शनिवार, 17 नवंबर 2012

नैनी सरोवर में लगे 'सुरखाब के पर'



नैनीताल मैं सैलानियों के लिए सीजन 'ऑफ' तो प्रवासी पक्षियों के लिए हुआ 'ऑन'
नैनी झील में आए सुर्खाब पक्षी, साथ ही बार हेडेड गीज का भी हुआ आगमन
नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, नैनी सरोवर में सुर्खाब के पर लग गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि नैनीझील में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी पहुंचा है, और नैनीझील के आसपास उड़ते और तैरते हुए खूब आनंदित हो रहा है। उसके आने से निश्चित ही नैनीझील और कमोबेस प्रवासी पक्षियों को निहारने वाले पक्षी प्रेमी खूब इतरा रहे हैं। नैनीताल में इन दिनों जहां मनुष्य सैलानियों का पर्यटन की भाषा में 'ऑफ सीजन' शुरू होने जा रहा है, वहीं मानो सैलानी पक्षियों का सीजन 'ऑन' होने जा रहा है। इन दिनों यहां नैनी सरोवर में चीन, तिब्बत आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी तथा बार हेडेड गीज आदि अनेक प्रवासी पक्षी की प्रजातियां पहुंची हैं। पक्षी विशेषज्ञ एवं अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह के अनुसार इन दिनों उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण वहां की झीलें बर्फ से जम जाती हैं। ऐसे में उन सरोवरों में रहने वाले पक्षी नैनीताल जैसे अपेक्षाकृत गरम स्थानों की ओर आ जाते हैं। यह पक्षी यहां पूरे सर्दियों के मौसम में पहाड़ों और यहां भी सर्दी बढ़ने पर रामनगर के काब्रेट पार्क व नानक सागर, बौर जलाशय आदि में रहते हैं, और मार्च-अप्रैल तक यहां से वापस अपने देश लौट आते हैं। उन्होंने बताया कि नैनीझील में कई प्रकार की बतखें भी पहुंची हैं, जबकि नगर के हल्द्वानी रोड स्थित कूड़ा खड्ड में अफगानिस्तान की ओर से स्टेपी ईगल पक्षी भी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं।


सुर्खाब के बारे में कुछ ख़ास बातें....
सुर्खाब मुर्गाबी प्रजाति से है। ये मूलत: लद्दाख, नेपाल एवं तिब्बत से आते है. ये सर्दी में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार में भी प्रवास करते हैं। इनकी ब्रीडिंग अवधि अप्रैल से जून माह तक होती है। इनका रंग सुनहरा होता है और अंदर की ओर से इसके पंख हरे व चमकदार होते हैं। ये प्राय: जोड़ा बनाकर रहते है। इन्हें ब्राह्नी डक, रेड शैलडक और चकवा-चकवी भी कहा जाता है, यह प्रायः जोड़े के साथ रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि सुर्खाव जीवन में केवल एक बार ही जोड़ा बनाते है। अगर दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो दूसरा अकेला ही जीवन व्यतीत करेगा। ब्रीडिंग के समय नर सुर्खाब की गर्दन में एक काला बैंड नजर आता है। ये चट्टानों में और ऊंची मिट्टी के टीलों में अपने घौंसले बनाते है तथा पानी से काफी ऊंचाई पर बनाते है। पानी में पाए जाने वाले भोजन के अलावा खेतों में चने, गेंहू, जो की फसलों से भोजन चुनते हैं। ये अधिकांश समय पानी में तैरते हैं इन दौरान ये कीड़े-मकौडे खाकर अपना पेट भरते है ये छोटी मछलियों का भी शिकर करते हैं।  भारत में इनका प्रवास अक्टूबर माह से मार्च तक माना जाता है। 
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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

नैनीताल जिले से बने चार मंत्री व विधान सभा अध्यक्ष, बावजूद 12 वर्षो में उम्मीदें ढेरों-उपलब्धियां कम


