकर चल रही है। ऐसे में कांग्रेस और मुख्यमंत्री की कोशिश मुख्यमंत्री को चुनाव ल़ाकर पाटने और बीते लोक सभा चुनाव में मिली पांच-शून्य की करारी हार का बदला चुकाने की भी है।
वहीं कुंजवाल ने केंद्र सरकार के महंगाई बढाने संबंधी कदमों पर बचाव करते हुए कहा कि अभी केंद्र सरकार को काफी कम समय हुआ है, इसलिए वह भी उम्मीद कर रहे हैं कि आगे अच्छे दिन आएंगे।

हालात के लिए पीएम या सीएम नहीं जनता जिम्मेदार : कुंजवाल



कहा, आजादी के बाद न देश के हालात बदले और न ही राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के
नैनीताल (एसएनबी)। अपने बेलाग बोलों के लिए प्रसिद्ध प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दो टूक कहा कि आजादी के बाद न देश में हालात बदले और ना ही अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में। आजादी के बाद भी देश में अंग्रेजी दौर की और उत्तराखंड में यूपी के दौर की पुरानी व्यवस्था ही कमोबेश लागू रही। उन्होंने मौजूदा बुरे हालातों के लिए राजनीतिज्ञों की जगह जनता को ही अधिक जिम्मेदार बताया। कहा, ‘कोई भी पीएम या सीएम नहीं वरन मतदाता दोषी हैं।’
कुंजवाल बुधवार को कुमाऊं विवि के यूजीसी अकादमिक स्टाफ कालेज में ‘इकानामिक्स, पालिटिक्स एंड सिविल सोसायटी’ विषयक कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जनता अच्छे प्रत्याशियों को वोट नहीं देती और चुनाव में धन व बाहुबल प्रदर्शित करने वाले प्रत्याशियों को पल्रोभन में आकर वोट देती है। ऐसे में सभी प्रत्याशियों को चुनाव में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा, जो प्रत्याशी दो करोड़ रपए खर्च कर विधायक बनेगा, उससे ईमानदारी से कार्य करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। बोले, देश में अच्छे से अच्छा नियम-कानून बनता है तो उसे भी तोड़ने के रास्ते निकाल लिए जाते हैं। आरटीआई और मनरेगा को बहुत अच्छे प्राविधान बताने के साथ ही उन्होंने स्वीकारा कि आज सर्वाधिक भ्रष्टाचार इन्हीं के द्वारा हो रहा है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों की भी कार्य को पूरा समय न देने, मोटी तनख्वाह पर हाथ न लगाकर ऊपरी कमाई से ही परिवार चलाने की परिपाटी बनने जैसे मुद्दों को भी छुआ।

गुरुवार, 19 जून 2014

उत्तराखंड में बनेगा ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतरराष्ट्रीय संस्थान’

-हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है स्वरूप
-दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा ली गई बैठक में बनी सहमति
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड में ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतर्राष्ट्रीय संस्थान’ (इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज) की स्थापना की जाएगी। इसका स्वरूप हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है। राज्य में दिल्ली में बीती मंगलवार यानी 17 जून 2014 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस पर सहमति दे दी गई है, तथा प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव डा. उमाकांत पवार को इस बाबत विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कह दिया गया है। अब उत्तराखंड सरकार को तय करना है कि यह संस्थान अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय राज्य में कहां स्थापित होगा। अलबत्ता, उम्मीद की जा रही है कि यह राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थापित किया जा सकता है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में  हुई बैठक में उपस्थित रहे कुमाऊं 
विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने दिल्ली से दूरभाष पर बताया कि उत्तराखंड में ‘इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज’ पर सहमति बनना राज्य के लिए खुशखबरी है। इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में न केवल हिमालयी क्षेत्रों की नाजुक प्रकृति, आपदा आने की लगातार संभावनाओं, सतत विकास की ठोस प्रविधि विकसित करने, जैव विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं विकास के बीच जरूरी साम्य तय करने के मानकों के साथ ही हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, विरासत एवं यहां की विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी कुमाउनी व गढ़वाली के साथ ही जौनसारी, भोटिया, थारू, बोक्सा व रांग्पो सहित प्रदेश की सभी लोक भाषाओं के संरक्षण के कार्य भी किए जाएंगे। 

पंत के नाम से ही हो सकता है प्रस्तावित टैगोर पीठ 

नैनीताल। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 12वीं योजना के तहत अल्मोड़ा में प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत पर अध्ययन एवं शोध के लिए रवींद्र नाथ टैगोर के नाम पर पीठ स्थापित किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था। कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि पहले नोबल पुरस्कार विजता सात्यिकारों के नाम पर ही पीठ स्थापित किए जाने का प्राविधान था। अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने क्षेत्र के प्रेरणादायी सात्यिकारों के नाम पर भी ऐसे पीठ स्थापित किए जाने की हामी भर दी है, जिसके बाद पीठ का नाम पंत के नाम पर ही हो सकता है। प्रो. धामी ने बताया कि इसके अलावा उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में गुजरात की तर्ज पर ‘नो युवर कॉलेज’ कार्यक्रम भी शुरू किया जा सकता है, इसके तहत छात्र-छात्राओं को उनके परिसरों की जानकारी दी जाएगी।

