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बुधवार, 4 दिसंबर 2013

'आस्कर पिस्टोरियस' की राह पर दून का लोकेश

हौसलों के आगे हार गयी विकलांगता
शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच ही मुकाबला करना चाहता है लोकेश 
नवीन जोशी नैनीताल। ओलम्पियन ब्लेड रनर आस्कर पिस्टोरियस को अपना आदर्श मानने वाला दून का लोकेश खेलों की दुनिया में अपना एक नया मुकाम हासिल करना चाहता है। लोकेश ने अपना एक पैर बचपन में हुई एक दुर्घटना में गंवा दिया था, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति, साहस और हौसले की बदौलत उसने शरीर सौष्ठव (बॉडी बिल्डिंग) व भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में अपनी अलग पहचान बनाई है। लोकेश का कहना है कि वह विकलांग खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा, बल्कि शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच मुकाबला करेगा। राज्यस्तरीय भारोत्तोलन प्रतियोगिता में लोकेश कांस्य पदक हासिल कर चुका है। 
आस्कर पिस्टोरियस
18 वर्षीय लोकेश कुमार चौधरी ने नैनीताल में ‘राष्ट्रीय सहारा’ से भेंट में बताया कि वह दून के डीएवी कॉलेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष का छात्र है। लोकेश के अनुसार 1997 में उसके पिता किशोरी लाल पौड़ी में पुलिस विभाग में एसपीओ के पद पर थे। तब वह चार वर्ष का था कि एक दिन एक ट्रक ने उसके बांए पैर को कुचल दिया। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे लोकेश को 2003 में नकली पैर पहना दिये। तभी लोकेश ने ठान लिया था कि वह किसी को खुद को विकलांग नहीं कहने देगा। न केवल आम और पूरी तरह से शारीरिक रूप से दक्ष युवकों के साथ खड़ा होगा, वरन स्वयं को साबित करते हुए उनके लिए भी मिसाल कायम करके रहेगा। गत दिवस नगर के शैले हॉल में आयोजित 55 किग्राभार वर्ग में लोकेश ने मिस्टर उत्तराखंड प्रतियोगिता में भी उसने प्रतिभाग किया, तो प्रदेश के बॉडी बिल्डिंग कोच व प्रतियोगिता के निर्णायक केएन शर्मा उसकी प्रतिभा व दृढ़ हौसले के कायल हुए बिना न रह पाए और अपनी जेब से उसे 1100 रुपए का नगद पुरस्कार भेंट किया। लोकेश प्रदेश का इकलौता शारीरिक रूप से अक्षम बॉडी बिल्डर तो है ही, साथ ही वह आम खिलाड़ियों के साथ ही प्रतिभाग करने का हौसला रखता है। लोकेश ने बताया कि अभी वह छह माह से ही बॉडी बिल्डिंग का प्रशिक्षण ले रहा है। पूर्व में वेट लिफ्टिंग में आम खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा करते हुए इस 55 किग्राके पहलवान ने बैंच प्रेस पर लेटकर 75 किग्रा, स्कॉट्स पर 90 किग्राऔर डेड लिफ्ट स्पर्धा में 120 किग्रा वजन उठाकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया है। 

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

पोलियोग्रस्त बालक बना ’स्पाइडरमैन‘

कमजोरी को ही ताकत बनाना चाहता है मनीश 
नवीन जोशी, नैनीताल। मशहूर कवि दुश्यंत कुमार ने कहा, ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ तथा किसी अनाम कवि ने कहा है ‘परिंदों की उड़ान हौसलों में होती है परों में नहीं’। न जाने कितने लोगों ने इन जोशीले सूत्रों को सुना होगा लेकिन सुनने के साथ ही गुनने की बात की जाए तो निश्चित ही ऐसे नाम खोजने पड़ेंगे लेकिन अल्मोड़ा नगर के मनीश ने न केवल इन सूत्रों को सुना व गुना है वरन अपने जीवन में अपनाया भी है। जन्म के एक वर्ष बाद ही लाइलाज कहे जाने वाले पोलियो से ग्रस्त इस बालक का हौंसला देखिये, आज वह अपने पैरों पर ठीक से खड़ा नहीं हो पाता लेकिन 40 फिट ऊंची खड़ी दीवार पर चढ़कर अपने साथियों के बीच ‘स्पाइडरमैन’ के नाम से जाना जाता है। 
जीआईसी अल्मोड़ा में 12वीं के छात्र 19 वर्षीय मनीश को बारापत्थर में 40 फीट ऊंची दीवार पर जिस कुशलता के साथ चढ़ते देखा, तो उसके हौसले को देख वहां मौजूद नगर पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी, विशेष कार्य अधिकारी-साहसिक पर्यटन जेसी बेरी व नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के सचिव राजेश साह सहित प्रशिक्षक भी तालियां बजाए बिना न रह सके। किसी को विश्वास नहीं हुआ कि वह एक वर्ष की उम्र से ही पोलियो ग्रस्त हो चुका था और एक समय था जब वह सीधा बैठ भी नहीं पाता था। मनीश ने रहस्योद्घाटन किया कि वह वर्ष 2008 से साहसिक खेलों और खासकर पर्वतारोहण से जुड़ा है और अपने प्रशिक्षकों को कभी नहीं बताता कि उसे पोलियो है। इसलिये कि कहीं उसे प्रशिक्षण देने से या कैंप में आने से ही न रोक दें। पैर कमजोर हैं तो पैरों की अधिक शक्ति की जरूरत वाले क्षेत्र में ही क्यों कदम बढ़ाए, वह जवाब देता है, एक मिसाल कायम करना चाहता हूं। ऊंची पहाड़ियों, दीवारों पर इसलिये और इस तरह चढ़ता हूं कि दर्द चेहरे पर न उभरने पाये। ऐसा इसलिये कर रहा हूं कि जब पर्वतारोहण में एक मुकाम हासिल कर लूं तो अपने जैसे अन्य विकलांगों को प्रेरणा दे सकूं कि हौसले मजबूत हों तो कैसी भी विकलांगता कोई मायने नहीं रखती। मनीश की घरेलू परेशानियों की कहानी भी ऐसी है कि छोटे-मोटे कायरे के लिए हिम्मत से कदम न उठें। आबकारी विभाग में कार्यरत पिता देवी दत्त जोशी का 10 वर्ष पूर्व निधन हो गया। मां चंपा जोशी किसी तरह पति की जगह सेवा में लगकर चार बच्चों का भरण-पोषण कर रही हैं, जिनमें मनीश तीसरे नंबर का है। मनीश कहता है, साहसिक खेलों में उसकी गहरी रुचि है और वह तय कर चुका है कि इसी क्षेत्र में भविष्य बनाना है। वह अच्छा गायक होने के साथ ही डांस का भी शौक रखता है।