नवीन जोशी नैनीताल। उत्तराखंड की राज्य की स्थापना हुए 12 वर्ष हो गए। इन 12 वर्षो में राज्य के साथ ही नैनीताल जनपद उम्र के लिहाज से किशोर वय में पहुंच गया। जनपद की गौला व दाबका नदियों के साथ ही मुख्यालय की सामान्यतया स्थिर रहने वाले नैनी सरोवर से भी न जाने कितना पानी निकल गया है, और इन नदियों से खनन और ताल से न जाने कितने अरब रुपयों का आय उत्पादन हो गया है। इधर जिले में रहने वाले चार महानुभाव मंत्री व एक विधान सभा अध्यक्ष बन गए हैं, बावजूद इस बड़ी अवधि में भी जनपद के पास उम्मीदें तो ढेरों हैं, जबकि उपलब्धियां महज उंगलियों में गिनने लायक। ऐसे में राज्य आंदोलन से जुड़े लोग जहां स्वयं को ठगा बता बता रहे हैं वहीं आम जन भी संतुष्ट नहीं हैं। 
अंग्रेजों के दौर से और आजादी के बाद भी कई मायनों में राजधानी देहरादून से भी आगे माने जाने वाली सरोवरनगरी को राज्य बनने से कुछ मिला तो वह राज्य का उच्च न्यायालय है। दूसरे केंद्र सरकार की योजना से ही सही नैनी झील की सेहत में एरियेशन के जरिये कुछ हद तक सुधार हुआ है। इसके बाद यदि नैनीताल नगर ही नहीं जनपद की उपलब्धियां ढूंढी जाऐं तो उन्हें दिमाग पर जोर डालकर ही याद करना पड़ेगा। वहीं अनुपलब्धियों-उम्मीदों की बात करें तो जनपद वासियों द्वारा एक दशक से भी अधिक समय से देखे जा रहे हल्द्वानी में अंतराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी बनने, नैनीताल व भवाली में बाईपास जैसे कार्य आज भी ख्वाब ही हैं। राज्य बनने के बाद से मुख्यालय में विकास की एक ईट के नाम पर तल्लीताल में बहुउद्देश्यीय भवन का अधर में पड़ा निर्माण मुंह चुराता है, वहीं शहर में अनाधिकृत निर्माणों से कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये। मुख्यालय से विकास भवन सहित दर्जनों सरकारी कार्यालय बाहर चले गये। नगर के दोनों फिल्म थियेटर बंद हो गये। 
यह हुआ 
  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय बना 
  • काठगोदाम में सेक्रेटरियेट व रामनगर में भव्य लोनिवि गेस्ट हाउस 
  • दाबका, कालाढूंगी व काठगोदाम में पुल 
  • भवाली में उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी-उजाला 
  • लालकुआ, रामनगर, कोश्यां-कुटौली व धारी तहसीलों का उच्चीकरण 
  • हल्द्वानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय 
  • हल्द्वानी नगर निगम का उच्चीकरण 

अनचाहे जो हो गया 
  • मुख्यालय से विकास, वन व जल निगम सहित दर्जनों विभागीय कार्यालय बाहर चले गए 
  • पुलिस के लिहाज से नैनीताल का परिक्षेत्रीय दर्जा घट गया 
  • मुख्यालय के दोनों सिनेमा थियेटर बंद हो गये 

उम्मीदें जो अभी भी हैं ख्वाब 
  • हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम 
  • हल्द्वानी में आईएसबीटी 
  • नैनीताल व भवाली में बाईपास 
  • मुख्यालय में गरीबों के लिए भवन 
  • एनएच 87 का टू-लेन में विस्तारीकरण 
  • कुमाऊं विवि का भीमताल में परिसर 
  • भवाली में चेस्ट इंस्टिटय़ूट व आयुष ग्राम 
  • विधि विश्व विद्यालय का निर्माण 
  • बीडी पांडे जिला चिकित्सालय का जीर्णोद्धार

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

'औरंगजेब' ने मचाई सरोवरनगरी में आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून



ऋषि कपूर ने की सरोवरनगरी में शूटिंग
प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाए, मीडिया से रहे दूर 
यशराज बैनर की फिल्म औरंगजेब की शूटिंग के लिए तीन दिनों से थे शहर में
नैनीताल (एसएनबी)। गुजरे जमाने के फिल्मस्टार ऋषि कपूर बीते तीन दिनों से सरोवरनगरी में हैं। मंगलवार को उन्होंने नैनी सरोवर के पूरे दो चक्कर लगाये, प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाये, लेकिन मीडियाकर्मियों से दूरी बनाकर रहे। वह सरोवरनगरी की प्राकृतिक सुंदरता से खासे प्रभावित दिखे। मंगलवार को सुबह करीब साढ़े 10 बजे वह होटल से निकले, माल रोड होते हुए तल्लीताल पहुंचे और वहां से सीधे निकलने के बजाय गाड़ी कलेक्ट्रेट-राजभवन रोड की ओर मोड़कर वापस डीएसबी से मस्जिद तिराहे पर उतर गये और फिर नैनी सरोवर का दूसरा चक्कर भी लगाया। गौरतलब है कि ऋषि कपूर इन दिनों फिल्म औरंगजेब की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह फिल्म अमिताभ स्टारर त्रिशूल फिल्म की रिमेक बताई जा रही है। इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में हैं और प्रेम चोपड़ा वाला रोल कर रहे हैं। फिल्म में निर्माता निर्देशक बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर और मलयालम अभिनेता पृथ्वीराज नायक तथा पाकिस्तानी अभिनेत्री सलमा आगा की पुत्री साशा आगा उर्फ जारा नायिका की भूमिका में हैं। जैकी श्राफ व अमृता सिंह भी फिल्म में हैं। इधर तीन दिन से फिल्म की शूटिंग सरोवरनगरी के अयारपाटा क्षेत्र में स्थित एक कोठी में चल रही है।


'औरंगजेब' ने मचाई आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून
नैनीताल (एसएनबी)। औरंगजेब फिल्म की शूटिंग के लिए तड़के से लोअर माल रोड पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया था। फोटो खींचने पर भी पाबंदी थी। यदि किसी ने फोटो खींच ली तो कैमरा छीनकर उसकी फोटो भी डिलीट करवा दी गई। अनेक लोगों से फिल्म यूनिट के सदस्यों की तकरार भी हुई। यही नहीं फिल्म यूनिट के लोगों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेशों से नगर की वाहनों के लिए प्रतिबंधित ठंडी सड़क पर भी कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर गाड़ियां दौड़ाई। मंगलवार को औरंगजेब फिल्म की शूटिंग लोअर माल रोड के तल्लीताल सिरे पर चुंगी और डांठ के पास हुई। यहां यूनिट के सदस्यों ने वाहनों पर कैमरा लगाकर लाल व नीली बत्ती लगी गाड़ियों को इस ओर से उस ओर दौड़ाते हुए सीन शूट किये।