रविवार, 1 जून 2014

नैनीताल विधानसभा में केवल 30 बूथों पर ही मामूली अंतर से आगे रही कांग्रेस

-शेष 80 फीसद यानी 116 बूथों पर भाजपा प्रत्याशी कोश्यारी को मिली भारी बढ़त
नवीन जोशी, नैनीताल। आजादी के बाद से विशुद्ध रूप से केवल एक और संयुक्त क्षेत्र होने पर दो बार ही भाजपा के खाते में गई नैनीताल विधानसभा में कांग्रेस का हालिया लोक सभा चुनावों में कमोबेश पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया लगता है। मोदी की आंधी में इस बार इस विधानसभा क्षेत्र के 146 में से करीब 20 फीसद यानी 30 सीटों पर ही कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा कहीं दो से लेकर अधिकतम 132 वोटों की बढ़त ले पाए, जबकि भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी ने 80 फीसद यानी 116 बूथों से अपनी बढ़ी जीत की इबारत लिखी। 
आजादी के बाद से भााजपा के लिए नैनीताल विधानसभा में कालाढुंगी का बड़ा हिस्सा जुड़ा होने के उत्तराखंड बनने से पहले के दौर में बंशीधर भगत चुनाव जीते थे। तब भी वर्तमान नैनीताल विधानसभा के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कमोबेश पिछड़ते ही रहते थे। उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा के खड़क सिंह बोहरा 2007 में कोटाबाग और कालाढुंगी क्षेत्र में बढ़त लेकर बमुश्किल यहां से चुनाव जीत पाए थे। 
बीते 2012 के विधानसभा चुनावों में यहां से चुनाव के कुछ दिन पहले ही प्रत्याशी घोषित हुईं, और चुनाव क्षेत्र में ठीक से पहुंच भी न पाईं सरिता आर्या ने 25,563 वोट प्राप्त कर पांच वर्ष से दिन-रात चुनाव की तैयारी में जुटे भाजपा प्रत्याशी हेम चंद्र आर्या को 6358 मतों के बड़े अंतर से हरा दिया था। लेकिन, दो वर्ष के भीतर ही हुए लोक सभा चुनावों में कांग्रेस यहां बुरी तरह से पस्त हो गई नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी केवल 30 बूथों पर मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशी से आगे रह पाए हैं। उल्लेखनीय है कि नैनीताल विधानसभा में में भाजपा को 30,173 व कांग्रेस को 21,575 वोट मिले हैं और कांग्रेस 8,578 वोटों से पीछे रही है। इससे क्षेत्र के प्रभावी कांग्रेसी नेताओं के अपने बूथों पर प्रत्याशी को जिताने के दावों की कलई भी बुरी तरह से खुल गई है।

इन बूथों पर ही आगे रह पाए बाबा 

नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी केवल मल्ली सेठी, बेतालघाट, तौराड़, हल्सों कोरड़, रतौड़ा (दाड़िमा), तल्ली पाली, धूना (केवल दो मतों से), गरजोली, हरौली, ताड़ीखेत (13 मतों से), गौणा, ठुलीबांज, कफुड़ा, मल्लीताल सीआरएसटी कक्ष नंबर तीन व चार, राप्रावि मल्लीताल कक्ष नंबर तीन, अयारपाटा कक्ष नंबर दो (केवल नौ मतों से), मल्लीताल स्टेडियम, नारायणनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नं. दो, राइंका तल्लीताल कक्ष एक (सर्वाधिक 168 मतों से), राइंका तल्लीताल कक्ष दो, गेठिया कक्ष दो, भूमियाधार (136 मतों से), छीड़ागांजा, ज्योलीकोट कक्ष एक (29 मतों से, कक्ष दो में 18 मतों से पीछे), पटुवाडांगर, गहलना (सिलमोड़िया), सौड़ व कुड़खेत में ही आगे रहे हैं। 

सरोवरनगरी में भी चली मोदी की आंधी

जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल हमेशा से कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। किसी भी तरह के चुनावों के इतिहास में नैनीताल से कभी भी भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के मुकाबले आगे नहीं रहे हैं। एकमात्र 2004 में भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल नैनीताल मंडल से आगे रहे थे, पर तब भी उनके आगे रहने में खुर्पाताल के ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान रहा था। वर्तमान कांग्रेस विधायक सरिता आर्या नैनीताल की पालिकाध्यक्ष भी रही हैं, बावजूद वह अपने वोटों को मोदी की आंधी में उड़ने से नहीं रोक पाईं। भाजपा को नैनीताल नगर के 37 बूथों में इतिास में सर्वाधिक 9,154 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस 7,021 वोटों के साथ 2,153 वोटों से पीछे रह गई है। नगर के नारायणनगर, हरिनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नंबर 1 और मल्लीताल के कुछ मुस्लिम, दलित व कर्मचारी बहुल क्षेत्रों के केवल नौ बूथों पर ही कांग्रेस अपनी साख बचा पाई है। वहीं भाजपा ने नगर के राबाप्रावि मल्लीताल में 439 मत प्राप्त कर विधानसभा में सर्वाधिक 182 वोटों से बढ़त दर्ज की है।