सोमवार, 5 नवंबर 2012

गैरसैंण के लिए टू-लेन हाई-वे बनाने की तैयारी भी शुरू


गैरसैंण और पहाड़ के दिन बहुरने शुरू 
एनएच-87 ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक 109 किमी हिस्से की फाइल दौड़ी 
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की स्थायी राजधानी के रूप में प्रदेशवासियों की पसंद बताये जाने वाले गैरसैंण के दिन बहुरने शुरू हो गये हैं। दो दिन पूर्व ही गैरसैंण में पहली बार राज्य कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक हुई थी और अब एक और खुशखबरी है कि गैरसैंण के लिए टू-लेन हाईवे की फाइल दौड़ने लगी है। पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग-87 की ज्योलीकोट से अल्मोड़ा होते हुए रानीखेत के पास घिंघारीखाल तक 109 किमी लंबी सड़क की चौड़ाई दोगुनी यानी टू-लेन होने जा रही है। बाद में इसके गैरसैंण तक जुड़ने का प्रस्ताव है। 
केंद्र सरकार के भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार एनएच-87 के ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के हिस्से को देश के अन्य राष्ट्रीय राजमागरे के साथ विस्तारित करने की योजना के तहत टू-लेन किया जाना है। इसके लिए करीब तीन दर्जन गांवों की सीमा की भूमि पर सड़क विस्तार के कार्य किए जाएंगे। इन कायरे के लिए नैनीताल एवं अल्मोड़ा जनपद के जिलाधिकारियों से सक्षम प्राधिकारियों का नाम मांग लिया गया है। गौरतलब है कि देश की राजधानी से कुमाऊं जल्द ही फोर लेन से जुड़ने जा रहा है। रामपुर से काठगोदाम के शेष बचे एनएच के हिस्से को फोर लेन करने का नोटिफिकेशन होने के बाद अब सड़क के लिए आवश्यक भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और काठगोदाम से ज्योलीकोट का एनएच-87ई यानी नैनीताल आने वाली सड़क का हिस्सा पहले ही टू- लेन है, इसलिए ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के 109 किमी हिस्से को टू-लेन के रूप में परिवर्तित करने की कवायद शुरू हो गई है। नैनीताल जनपद में अधिग्रहण के लिए जरूरी भूमि के चिह्नांकन का होमवर्क शुरू हो गया है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी ने पूछे जाने पर कहा कि एनएच-87 के चौड़ीकरण के लिए जरूरी भूमि के अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मार्ग के टू-लेन हो जाने से पूरे कुमाऊं वासियों को लाभ होगा। साथ ही पर्यटन एवं विकास को भी पंख लग जाएंगे। गौरतलब है कि पहाड़ के राष्ट्रीय राजमागरे को टू- लेन करने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने तैयार कर दिया था, लेकिन देर से ही सही यह प्रस्ताव अब फाइलों में दौड़ने लगा है

इन गांवों की सीमा में होगा चौड़ीकरण
नैनीताल। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार नैनीताल के बलुवाखान चक देवलागढ़, चक गेठिया, कुरिया गांव, भवाली के सेनिटोरियम, कहलक्वीरा, मल्ला निगलाट, तल्ला निगलाट, हरतपा, बारगल, छड़ा, लोहाली, जौरासी, जोगी नौली, जोगी माड़े, मनर्सा, गंगोरी, गगरकोट, औलिया गांव, सुयालबाड़ी, सिर्सा, चोपड़ा व क्वारब, अल्मोड़ा के चौसली, बड़सिमी, देवली, खत्याड़ी, अल्मोड़ा नगर पालिका के बाहर बाईपास क्षेत्र, पांडेखोला, सुनौला मल्ला, सिमकुड़ी, अघेली सुनार, अघेली तेवाड़ी, सुनौला तल्ला, रैलाकोट, मटेला, लायम स्टेट फार्म हवालबाग, कटारमल, शौले, ज्यौली, स्यूना, क्वेराली, कयेला, गढ़वाली, कुरचौड़ा, तुस्यारी व सिमल्टा और रानीखेत के बबूरखोला, डीडा, तल्ली रियूनी, मल्ली रियूनी, नैणी व डडगल्या गांवों की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 के विस्तार के लिए अपेक्षित कार्य होने हैं।


बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

नैनीताल ने देश को दिया ‘सदी का महानायक’