रविवार, 25 मई 2014

2009 में ही नैनीताल में दिखाई दे गई थी मोदी में ‘पीएम इन फ्यूचर’ की छवि

छह मई 2009 को नैनीताल के फ्लैट्स मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
-अपनी फायरब्रांड हिंदूवादी नेता की छवि के विपरीत की थी गुजरात के विकास की बात
-यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाइंस’ और सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी के लिए किया था ‘एसआरपी’ शब्द का प्रयोग
नवीन जोशी, नैनीताल। देश के मनोनीत प्रधानमंत्री एवं आज देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले रहे नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी वर्ष 2009 में छह मई को लोक सभा चुनाव के प्रचार के लिए भाजपा प्रत्याशी बची सिंह रावत के प्रचार के लिए नैनीताल आए थे। नैनीताल में उस दौर की जनसभाओं के लिहाज से पहली बार भारी भीड़ उमड़ी थी, और लोग भाजपा के तत्कालीन ‘पीएम इन वेटिंग’ लाल कृष्ण आडवाणी की जगह मोदी के मुखौटे चेहरों पर लगा कर रैली में आए थे। साफ था कि मोदी तभी से आज के दिन की तैयारी कर रहे थे। उनके भाषणों में गुजरात का विकास पूरी तरह से छाया हुआ था। अपनी रौ में मोदी ने यहां जो कहा, उसमें विकास का मतलब ‘गुजरात’ हो गया और यूपीए सरकार के साथ ही एनडीए काल की ‘दिल्ली’ भी मानो कहीं गुम हो गई थी। उन्होंने यहां आडवाणी का नाम भी केवल एक बार उनके (आडवाणी के द्वारा) तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को कमजोर कहने के एक संदर्भ के अलावा कहीं नहीं लिया था। 
नैनीताल में मोदी को माता नंदा-सुनंदा के चित्र युक्त प्रतीक चिन्ह भेंट करते बची सिंह रावत, बलराज पासी व अन्य स्थानीय नेता। 
नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए फ्लैट्स मैदान में हुई उस जनसभा में मोदी अपने भाषण में पूरी तरह गुजरात केंद्रित हो गऐ थे। उनकी आवाज में यह कहते हुऐ गर्व था कि कभी व्यापारियों का माना जाने वाला गुजरात उनकी विकास परक सरकार आने के बाद से न केवल औद्योगिक क्षेत्र में वरन बकौल उनके एक अमेरिकी शोध अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर खारे पानी के समुद्र और रेगिस्तान से घिरा गुजरात कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए भी देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उन्होंने बताया, गरीबों के हितों के लिए चलाऐ जाने वाले 20 सूत्रीय कार्यक्रमों में गुजरात नंबर एक पर रहा है, साथ ही सूची में प्रथम पांच स्थानों पर भाजपा शासित और प्रथम 10 स्थानों पर एनडीए शासित राज्य ही हैं, तथा एक भी कांग्रेस शासित राज्य नहीं है। इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने पूछा कि ऐसे में कैसे ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ हो सकता है। मोदी ने गुजरात की कांग्रेस शासित राज्य आसाम से भी तुलना की। कहा, दोनों राज्य समान प्रकृति के पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटे हैं। आसाम के मुसलमान परेशान हैं कि वहां भारी संख्या में हो रही बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से उन्हें काम और पहले जैसी मजदूरी नहीं मिल रही। यूपीए नेता घुसपैठियों को वोट की राजनीति के चलते नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी गुजरात में घुसने की हिम्मत करना तो दूर उनसे (मोदी से) डरे बैठे हैं। हालांकि मोदी को इस दौरान पूर्व की एनडीए सरकार की कोई उपलब्धि बताने के लिए याद नहीं आई, पर उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ अवश्य की। कहा, एकमात्र विकास ही देश को बचा सकता है। अपनी फायरब्रांड और कट्टर हिंदूवादी नेता की पहचान वाले मोदी अपनी छवि के अनुरूप एक शब्द भी नहीं बोले, जिससे सुनने वालों में थोड़ी बेचैनी भी देखी गई थी।
इसके अलावा मोदी शब्दों को अलग विस्तार देने व अलग अर्थ निकालने की कला भी नैनीताल में दिखा गए थे। उन्होंने यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाऐंस’ यानी असीमित प्रधानमंत्रियों का गठबंधन करार दिया। कहा कि शरद पवार, लालू यादव, पासवान सहित यूपीए के सभी घटक दलों के नेता प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बजाय स्वयं को भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैं, वहीं गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस के एक भी वरिष्ठ नेता ने उनका नाम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं लिया। उन्होंने गांधी परिवार के लिए ‘एसआरपी’ (सोनिया, राहुल व प्रियंका ) शब्द का प्रयोग करते हुए पूछा, क्या एसआरपी ही देश का अगला प्रधानमंत्री तय करेंगे। 

गुरुवार, 15 मई 2014

एनडी-उज्ज्वला की शादी को शास्त्र सम्मत नहीं मानते विद्वान


कहा, 75 वर्ष की उम्र से शुरू होता है संन्यास आश्रम, इसके बाद विवाह शास्त्र सम्मत नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता एनडी तिवारी के डा. उज्ज्वला शर्मा से विवाह करने के समाचार पर उनके गृह जनपद में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। सामाजिक रूप से जहां तिवारी के साथ अब तक ‘लिव-इन’ संबंधों में रह रही डा. शर्मा के साथ संबंधों को देर से ही सही स्वीकारने और संबंधों को सामाजिक मान्यता दिलाने की प्रशंसा हो रही है, वहीं 86 वर्ष की उम्र में हैदराबाद कांड होने और अब 89 वर्ष की उम्र में युवा रोहित शेखर को लंबी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पुत्र स्वीकारने के बाद उसकी माता को स्वीकारने को लेकर तरह-तरह की चुटकियां भी ली जा रही हैं। फेसबुक सरीखी सोशल साइटों पर इस मामले में पुत्र रोहित शेखर और कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को शादी के मामले में तिवारी द्वारा पछाड़ने जैसे व्यंग्यों के साथ जमकर कटाक्ष किए जा रहे हैं।
कुमाऊं के चंद वंशीय राजपुरोहित पं. दामोदर जोशी ने कहा कि तिवारी की उम्र विवाह की नहीं सन्यास आश्रम की है। इस उम्र में उन्हें इंद्रियों से संबंधित समस्त मानवीय वृत्तियों का न्यास यानी त्याग करना चाहिए था और त्याग व दान आदि श्रेष्ठ कर्मो के साथ अपने जीवन को ईर तथा देश के लिए समर्पित करना चाहिए था। वहीं आचार्य पं. जगदीश लोहनी का लखनऊ को केंद्र मानकर बने अंतर्राष्ट्रीय भाष्कर पंचांग के आधार पर कहना था कि धर्म शास्त्रों के अनुसार 75 की उम्र के बाद मनुष्य का संन्यास आश्रम शुरू हो जाता है। इस उम्र में विवाह शास्त्र सम्मत नहीं माना गया है। उधर, इस शादी को लेकर उत्तराखंड में दिन भर र्चचाओं का दौर शुरू हो गया है। इस शादी को लेकर एनडी समर्थकों व उनकी निजी जिंदगी की आलोचना करने वाले लोगों के बीच में बहस का विषय बना हुआ है कि क्या इस उम्र में शादी करना सही है। समर्थक व विरोधी दोनों ही अपनी- अपनी दलील दे रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस अनूठी शादी को लेकर आम लोगों में भी गहरी रुचि पैदा हो गयी है। इसके अलावा सोशल साइटों पर भी एनडी-उज्ज्वला को लेकर बहस छिड़ी है और कई कंमेंट्स लिखे जा रहे हैं। कई चुटकियां तो दोनों के भविष्य को लेकर भी हो रही हैं।

मंगलवार, 6 मई 2014

बिना पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र के ही हो रहे लोक सभा चुनाव !


चुनाव में अब तक जुबानी खर्च ही करते रहे प्रत्याशी, 
प्रचार के आखिरी दिन तक नहीं पहुंचे भाजपा-कांग्रेस सहित किसी भी राष्ट्रीय दल के चुनाव घोषणा पत्र
नवीन जोशी, नैनीताल। चुनावों के लिए पेश किये जाने वाले घोषणा पत्र राजनीतिक दलों के लिए खास होते हैं। जनता अपनी चुनी हुई सरकार से उसके चुनाव पूर्व प्रस्तुत घोषणा पत्र के आधार पर ही जवाब-तलब करती है, मगर संभवत: यह पहली बार होगा कि कुमाऊं मंडल और जिला मुख्यालय में लोकसभा चुनाव की समय सीमा समाप्त होने के दिन तक भाजपा व कांग्रेस सहित किसी दल के घोषणा पत्र नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में राजनीतिक दल जनता को अपने घोषणा पत्र नहीं दिखा रहे हैं और हवा-हवाई आरोप- प्रत्यारोपों के आधार पर ही वोट व समर्थन जुटा रहे हैं और संभवत: जनता भी जुबानी वादोंदा वों में ऐसे उलझी है कि वह भी राजनीतिक दलों से चुनाव घोषणा पत्र पढ़ने-संभालने को नहीं मांग रही है। गुजरे दौर में खासकर राजनीतिक दल अपने ही नहीं अन्य पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र अपने चुनाव कार्यालयों में रखते थे, ताकि जनता को दोनों की नीतियों और वादों का अंतर समझाया जा सके। ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने सोमवार को लोकसभा चुनाव में प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के दिन मुख्यालय में राजनीतिक दलों के चुनाव कार्यालयों का जायजा लिया, मगर किसी दल के चुनाव कार्यालय में पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र उपलब्ध नहीं थे। इस बारे में पूछने पर कहा गया कि इंटरनेट पर घोषणा पत्र उपलब्ध है यह जानते हुए कि देश-प्रदेश में इंटरनेट की उपलब्धता सीमित है। इसके साथ ही घोषणा पत्र किस यूआरएल पते या वेबसाइट पर उपलब्ध हैं इसकी जानकारी भी पार्टी के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नहीं है।
लगा प्रचार शुरू ही नहीं हुआ
नैनीताल। इस लोकसभा चुनाव में सही मायनों में पहाड़ पर और खासकर नैनीताल सीट व कुमाऊं मंडल तथा जिले के मुख्यालय में चुनाव प्रचार ठीक से शुरू ही नहीं हुआ था और यह सोमवार को प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ खत्म भी हो गया। इस दौरान स्टार प्रचारक कहने भर को यहां केवल भाजपा की ओर से शक्ति कपूर व आप की ओर से भगवंत मान और कांग्रेस के लिए सीएम हरीश रावत ही पहुंचे।

गुरुवार, 1 मई 2014

हिमालयी राज्यों के लिए बने सतत विकास की नीति

संसद में हिमालय को लेकर कभी गंभीरता से नहीं हुई चर्चा, राजनीतिक दल हिमालय पर करें मंथन जलवायु परिवर्तन होने के दुष्प्रभावों पर भी राजनीतिक दल हों गंभीर हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण करने की अत्यंत आवश्यकता
हिमालय को वाटर टावर ऑफ एशिया कहा जाता है। भारत में उत्तराखंड सहित 12 राज्य हिमालयी क्षेत्र में आते हैं। भारत की 60 करोड़ आबादी हिमालय से सीधे या परोक्ष तौर पर प्रभावित होती है, लेकिन हिमालयी क्षेत्रों का दुर्भाग्य है कि देश के 16 फीसद भूभाग में फैले होने के बावजूद यहां देश की केवल चार फीसद जनसंख्या ही वास करती है। शायद इसीलिए हिमालयी क्षेत्र देश और राजनीतिक दलों के एजंेडे में कभी प्रमुखता नहीं रहा है। देश की संसद में 50 यानी करीब 10 फीसद सांसद हिमालयी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन अफसोस कि कभी भी हिमालय के बारे में बात संसद में उस गंभीरता के साथ नहीं रखी गई और न ही वहां अपेक्षित आयामों पर बहस ही हुई। 
वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने ‘जलवायु परिवर्तनों के दुष्प्रभावों से निपटने’ के लिए जो आठ ‘मिशन’ योजनाएं बनाई थीं, उनमें ‘नेशनल मिशन आफ सस्टेनिंग हिमालयन ईको सिस्टम’ यानी हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास की राष्ट्रीय योजना भी शामिल है। अल्मोड़ा जनपद के कोसी में स्थित गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण विकास संस्थान कोसी-कटारमल ने इस मिशन के तहत काफी कार्य किया। हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास के लिए शासन नाम से गाइडलाइन तैयार की गई। इसमें बताया गया कि किस तरह विकास और पर्यावरण को एक-दूसरे का पूरक बनाया जाए। हिमालयी क्षेत्र की जैव विविधता का संरक्षण कैसे किया जाए, किस मात्रा में हिमालयी क्षेत्र से जड़ी-बूटियों व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाए, और कैसे उनका संरक्षण किया जाए। साथ ही कैसे हिमालय की जैव विविधता, उसकी खूबसूरती, खनिजों, जल, जंगल, जमीन और अन्य आयामों को बिना नुकसान पहुंचाए यहां के निवासियों की आजीविका से भी जोड़ा जाए। इन गाइड लाइन में ‘ग्रीन रोड’ यानी ऐसी सड़कें बनाने की बात कही गई है जो प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण करते हुए व उसे बिना छेड़े हुए बनाई जा सकती हैं। साथ ही सामान्यतया कहा जाता है कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के साथ नहीं चल सकते। यदि आज की तरह का विकास होगा, तो उससे निश्चित ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, और यदि पर्यावरण का ही संरक्षण किया जाएगा, तो इससे विकास वाधित होगा। लेकिन विकास मनुष्य की आवश्यकता है, इसलिए विकास जरूरी है और हमें ‘पर्यावरण सम्मत’ विकास की बात करनी होगी। विकास के वैकल्पिक उपाय, जैसे सड़कों के स्थान पर रोप-वे, परंपरागत ऊर्जा के साधनों के स्थान पर सौर व वायु ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा के साधन, वष्ा जल संग्रहण, सिंचाई के लिए स्प्रिंकुलर विधि आदि का प्रयोग करना होगा। हिमालयी क्षेत्र इतना बृहद है। खासकर पूरे भारत वर्ष को हिमालय प्रभावित करता है, इसलिए हिमालय के बारे में देश को अलग से सोचना पड़ेगा। हिमालय के लिए सतत विकास की अलग नीति बनानी होगी। इस मुद्दे को राजनीतिक एजेंडे में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। (नवीन जोशी से बातचीत पर आधारित)