70 के हुए 70 के ज़माने के "शहंशाह"
अमिताभ के रोम-रोम में बसा है सरोवर नगरी का शेरवुड कालेज 
कहा था, यहां बिताए तीन दिन तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो सरीखे 
नवीन जोशी, नैनीताल। अभिनय के शहंशाह कहे जाने वाले और सदी के महानायक व बिग बी जैसे नामों से पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में कम लोग जानते होंगे कि उनकी अभिनय कला नैनीताल में ही अंकुरित हुई थी। यहीं के शेरवुड कालेज में प्रधानाचार्य ने भविष्य के अभिनय के शहंशाह को नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। बिग बी नैनीताल और शेरवुड को दिल से इस तरह प्यार करते हैं कि उन्हें यह कहने में भी संकोच नहीं होता कि वह आज जो कुछ भी हैं, शेरवुड की वजह से हैं। वर्ष 2008 में वह शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में शामिल हुए थे तो लौटकर अपने ब्लॉग में लिखा, शेरवुड में बिताये तीन दिन उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे। 
अमिताभ को वर्ष 1956 में जब पहली बार उनके पिता प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन ने नैनीताल के शेरवुड कालेज में नौवीं कक्षा में दाखिल कराया था, तब वह महज 14 वर्ष के किशोर थे। उनके छोटे भाई अजिताभ उनसे पहले शेरवुड में प्रवेश पा चुके थे। उन्हीं दिनों अमिताभ में अभिनय के बीज अंकुरित हो रहे थे। यहीं वह अन्य सहपाठियों की तरह हॉस्टल से छिपकर फिल्में देखने भी जाने लगे थे। यहीं उन्होेंने शेक्सपीयर के नाटक में अभिनय कर ‘ज्योफ्रे केंडल कप’ का पुरस्कार हासिल किया, जो उनके जीवन का पहला नाटक और पहला पुरस्कार कहा जाता है। इसी दौरान एक अनोखी घटना घटित हुई, जिसे अमिताभ आज भी याद रखते हैं। शेरवुड के तत्कालीन प्रधानाचार्य रेवरन आरसी लिवैलिन जिन्हें छात्र ‘लू’ भी कहा करते थे, ने अमिताभ को बीमार होने के कारण नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। अमिताभ इस घटना को याद करते हुए अपने ब्लॉग में लिखते हैं, वह स्कूल के चिकित्सालय में बेड पर बीमार पड़े हुऐ थे, तब उन्हें अपने बाबूजी की कविता की पंक्तियां याद आई, ‘मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो और भी अच्छा।’ बस इन्हीं पंक्तियों ने न केवल तब उन्हें आत्मिक ऊर्जा दी, वरन हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। जून 2008 में उन्हें जब शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में आमंत्रित किया गया तो वह पत्नी जया, पुत्र अभिषेक व पुत्रवधू ऐश्वर्या और पारिवारिक मित्र अमर सिंह के साथ यहां पहुंचे। यहां के बाद उन्हें तत्काल अपनी ‘सरकार राज’ फिल्म के प्रमोशन एवं आइफा के कार्यक्रम में बैंकाक जाना था। वह नौ जून को दिल्ली ही पहुंचे थे कि अपने ब्लॉग में नैनीताल की यादों को संजोना नहीं भूले। उन्होंने लिखा, ‘वह शेरवुड में बिताये तीन दिनों से स्वयं को अलग नहीं कर पा रहे हैं। वह तीन दिन नहीं थे, उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे।’

पंत ने दिया था अमिताभ नाम
नाम नैनीताल। अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर 1942 को जब वह पैदा हुए थे, वह भारत छोड़ो आंदोलन का दौर था। उनके पिता के कवि मित्र सुमित्रानंदन पंत उन दिनों इलाहाबाद आये हुए थे। पंत ने नर्सिग होम में ही नवजात शिशु की ओर इशारा करते हुए कहा था- ‘देखो, कितना शांत बालक है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ।’ कहते हैं बच्चन दंपति ने उनका नाम नामकरण संस्कार से पूर्व ही अमिताभ रख दिया था।

शेरवुड में होगी प्रार्थना सभा
नैनीताल। शेरवुड कालेज में अमिताभ के 70वें जन्म दिवस पर बृहस्पतिवार को विशेष प्रार्थना सभा होगी। कालेज के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू ने बताया कि इस दौरान अमिताभ की दीर्घायु, सेहत एवं सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमिताभ निस्संदेह शेरवुड के सबसे प्यारे और सम्माननीय छात्र हैं। वह शेरवुड का नाम आते ही सब कुछ पीछे छोड़ देते हैं।

मूलतः यहाँ भी देख सकते हैं :                                http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/11/2012

शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

स्विफ्ट टटल धूमकेतु से सशंकित है दुनिया !