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

पहाड़ में नहीं लोकतंत्र के ’महापर्व‘ जैसा माहौल

पहाड़ के बजाय मैदान में ही जोर लगा रहे प्रत्याशी और समर्थक अब तक किसी पार्टी के स्टार प्रचारक का कार्यक्रम भी तय नहीं
नवीन जोशी नैनीताल। कहने को प्रदेश के पर्वतीय अंचलों में भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े यानी लोकसभा चुनावों के ‘महापर्व’ का मौका है, मगर इसे चुनाव आयोग की सख्ती का असर कहें कि पहाड़वासियों की मैदानों की ओर लगातार पलायन की वजह से लगातार क्षीण होती राजनीतिक शक्ति का प्रभाव, राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी पर्वतीय क्षेत्रों को चुनावों में भी भाव नहीं दे रहे हैं। कुमाऊं मंडल का जिला एवं मंडल मुख्यालय पर्वतीय क्षेत्रों की कहानी बयां करने के लिए काफी है, जहां पूरे शहर में कहने भर को केवल एक होर्डिग और गिनने भर को कुछ दीवारों पर केवल दो पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के चुनाव कार्यालय खुले हैं और उनके ही पोस्टर चिपके हुए हैं। वहीं राज्य और देश के सत्तारूढ़ दल की उपेक्षा का यह आलम है कि उनका मुख्यालय में न ही अब तक चुनाव कार्यालय खुला है और न ही पूरे शहर में कहीं एक भी होर्डिग, बैनर या पोस्टर ही लगे हैं। ऐसे में बैनर-पोस्टर लिखने छापने और चिपकाने वाले चुनावी रोजगार से वंचित हो गए हैं, तो वे लागे महापर्व का अहसास कैसे करें। गौरतलब है कि नए परिसीमन में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय सीट पर पर्वतीय मतों का प्रतिशत करीब 35 और मैदानी मतों का प्रतिशत 65 है। ऐसे में उम्मीदवार मैदानी क्षेत्रों में ही जोर लगाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की जुगत में हैं। राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों के भी अभी पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कोई कार्यक्रम तय नहीं बताए जा रहे हैं। ऐसे में खासकर नैनीताल में लोकसभा चुनावों से अधिक आसन्न ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन पर अधिक र्चचाएं हो रही हैं।

इंटरनेट पर लगा चुनावी मेला

नैनीताल। बदलते दौर में जहां लोकतंत्र का महापर्व पूरी तरह धरातल से नदारद है, वहीं इंटरनेट की दुनिया में पूरा मेला लगा हुआ है। शहर में चुनावों पर कोई राजनीतिक विमर्श न होने की वजह से नगर के आमजन टीवी, अखबार या इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किग साइटों पर बन रही प्रत्याशियों की बन-बिगड़ रही हवा पर ही आश्रित होकर अपनी राय बना या बदल रहे हैं। इंटरनेट पर जोरों से पार्टियों के पक्ष या विरोध में खूब जोशो-खरोश से र्चचाएं हो रही हैं। यहां राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों, प्रत्याशियों व राष्ट्रीय नेताओं के बारे में पूरा मेले जैसा माहौल है। ऐसे में लोग यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि हर डंडा कमजोर तबकों पर ही पड़ता है। निचले तबके के चुनाव प्रचार में अपना रोजगार जुटाने वाले लोग जरूर बेरोजगार कर दिये गए हैं, लेकिन इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों की चुनावी महापर्व पर खूब ‘पौ-बारह’ हो रही है।

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

नैनीताल : पुरानी मांगें ही पूरी हो जाएं तो बन जाए बात



पिछले चुनाव में भी था केंद्रीय विश्व विद्यालय का मुद्दा झीलों के संरक्षण की योजना अब भी बचे हैं कई कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। 2009 में हुए पिछले लोक सभा चुनावों के बाद झीलों के नैनीताल संसदीय सीट के नैनी सरोवर सहित अन्य झीलों और नदियों में चाहे जितना पानी बह गया हो, राजनीतिक दलों के चाल, चरित्र और चेहरों के साथ नारे भी बदल गए हों, परंतु पांच वर्ष बाद भी केंद्र सरकार के स्तर के मुद्दे जहां के तहां हैं। पिछले लोक सभा चुनावों में राज्य के एकमात्र कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिए जाने और नैनी सरोवर सहित अन्य झीलों के संरक्षण के लिए केंद्र से बड़ी योजना और तराई की प्यास बुझाने के लिए जमरानी बांध बनाए जाने की अपेक्षा की गई थी, लेकिन यह मुद्दे आज भी यथावत हैं। गौरतलब है कि कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि बनाए जाने का मुद्दा पूरे कुमाऊं मंडल से संबंध रखने वाला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले लोस चुनाव के दौरान घोषणा भी की थी, बावजूद इसके कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। वहीं नैनीताल की पहचान नियंतण्र स्तर पर इसकी झीलों को लेकर है। वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के नैनीताल राजभवन में प्रवेश के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं की मांग पर बाजपेई सरकार ने वर्ष 2003 में यहां से गई 98 करोड़ रुपये की डीपीआर में से नैनीताल के लिए 46.79 तथा भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल व खुर्पाताल के लिए 16.85 सहित कुल 63.64 करोड़ की झील संरक्षण परियोजना स्वीकृत की थी। यह योजना और इसकी धनराशि 2011 में समाप्त हो चुकी है और प्राधिकरण के समक्ष इस योजना के तहत झील में किए जा रहे एरिएशन के कार्य को जारी रखने के लिए प्रतिवर्ष खर्च हो रहे करीब 40 लाख रुपये जुटाना भी मुश्किल साबित हो रहा है, वहीं नैनी झील में गंदे पानी को बाहर निकालने के सायफनिंग, झील में गिरने वाले 62 में से 23 नालों से कूड़ा झील में न जाने देने के लिए ‘ऑगर’ नाम की मशीन व नालों के मुहाने पर मिनी ट्रीटमेंट प्लांट लगाने, अन्य झीलों में ड्रेनेज व सीवर सिस्टम विकसित करने जैसे कायरे की बेसब्री से दरकार पांच वर्ष पूर्व भी थी और आज भी है। इसके अलावा जमरानी बांध का मसला तो दशकों से जहां का तहां लटका हुआ है। मजेदार बात है कि यह मुद्दे ना तो राजनीतिक दलों की जुबान पर हैं, और शायद जनता भी इन्हें उठाते-उठाते थक-हार चुप हो चुकी है। मतदाताओं का कहना है कि नई उम्मीदें क्या करें, पांच वर्ष पुरानी मांगें ही पूरी हो जाए तो इनायत होगी।
ये योजनाएं भी केंद्र के स्तर पर लंबित
नैनीताल। नैनीताल मुख्यालय की अनेक बड़ी योजनाएं केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित हैं। इनमें पर्यटन नगरी की सबसे बड़ी यातायात की समस्या का समाधान निहित है। केंद्र को जेएलएनयूआरएम योजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण व पार्किगों के निर्माण की 32 करोड़ की योजना भेजी गई है। इसके अलावा लोनिवि की 20 करोड़ रुपये की नगर की धमनियां कहे जाने वाले अंग्रेजी दौर में बने 62 नालों के जीर्णोद्धार व उन्हें ढकने की योजना तथा सिंचाई विभाग ने नगर के आधार कहे जाने वाले बलियानाले की जड़ से मजबूती के लिए करीब 25 करोड़ रुपये की योजना भी केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित है। नैनीतालवासियों को उम्मीद है कि नैनीताल को जो भी नया सांसद होगा, वह इन योजनाओं को धरातल पर उतारने व केंद्र के स्तर पर स्वीकृत कराने में पहल करे।