2016 व 2040 में पृथ्वी के पास से गुजरेगा स्विफ्ट टटल 
धूमकेतुओं को बताया जाता है पृथ्वी से डायनासौर के विनाश का कारण 
1994 में बृहस्पति से टकराया था लेवी सूमेकर धूमकेतु, जिससे सूर्य के वलय भी प्रभावित हो गये थे, 
एरीज में लिये गये थे घटना के चित्र
नवीन जोशी/नीरज कुमार जोशी नैनीताल। यों तो पृथ्वी के भविष्य को लेकर वैज्ञानिकों व पंडितों की ओर से अक्सर अनेक चिंताजनक भविष्यवाणियां की जाती रही हैं और अब तक ऐसी हर संभावना निर्मूल भी साबित होती रही है। लेकिन पृथ्वी के बाबत नई चिंता इस बात को लेकर उत्पन्न हो गई है कि वर्ष 2016 और वर्ष 2040 में स्विफ्ट टटल नामक एक विशालकाय धूमकेतु पृथ्वी के पास से गुजर सकता है। इसकी दूरी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति की जद में ना जाए, इस बात की चिंता है। यदि यह पृथ्वी से टकरा गया, तो इसके परिणामों का अंदाजा 1994 में पृथ्वी से कई गुना बड़े ग्रह बृहस्पति पर शूमेकर लेवी नाम के एक पृथ्वी से बड़े आकार के धूमकेतु की टक्कर के परिणामों से लगाया जाने लगा है, जिसमें शूमेकर पूरी तरह नष्ट हो गया था। बृहस्पति के वलयों पर भी इसका प्रभाव पड़ा था। इस आधार पर वैज्ञानिक 2016 व 2040 में पृथ्वी पर व्यापक नुकसान होने की संभावना की हद तक आशंकित हैं। 
शूमेकर धूमकेतु के बृहस्पति पर टकराने की घटना का नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज के वैज्ञानिकों ने भी अध्ययन किया था और वह अपनी एक मीटर व्यास की दूरबीन से इस घटना के कई चित्र लेने में सफल रहे थे। इधर देश-दुनिया के साथ एरीज के वैज्ञानिक भी 2016 में स्विफ्ट टटल एसएन 1998  नाम के धूमकेतु के पृथ्वी के पास से गुजरने की संभावित घटना को लेकर चिंतित हैं और 1994 की घटना के अध्ययनों के आधार पर ही 2016 में किसी अनिष्ट की संभावना को टालने के लिए प्रयासरत हैं। 
गौरतलब है कि वर्ष 1994 खगोलीय घटनाओं के लिए सर्वाधिक याद किया जाता रहा है। इसी वर्ष 16 से 22 जुलाई तक जो कुछ घटा, उसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को शोध के लिए अच्छा प्लेटफार्म तो दिया ही साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं से पृथ्वी को बचा सकने की तैयारियों के लिए भी लंबा समय दिया। इस दौरान बृहस्पति पर शूमेकर लेवी नाम के एक धूमकेतु के विभिन्न आकार के टुकड़ों के टकराने से आतिशबाजी जैसी घटना हुई,फलस्वरूप शूमेकर धूमकेतु टकराने से नष्ट हो गया था। उल्लेखनीय है कि लगभग छह करेाड़ वर्ष पहले पृथ्वी से विशालकाय डायनसोरों के अंत का कारण भी धूमकेतुओं के पृथ्वी से टकराने को माना जाता है। भारत के लिए यह सौभाग्य रहा कि नैनीताल स्थित एरीज में इस महत्वपूर्ण खगोलीय घटना के दिन अध्ययन किया गया। एरीज में एक मीटर व्यास की दूरबीन के साथ लगे सीसी टीवी कैमरों से इस दुर्लभ खगोलीय घटना का अध्ययन किया गया था। इस टीम में डा. जेबी श्रीवास्तव, डा. बीबी सनवाल, डीसी जोशी, डा. एचएस मेहरा, डा.एके पांडे व डा. बीसी भट्ट ने सौर घटना के महत्वपूर्ण फोटो द्वारा इस पर शोध किया। इस बाबत पूछे जाने पर एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.शशिभूषण पांडे कहते हैं कि वर्ष 2016 और वर्ष 2040 में भी धूमकेतु पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। धूमकेतु व पृथ्वी की यह नजदीकी पृथ्वी व चंद्रमा के बीच की दूरी की 30 गुना तक हो सकती है। इतनी दूर से गुजरने को भी खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से पास से गुजरना ही कहा जाता है।

धूमकेतु क्या होते हैं ? 
नैनीताल। धूमकेतु अंतरिक्ष में घूमने वाले ऐसे सूक्ष्म ग्रह हैं जो सौरमंडल में मंगल व बृहस्पति ग्रहों के बीच बहुतायत क्षेत्र मे फैले हैं। कभी-कभार ये पृथ्वी के आसपास भी भटकते हैं। इसी तरह का एक धूमकेतु लेवी शूमेकर भी रहा। जिसकी खोज वैज्ञानिक कैरोलिन शूमेकर व डेविड लेवी ने 1993 में की थी। यह धूमकेतु बृहस्पति से टक्कर में 22 जुलाई 1994 को नष्ट हो गया। वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार इस टक्कर से लगभग साढ़े चार करोड़ मेगाटन टीएनटी मात्रा में ऊर्जा भी निकली थी। ज्ञात रहे कि इस तरह की टक्कर पृथ्वी से होती तो यहां जीवन के साथ-साथ पृथ्वी का अस्तित्व भी नहीं रहता। विश्व भर के अंतरिक्ष शोध संस्थान इस घटना से प्राप्त फोटो के आधार पर पिछले डेड़ दशक से शोध कर रहे हैं। 
खगोल वैज्ञानिकों के लिए अच्छा ‘टेस्ट मैच’
नैनीताल। एक ओर जहां धूमकेतु की पृथ्वी से टकराने की घटना ने खगोल वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीर खीचीं है, दूसरी ओर भविष्य की इस संभावित घटना के लिए अच्छा प्लेटफार्म भी पाया है। इस बाबत एरीज के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक बहाबउद्दीन बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं से निपटने की तैयारियों में खगोल विज्ञान और शक्तिशाली होता रहा है। दूसरी ओर यह माना जा रहा है इस तरह कि संभावित घटना पृथ्वी को आकाशीय पिंडों से बचाने व उन्हें दूर धकेलने व मिसाइल आदि से समुद्री क्षेत्र में गिराने की नई सौर तकनीकों से रूबरू होगा। यह भी सच है कि इस संभावित घटना से सौर वैज्ञानिक कई महत्वपूर्ण खोजों के साथ कईं आंकड़े भी जुटा पायेगें। 
पृथ्वी का बॉडीगार्ड है बृहस्पति 
नैनीताल। वेद पुराणों में बृहस्पति को गुरु का दर्जा मिला है। वहीं सौर विज्ञान में यह बॉडीगार्ड की भूमिका को निभाता रहा है। आकार में पृथ्वीं से कई गुना बड़ा होने के कारण यह पृथ्वी की सौर कक्षा की ओर आने वाले आकाशीय पिंडों को अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में लेकर उन्हें पृथ्वी की ओर आने से रोकता है।

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

केएमवीएन भी चला पीपीपी मोड की राह

   
अनुपयोगी संपत्तियां निजी क्षेत्र को देगा निगम  
देशभर के शहरों में रखे जाएंगे सेल्स एजेंट
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल विकास निगम घाटे में चल रही और लाभ में आने की नगण्य संभावनाओं वाली अपनी कम से कम 14 अनुपयोगी बताई जा रही संपत्तियों को पीपीपी मोड एवं निजी क्षेत्र को देने जा रहा है। इस बाबत निगम के पदेन निदेशक मंडल की बैठक में निर्णय हो गया है। निगम देशभर के शहरों में जनरल सेल्स एजेंट (जीएसए) की तैनाती करने जा रहा है, जिन्हें कारोबार के आधार पर कमीशन दिया जाएगा। शुक्रवार को निगम के सूखाताल स्थित टीआरएच में हुई पदेन निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय लिये गये। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि निगम ने इस वर्ष जुलाई तक 3.83 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त किया है, जोकि गत वर्ष के 3.7 करोड़ से अधिक है। निर्माण कायरे की गुणवत्ता के प्रति ठेकेदारों को जवाबदेह बनाने के लिए उनकी सिक्योरिटी राशि को पांच वर्ष तक के लिये निगम एफडी के रूप में अपने पास रखेगा। कमी आने पर सिक्योरिटी जब्त कर ली जाएगी। निगम का वर्ष 2002-03 से ऑडिट नहीं हुआ है, अब 31 दिसंबर तक 05-06 तक का ऑडिट करा लेने के आदेश दिये गये हैं। टीआरएच के अतिरिक्त चंपावत की लीसा फैक्टरी, हल्द्वानी की सरस मार्केट, दीनापानी अल्मोड़ा का क्राफ्ट सेंटर व ताड़ीखेत की निगम की अनुपयोगी पड़ी संपत्तियों को निजी क्षेत्र में देगा। पर्यटन विभाग की कुछ संपत्तियों को पीपीपी मोड में दिये जाने की भी निगम संस्तुति करेगा। नोएडा में सरकार से वर्षो पूर्व अपने कारपोरेट ऑफिस के लिये लीज पर ली गई संपत्ति पर भवन निर्माण के लिए शासन से एकमुश्त धन की मांग की जाएगी। बैठक में निगम के अध्यक्ष किरन मंडल, जीएम पर्यटन व गैस प्रकाश चंद्र, जीएम निर्माण एसके श्रीवास्तव, वित्त अधिकारी डीएस बोनाल व कंपनी सेक्रेटरी अनिल आर्य शामिल रहे।  

हल्दूचौड़ की जगह सितारगंज में बनेगा गैस प्लांट  
नैनीताल। हल्दूचौड़ स्थित आईओसी का 300 मीट्रिक टन क्षमता का गैस प्लांट वर्तमान की एक हजार एमटी गैस की जरूरत के सापेक्ष बहुत छोटा पड़ गया है। इससे गैस आपूर्ति होनी संभव नहीं है। लिहाजा सितारगंज के सिडकुल क्षेत्र में नया गैस प्लांट बनाने पर विचार चल रहा है। निगम के अध्यक्ष किरन मंडल ने यह जानकारी दी।  