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में बनती रही है सरकार

बदलाव की हर बयार में नैनीताल ने भी बदली है करवट, कइयों को राजनीति का ककहरा पढ़ाया है इस सीट ने
नवीन जोशी नैनीताल। शिक्षित संसदीय क्षेत्रों में शुमार नैनीताल ने देश में चल रही हर बदलाव की बयार में खुद भी करवट बदली है। देश में अच्छी सरकार चलती रही तो यहां के मतदाताओं ने भी अपने परम्परागत स्वरूप को बरकरार रखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशी को ही ‘सिर-माथे' पर बिठाया है, लेकिन जहां सत्तारूढ़ पार्टी ने चूक की और नैनीताल को अपनी परम्परागत सीट मानकर गुमान में रही, उसे यहां के मतदाताओं ने जमीन भी दिखा दी। नैनीताल में आमतौर पर जिस पार्टी का प्रत्याशी जीता, उसी पार्टी की देश में सरकार भी बनती रही। इस प्रकार नैनीताल के साथ यह मिथक जुड़ता चला गया है। ऐसे में नैनीताल राजनीतिक दलों के लिए दिल्ली की गद्दी पाने का माध्यम बन सकता है। 
जी हां, नैनीताल लोकसभा सीट का अब तक ऐसा ही अतीत रहा है। वर्ष 1971 तक के चुनाव में मतदाताओं ने कुछ खास नेताओं को गले लगाया। इसके बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया और किसी भी नेता को दुबारा संसद पहुंचने का मौका नहीं दिया। देश की आजादी के बाद भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार और बाद में एनडी तिवारी सरीखे नेताओं की यह परंपरागत सीट रही और दोनों को संसद पहुंचने की सीढ़ी चढ़ने का ककहरा नैनीताल ने ही सिखाया। मगर यह भी मानना होगा कि यहां के मतदाताओं की मंशा को कोई नेता नहीं समझ पाया। हालांकि एनडी भी यहां से हारे और केसी पंत भी। इसी तरह कांग्रेस की परंपरागत सीट माने जाने के बावजूद कांग्रेस के नेता भी हर चुनाव में यहां असमंजस के दौर से ही गुजरते हैं, जबकि देश की सत्ता संभाल चुकी भाजपा यहां से सिर्फ दो ही बार ही जीत हासिल की है। जनता पार्टी और जनता दल के नेताओं के लिए भी यहां प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। देश में चल रही राजनीतिक हवा का असर नैनीताल सीट पर भी पड़ता रहा है। 1951 व 1957 के चुनाव में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के दामाद सीडी पांडे और 1962 से 1971 तक के तीन चुनावों में पुत्र केसी पंत यहां से सांसद रहे। मगर 1977 के चुनाव में आपातकाल के दौर में पंत को भारतीय लोकदल के नए चेहरे भारत भूषण ने पराजित कर दिया। तब देश में पहली बार विपक्ष की सरकार बनी। लेकिन विपक्ष का प्रयोग विफल रहने पर 1980 में एनडी तिवारी को उनके पहले संसदीय चुनाव में नैनीताल ने दिल्ली पहुंचा दिया। गौरतलब है कि 1984 में तिवारी सांसदी छोड़ यूपी का सीएम बनने चले तो उनके शागिर्द सतेंद्र चंद्र गुड़िया को भी जनता ने वही सम्मान दिया। 1989 के चुनाव में मंडल आयोग की हवा चली तो जनता दल के नए चेहरे डा. महेंद्र पाल चुनाव जीत गए और जनता दल की ही केंद्र में सरकार बनी। 1991 के चुनाव में यहां के मतदाता देश में चल रही राम लहर की हवा में बहे और बलराज पासी ने भाजपा के टिकट पर जीतकर इतिहास रच दिया। तब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। 1998 में बीच में एचडी देवगौड़ा और आरके गुजराल के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार की विफलता के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को पटखनी दी और दुबारा केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद से 2004 व 2009 के चुनावों में कांग्रेस के केसी सिंह बाबा यहां से सांसद हैं और दोनों मौकों पर कांग्रेस की सरकार ही देश में बनी।

एनडी ने दो बार तोड़ा है मिथक

नैनीताल। नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में सरकार बनती रही है, मगर एनडी तिवारी 1996 और 1999 में वह विरोधी पार्टियों की लहर में भी नैनीताल से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1996 में एनडी तिवारी ने कांग्रेस से नाराज होकर सतपाल महाराज शीशराम ओला व अन्य के साथ मिलकर कांग्रेस (तिवारी) बनाई और उनकी पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही। इस चुनाव के बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 1999 के चुनाव में भी एनडी तिवारी ने फिर अपवाद दोहराया, जब कांग्रेस से तिवारी तीसरी बार चुनाव जीते, लेकिन फिर केंद्र में भाजपा की ही सरकार बनी। वर्ष 2002 में उनके उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर हुए उपचुनाव में जद से कांग्रेस में आए डा. महेंद्र पाल भी उनकी सीट बचाने में सफल रहे।

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

नैनीताल से भाजपा-कांग्रेस जो भी जीतेगा, दोनों की होगी हैट-ट्रिक

बाबा व भाजपा को तीसरी जीत की चाहत
नवीन जोशी नैनीताल। नैनीताल लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर यदि भाजपा जीतती है तो यह उसकी हैट्रिक होगी, और यदि कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह केसी बाबा की लगातार तीसरी जीत होगी। भाजपा और कांग्रेस के अलावा यहां आम आदमी पार्टी भी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही है। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। नैनीताल सीट देश की राजनीति के दो धुरंधर नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत की परम्परागत सीट रही है। नैनीताल में हमेशा ऐसा कुछ ना कुछ होता है कि इस सीट पर बड़े राजनीतिक शूरमाओं की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, फलस्वरूप देश-प्रदेश की इस सीट पर नजर रहती है। इस बार यहां मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी व मौजूदा सांसद केसी बाबा के बीच है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा भी संसद पहुंचने की होड़ में शामिल हैं। लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में से आठ में विपक्षी भाजपा के विधायकों और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, तीन काबीना मंत्रियों और पूर्व सीएम का इसी क्षेत्र से होना भी इसे प्रदेश की वीवीआईपी सीटों में शुमार करती है। भाजपा यहां से जीतेगी, तो उसके लिए यह अब तक के संसदीय इतिहास की इस सीट से तीसरी जीत होगी, क्योंकि उनसे पहले केवल बलराज पासी और इला पंत ही भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत पाए हैं। वहीं कांग्रेस जीती तो उसके प्रत्याशी के लिए भी यह व्यक्तिगत तौर पर लगातार व तीसरी जीत होगी। बसपा उम्मीदवार लईक अहमद भी मुकाबले में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

नैनीताल में नैया पार लगाने को भाजपा को चाहिए मोदी, नकवी और सिद्धू

युवा, मुस्लिम और सिख वोटरों को साधने की है कोशिश
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-प्रदेश में चल रही मोदी के पक्ष और कांग्रेस विरोधी लहर के बीच भाजपा को नैनीताल लोक सभा सीट पर अपनी नैया को पार लगाने के लिए नरेन्द्र मोदी, पार्टी के मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी और नवजोत सिंह सिद्धू की जरूरत है। पार्टी की नैनीताल लोक सभा क्षेत्र की इकाई ने अपनी इस इच्छा से पार्टी हाइकमान को अवगत करा दिया है। मोदी को हल्द्वानी, नकवी को काशीपुर, रुद्रपुर या हल्द्वानी और सिद्धू को बाजपुर या रुद्रपुर लाने की इच्छा जताई गई है। 
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भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता नैनीताल की सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। कारण, कांग्रेस यहां यूपी के दौर से ही मजबूत रही है। यहां किसी भी अन्य पार्टी प्रत्याशी का कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का रिकार्ड संयोग से कांग्रेस पार्टी की उत्तराखंड व उप्र सरकार के मुखिया रहे एनडी तिवारी के नाम पर है। तिवारी ने 1996 के चुनाव में कांग्रेस से नाराजगी के बाद बनाई अपनी कांग्रेस-तिवारी के टिकट पर भाजपा की इला पंत को 1.56 लाख वोटों से हराया था, इससे पहले 1977 में भारतीय लोक दल ने आपातकाल के बाद ‘इंदिरा हटाओ’ की लहर के दौर में कांग्रेस के केसी पंत को 85 हजार वोटों से और 1989 में मंडल आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए चुनावों में जनता दल के डा. महेंद्र पाल ने 20 हजार वोटों से यह सीट जीती थी। भाजपा के प्रत्याशी इस सीट को केवल दो बार, 1991 की राम लहर में बलराज पासी केवल 11 हजार और 1998 में इला पंत 15 हजार वोटों के अंतर से ही जीते थे। यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि पासी, इला व पाल की जीतों में बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही थी, जो कि उत्तराखंड बनने के बाद इस लोक सभा क्षेत्र से अलग हो चुका है। हालिया दो चुनावों की बात की जाए तो मौजूदा सांसद, केसी सिंह बाबा ने 2004 में 49 हजार और 2009 में करीब 88 हजार वोटों के अंतर से जीतकर अपने जीत का अंतर बढ़ाया है। यही बिंदु भाजपा की चिंता का बड़ा कारण भी है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भाजपा वर्गवार मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। पार्टी की सबसे बड़ी चिंता करीब 2.75 लाख मुस्लिम और करीब 1.5-1.5 लाख सिख व अनुसूचित वर्ग के वोटों को लेकर है। पार्टी का मानना है कि 2009 के चुनाव में आखिरी दौर में धर्म विशेष के प्रचारकों के भाजपा के विरोध में माहौल बनाने व अन्य पार्टियों से कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी न होने की वजह से मुस्लिम मतों और तराई क्षेत्र में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के आने से सिख मतों के कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण हो जाने की वजह से पार्टी हार गई थी। 
लेकिन इससे इतर भाजपा इस बार स्वयं को मोदी के पक्ष और कांग्रेस के विरोध की लहर, दो बार के सांसद बाबा के प्रति भी एंटी इंकमबेंसी व उनके क्षेत्र में मौजूद न रहने, बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी घोषित होने से मुस्लिम वोटों का कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण न होने की संभावना के मद्देनजर स्वयं को लाभ में मान रही है। बावजूद वह कोई जोखिम लेने के मूड में भी नहीं है। इस उद्देश्य से युवाओं व हर वर्ग को रिझाने के लिए लोक सभा क्षेत्र के केंद्र में स्थित हल्द्वानी में मोदी, मुस्लिम बहुल काशीपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में नकवी एवं सिख बहुल बाजपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में सिद्धू को लाये जाने की रणनीति बनाई गई है।