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

कुमाऊं विवि को नहीं पता कुमाऊं व नैनीताल की स्पेलिंग




नैनीताल (एसएनबी)। लगता है कि कुमाऊं विवि की अंग्रेजी और खराब होती जा रही है। विवि हमेशा से अपने नाम की स्पेलिंग में ही गलती करता रहा है और अब उसने अपने मुख्यालय के नाम की स्पेलिंग में भारी गलती करके अपने अंग्रेजी ज्ञान की खुद ही पोल खोल कर रख दी है। विवि के मुख्यालय स्थित सर्वप्रमुख डीएसबी परिसर प्रशासन ने छात्र- छात्राओं को दिये जाने वाले परिचय पत्र में नैनीताल की स्पेलिंग ‘NAINITAL’ की जगह ‘NAINAITAL’ प्रदर्शित की है। इस पर विवि में पढ़ने आये छात्र विवि के अंग्रेजी ज्ञान को लेकर हतप्रभ हैं। वहीं परिसर प्रशासन इसे मानवीय भूल मानकर पल्ला झाड़ रहा है। गौरतलब है कि कुमाऊं विवि अपने नाम में हिंदी में कुमाऊं शब्द का ही प्रयोग करता है, लेकिन जब इसे अंग्रेजी में लिखता है तो स्पेलिंग ‘KUMAON’ की जगह ‘KUMAUN’ प्रयोग की जाती है। गौरतलब है कि इस गलती को विवि के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. केडी रुबाली सहित कई लोग विवि के संज्ञान में ला चुके हैं, लेकिन इसे सुधारा नहीं गया है। बहरहाल, नैनीताल शहर की स्पेलिंग में हुई गलती को डीएसबी परिसर निदेशक प्रो. बीआर कौशल ने स्वीकारते हुए इसे आगे सही करा लेने की बात कही।

सोमवार, 10 सितंबर 2012

नैनीताल की मुहिम से इंडिया होगा क्लीन

 
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल तथा देश के अजमेर, गाजियाबाद, मेरठ, लखनऊ, इलाहाबाद व आगरा आदि नगर पंचतंत्र की कछुवे व खरगोश की कहानी से प्रेरित नजर आ रहे हैं। पांच वर्ष पूर्व एक आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने आस्ट्रेलिया में चल रही अपनी मुहिम ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ की तर्ज पर नैनीताल नगर में भी अभियान शुरू किया था। देश में नैनीताल से ‘माई क्लीन नैनीताल’ के रूप में शुरू हुई यह मुहिम नैनीताल में तो वर्ष-दर-वर्ष धीमी पड़ती जा रही है। वहीं यह इन नगरों में गति पकड़ने हुए ‘माई क्लीन इंडिया’ बनती जा रही है। गाजियाबाद में तो इस मुहिम को मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. उदिता त्यागी का साथ ही मिल गया है। 
रैम्को आस्ट्रेलिया के स्कारबौरौ शहर के रहने वाले सेवानिवृत्त केमिकल इंजीनियर तथा बीएससी, बीईसी व एमबीए डिग्रीधारी हैं। वे वर्ष 2004 में नैनीताल आये तो यहां की खूबसूरती के कायल हो गये। बस, एक कसक मन में उठी कि इस शहर को और अधिक साफ-सुथरा बनाया जाए। इसी कसक को लेकर वापस आस्ट्रेलिया लौटे तो मन के भीतर से आवाज आयी कि पहले अपना घर साफ करो, तब दूसरों का करो। बस क्या था। 'माई क्लीन कम्युनिटी' नाम की संस्था बनाकर अपने शहर को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ करने का बीड़ा उठा लिया। इसके बाद वर्ष 2007 में नैनीताल लौटे और यहां के लोगों को भी इसी तरह से सफाई के लिए प्रेरित किया। 18 सितम्बर 1880 यानी नगर के महाविनाशकारी भूस्खलन के दिन हर वर्ष नैनीताल स्वच्छता दिवस मनाना तय हुआ। लोग काफी हद तक सफाई के प्रति जागे भी, और यह आरोप भी लगा कि जब कोई विदेशी आकर ही हमें हमारे घर की समस्या का समाधान बताता है, तभी हम देर से जागते हैं, और फिर जल्दी सो भी जाते हैं। हुआ भी यही। वर्ष दर वर्ष अभियान धीमा पड़ने लगा। वर्ष भर सोने के बाद 18 सितम्बर को सांकेतिक सफाई अभियान होने लगे, नगर में 'मिशन बटरफ्लाई' की शुरुआत  इसी अभियान के फलस्वरूप हुई, लेकिन यह अभियान भी 'संस्थाओं' के  लाभ के अतिरिक्त कुछ खास नहीं कर सका। न कूड़े का जैविक व अजैविक में विभक्तिकरण हुआ और न ही कूड़े का योजना के  जैविक खाद या प्लास्टिक संघनन के  साथ समूल नाश ही हो पाया। अभियान से कुछ दिन पूर्व नगर पालिका की अगुआई में वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, उमेश तिवाड़ी ‘विश्वास’ व दिनेश डंडरियाल आदि स्कूली बच्चों को जागरूक करते जबकि 18 सितम्बर के कार्यक्रम में अधिकांश लोगों की भूमिका फोटो खिंचवाने तक सीमित होती। इधर अपनी मेहनत का सिला न मिलने से इस वर्ष इन लोगों का हौसला भी टूटने लगा था। गत दिवस हुई बैठक में श्री साह ने आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने वर्ष 2007 में शुरू की थी ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ मुहिम मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. इदिता त्यागी बढ़ा रहीं मुहिम को आगे कह भी दिया था कि अब आगे की पीढ़ी दायित्व संभाले। महिला मैत्री संस्था ने कुछ समय हर माह की 18 तारीख को नगर के वार्डों में सफाई की, यह सिलसिला भी काफी पहले टूट चुका है। इधर रैम्को अपनी मुहिम में लगे रहे। वह बताते हैं कि उनकी मुहिम पूरी दुनिया को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ-सुथरा करने की है। इस मुहिम में उन्हें खासी सफलता भी मिल रही है। भारत में ही नैनीताल से प्रेरणा लेकर इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे शहर अपने यहां ऐसे ही कार्यक्रम चलाने लगे। रैम्को बताते हैं-अजमेर, मेरठ व गाजियाबाद में यह मुहिम खासी तेजी से चल रही है। गाजियाबाद में मिसेज इंडिया वर्ल्ड डा. उदिता त्यागी अभियान से जुड़ गयी हैं और अभियान को खुद आगे बढ़ा रही हैं। रैम्को कहते हैं, नैनीतालवासी इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि उनके यहां से शुरू हुई मुहिम ‘माई क्लीन इंडिया’ के रूप में देश भर में आगे बढ़ रही है।   

नैनीताल पहुंचे रैम्को, चार सप्ताह तक रहेंगे     
नैनीताल। ‘माई क्लीन नैनीताल’ मुहिम को ‘माई क्लीन इंडिया’ का विस्तार देने वाले अभियान के प्रणेता आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन नैनीताल पहुंच गये हैं। वह इस बार चार सप्ताह के लिए पत्नी डाई विल्सन के साथ भारत आये हैं। एक खास भेंट में उन्होंने नैनीताल में साफ-सफाई में काफी सुधार आने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि 18 तक यहां अभियान में शामिल रहेंगे और उसके बाद एक से छह अक्टूबर तक अजमेर में स्कूली बच्चों के सहयोग से आयोजित होने जा रहे ‘माई क्लीन स्कूल’ मुहिम का हिस्सा बनेंगे। 

रैम्को की मुहिम को माई क्लीन इण्डिया वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है।   

सोमवार, 3 सितंबर 2012

मॉडल चिड़ियाघर बनेगा नैनीताल जू


कस्तूरा मृग विहार का प्रबंधन भी अब नैनीताल जू से होगा, तिब्बती भेड़ियों के प्रजनन का केंद्र भी बनेगा
नैनीताल (एसएनबी)। भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ  प्राणी उद्यान यानी नैनीताल जू को देश के 26 चिड़ियाघरों के साथ मॉडल चिड़ियाघर में तब्दील किया जाएगा। इस बाबत केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने निर्णय ले लिया है। वहीँ अगले 10 वर्षो में छोटे चिड़ियाघर (स्मॉल जू) से मध्यम स्तर के चिड़ियाघर (मीडियम जू) में तब्दील किया जाएगा। इस हेतु जू की भविष्य की 10 वर्षीय योजना का रोड मैप प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया। धरमघर बागेश्वर स्थित कस्तूरा मृग अनुसंधान केंद्र, वन्य जंतु ट्रीटमेंट, ट्रांजिट एवं रेस्क्यू सेंटर रानीबाग, हिमालयन बॉटेनिकल गार्डन नारायण नगर व ईको पार्क हनुमानगढ़ी नैनीताल आगे से नैनीताल जू की प्रबंध सोसायटी के  में होंगे। साथ ही नैनीताल जू को तिब्बती भेड़ियों के संरक्षित प्रजनन केंद्र एवं हिमालयी क्षेत्र के पक्षियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। 
सोमवार को नैनीताल जू के प्रमुख सचिव वन एस. रामासामी की अध्यक्षता में आयोजित प्रबंध सोसायटी की बैठक में जू में वन्य जीवों के प्रबंधन एवं रखरखाव में क्षमता विकास व प्रशिक्षण हेतु अन्य संस्थानों व पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार से सहयोग लेने का निर्णय भी लिया गया। जू में सैलानियों को आकषिर्त करने के लिए पर्यटक सीजन में नैनीताल के मुख्य स्थानों पर जू से संबंधित फिल्म शो व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। जू में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पर्यटक सुविधाएं विकसित करने, पर्यटकों के लिए पैकेज टूर विकसित करने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं परमजीत सिंह, कपिल जोशी, जू के निदेशक डा. पराग मधुकर धकाते, डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसएसपी डा. सदानन्द दाते, डा. भरत चन्द, विपिन तिवारी, नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी, दिनेश चंद्र साह, अपर सचिव वन सुशांत पटनायक, सतीश चंद्र उपाध्याय, उमेश तिवारी आदि मौजूद थे।


कर्मचारियों को तोहफा सैलानियों को झटका

नैनीताल। नैनीताल जू के प्रशासनिक ढांचे को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है, साथ ही यहां कार्यरत कार्मिकों के कल्याण के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया गया। वहीं जू में आने वाले सैलानियों को बड़ा झटका देते हुए प्राणी उद्यान में प्रवेश की दरों में दो गुना तक की बढ़ोतरी कर दी गई। अब जू में प्रवेश हेतु वयस्कों को 30 की जगह 50 रुपये एवं बच्चों को 10 की जगह 20 रुपये देने होंगे। राहत की बात है कि जू में कैमरे ले जाने का शुल्क समाप्त कर दिया गया है। जू की कैंटीन व नेचर शॉप को आगे पीपीपी मोड से संचालित करने पर भी विचार किया गया। जू में घूमने के लिए बच्चों को प्राम तथा बुजुगरे व विकलांगों के लिए बैट्री चालित वाहन संचालित करने का निर्णय लिया गया।