रविवार, 9 मार्च 2014

नैनीताल में बुलेट टैक्सी के ’नरेश‘


नवीन जोशी, नैनीताल। आपने बस, रेल, टैम्पो, टैक्सी और हवाई जहाज से सफर किया होगा। पर्यटक स्थलों पर कदाचित ‘रोपवे’ का आनंद भी उठाया हो। इसके बाद भी आपने ‘बुलेट टैक्सी’ के बारे में शायद ही देखा-सुना हो। सरोवरनगरी में सामान्य सी दिखने वाली बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार व्यक्ति सवारियां ढोते देख सैलानी अंचभित हो जाते हैं मगर स्थानीय लोगों के लिए यह नजारा आम हैं। वे एक से दूसरे स्थान जाने के लिए नरेश की बुलेट टैक्सी का बखूबी इस्तेमाल करते हैं।
अंग्रेजी शासन में नैनीताल में डांडियों का प्रचलन था। दो-चार लोग डोलीनुमा डांडियों को कंधे पर उठाकर ले जाते थे। समय बदला तो डांडियों की जगह साइकिल रिक्शा ने ले ली। मुश्किल यह थी कि साइकिल रिक्शा केवल नगर की समतल सड़क पर चल पाते थे। कार-टैक्सियां जरूर लोगों को शहर में घुमा सकती हैं मगर इनका किराया बहुत है। स्थानीय युवक नरेश बिष्ट ने इसका हल ढूंढा। उसने 2007 में बेरोजगारों के लिए मिलने वाली ऋ ण योजना से 76 हजार रुपये का लोन लिया और बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी। मोटरसाइकिल के लिए टैक्सी का लाइसेंस लिया और मोटरसाइकिल को बुलेट टैक्सी के रूप में तब्दील कर उससे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने लगा। शुरुआती दिक्कतों के बाद नरेश ने साढ़े तीन साल में मोटरसाइकिल का लोन चुकता कर दिया। आज बुलेट टैक्सी उसके परिवार की आजीविका है। नरेश तल्लीताल से मल्लीताल तक मामूली किराये पर मिनटों में लोगों को गंतव्य तक पहुंचा देता है। उसके पास नियमित 40-50 सवारियां हैं। सैलानी भी नरेश की बुलेट टैक्सी का प्रयोग करते हैं। शहर में नरेश की अच्छी पहचान बन गई है। उसे सवारियों की तलाश नहीं करनी पड़ती वरन लोग उसे फोन करके बुलाने लगे हैं। लोगों को मालूम हैं कि वह कब और कहां मिलेगा। अक्सर उसका रूट तय होता है। एक सवारी लेकर वह रिक्शा स्टैंड से जिला कलक्ट्रेट रवाना होता है। वहां उसे हाईकोर्ट जाने के लिए सवारी तैयार मिलती है। उसे लेकर हाईकोर्ट पहुंचता है। वहां मल्लीताल, तल्लीताल व बिड़ला जाने के लिए सवारियां इंतजार में होती हैं। इस प्रकार वह ऑफ सीजन में 300-400 व सीजन में 700-800 रुपये कमा लेता है। शहर में जहां सभी मोटरसाइकिलें पेट्रोल पीती हैं, वहीं रमेश की मोटरसाइकिल रुपये उगलती है। इस तरह नरेश युवाओं के लिए प्रेरणा स्रेत बन गया है। उसकी देखा-देखी कई अन्य युवा भी बुलेट टैक्सी लेने के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। नरेश का कहना है कि मेहनत करने में शर्म नहीं होनी चाहिए। यही सफलता का राज है।

शनिवार, 8 मार्च 2014

महिला दिवस पर सुखद खबर: नैनीताल में सुधरा लिंगानुपात



  • साल 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से ज्यादा, पिछले साल 921 था 
  • दूरस्थ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, मां नयना के साथ नंदा व सुनंदा की नगरी सरोवरनगरी में बालिकाओं के पक्ष में सुखद समाचार आया है। जहां देश व प्रदेश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात वर्ष 2011-12 के 879 से नीचे गिरकर 2012-13 में 866 हो गया है, वहीं नगर में नए पैदा हुए बच्चों के मामले में 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीते वर्ष यह 921 रहा था। उल्लेखनीय है कि जीव वैज्ञानिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति में बेहतर सामंजस्य के लिए 983 को आदर्श लिंगानुपात माना जाता है, लेकिन बीते वर्षो में प्रसव पूर्व जांच व एक या दो बच्चे ही पैदा करने की प्रवृत्ति के चलते लिंगानुपात तेजी से घटते हुए चिंताजनक स्थिति में जा पहुंचा है। खासकर शून्य से छह वर्ष के बच्चों के मामले में लिंगानुपात वर्ष 2011 में 886 था जो 2012 में और घटकर 800 से नीचे आ गया। वहीं कुमाऊं मंडल व जिला मुख्यालय में पैदा हो रहे बच्चों में लिंगानुपात के आंकड़े काफी हद तक सुखद कहे जा सकते हैं। यहां वर्ष 2012-13 की बात करें तो कुल पैदा हुए 634 बच्चों में से 330 बालक और 304 बालिकाएं थीं। इस प्रकार लिंगानुपात 921 रहा है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 13 से फरवरी 14 माह तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पैदा हुए 607 बच्चों में से 312 बालक और 295 बालिकाएं पैदा हुई हैं। इस प्रकार लिंगानुपात 945.5 से भी अधिक रहा है, जो बेहद सुखद कहा जा रहा है। अस्पताल की सीएमएस डा. विनीता सुयाल ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है। बताया गया है कि जिले के भीमताल, धारी व कोटाबाग जैसे अधिक शहरी इलाकों वाले ब्लॉकों में भी बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी है, जबकि दूरस्थ व पिछड़े इलाकों में शुमार बेतालघाट व ओखलकांडा ब्लाकों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बालिकाओं में ज्यादा

नैनीताल। देश-दुनिया व जनपद की बालिकाएं जहां स्कूल स्तर पर बालकों से अधिक बीमार नजर आ रही हैं, यह तथ्य भी जान लें कि प्राकृतिक तौर पर बालिकाओं में बालकों के मुकाबले अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बीडी पांडे जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. विनीता शाह बताती हैं कि इसी कारण प्राकृतिक व जीव वैज्ञानिक तौर पर (बायलॉजिकल सेक्स रेशियो) लिंगानुपात 983 होता है। माना जाता है कि एक हजार बालकों में से करीब 27 बालक जीवित नहीं रह पाएंगे और भविष्य में बालक व बालकों के बीच अंतर नहीं रह जाएगा, लेकिन मौजूदा लिंगानुपात लगातार घट रहा है। देश का लिंगानुपाल 940, प्रदेश का लिंगानुपात गत वर्ष के 983 से घटकर 913 और जनपद का 933 रह गया है। वहीं इससे भी अधिक चिंता की बात शून्य से छह वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात 891 से भी घटकर 886 रह जाने को लेकर है।