Tiger लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Tiger लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

जिम कार्बेट के घर नैनीताल में फिर दिखाई दिया ‘रॉयल बंगाल टाइगर’

नवीन जोशी, नैनीताल। देश में बाघों की संख्या लगातार घटने से चिंतित पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवर नगरी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बाघों का राजा ‘रॉयल बंगाल टाइगर' अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के शहर नैनीताल की खूबसूरती पर एक बार फिर फिदा हो गया लगता है। बीती 10-11 फरवरी की रात्रि नगर की करीब 2591 मीटर ( 8500 फिट) ऊंची कैमल्स बैक चोटी पर इसे देखा गया। आधिकारिक तौर पर कैमरों से इसकी तस्वीर भी रिकार्ड की गई है। इसे जिम कार्बेट के दौर के लम्बे अंतराल के बाद भी नैनीताल में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बरक़रार रहने के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 
प्रदेश में गत 10 फरवरी से एक सप्ताह तक यानी 17 फरवरी तक के लिए बाघों की गणना के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत नैनीताल के निकटवर्ती वन क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर रात्रि में भी देखने की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं। इन्हीं में से एक कैमरा नैना रेंज में समुद्री सतह से 2591 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी कैमल्स हंप या कैमल्स बैक पर भी लगाया गया था। इस कैमरे से अभियान की पहली ही यानी 10 व 11 फरवरी की रात्रि एक बजकर 47 मिनट पर करीब सात-आठ वर्ष की उम्र के बंगाल टाइगर प्रजाति के कैमरे के चित्र लिये गए हैं। डीएफओ डा. तेजस्विनी पाटिल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कैमरे में देखा गया बाघ नर हो सकता है। जिस कैमरे पर यह रिकार्ड किया गया है, उसे कुमाऊं विवि के वानिकी विभाग के द्वितीय वर्ष के दो छात्रों मो. अकरम व लवप्रीत सिंह लाहौरी तथा एक स्थानीय युवक अमित वाल्मीकि द्वारा लगाया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में सांपों में किंग कोबरा, पक्षियों में चील-गिद्ध आदि की तरह सबसे ऊपर होते हैं। किसी स्थान पर इनकी उपस्थिति होने का सीधा सा अर्थ होता है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की श्रृंखला के निचली श्रेणी तक के सभी अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में उस स्थान पर उपलब्ध हैं। यह अपनी भोजन श्रृंखला के निचली श्रेणी के वन्य जीवों को खाते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

2010 में भूटान में 4100 मीटर ऊंचाई पर देखे जाने का है रिकार्ड

देश में सर्वाधिक ऊंचाई पर बाघ को देखे जाने के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, और अब पहली बार इसे नैनीताल में 2951 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। बहरहाल बीबीसी के अनुसार बाघ को सर्वाधिक ऊंचाई पर देखे जाने का विश्व रिकार्ड सितम्बर 2010 में बना था, जब इसे भूटान में 4100 मीटर की ऊंचाई पर रिकार्ड किया गया था। गौरतलब है कि नैनीताल में पूर्व में कैंट के पास बाघ को देखे जाने की बात कही जाती थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

आदमखोरों की होगी डीएनए सैंपलिंग

पदचिह्नों व कैमरा ट्रैपिंग के प्रयोग असफल रहने के बाद उठाया जा रहा कदम 
नैनीताल वन प्रभाग से होगी शुरुआत, मल से लिये जाएंगे डीएनए के नमूने
नवीन जोशी, नैनीताल। अब तक आदमखोर बाघों व गुलदारों की पहचान उनके पदचिह्नों व कैमरा ट्रैपिंग के जरिए की जाती रही है, लेकिन इन प्रविधियों की असफलता और अब गांवों के बाद शहरों में भी अपनी धमक बना रहे आदमखोरों की त्रुटिहीन पहचान के लिए वन विभाग अत्याधुनिक डीएनए वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग इनकी पहचान के लिए करने जा रहा है। इसकी शुरुआत नैनीताल वन प्रभाग से होने जा रही है। इस नई तकनीक के तहत वन विभाग ग्रामीणों के सहयोग से वन्य पशुओं के मल (स्कैड) को एकत्र करेगा। मल का हैदराबाद की अत्याधुनिक सीसीएमबी (सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी) प्रयोगशाला में डीएनए परीक्षण कर डाटा रख लिया जाएगा और आगे इसका प्रयोग आदमखोरों की सही पहचान में किया जाएगा। 
वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार कोई भी हिंसक वन्य जीव अपने जीवन पर संकट आने जैसी स्थितियों में ही आदमखोर होते हैं। बीते दिनों में नैनीताल जनपद के चोपड़ा, जंतवालगांव क्षेत्र में चार लोगों को आदमखोर गुलदार अपना शिकार बना चुके हैं। रामनगर के जिम काब्रेट पार्क से लगे क्षेत्रों में आदमखोर बाघों से अक्सर मानव से संघर्ष होता रहा है। दिनों-दिन ऐसी समस्याएं बढ़ने पर वन विभाग ने पहले इन हिंसक वन्य जीवों के पदचिह्नों की पहचान की तकनीक निकाली, लेकिन बेहद कठिन तकनीक होने के कारण कई बार बमुश्किल प्राप्त किए पदचिह्न किसी अन्य वन्य जीव के निकल जाते हैं और उनके इधर- उधर आने-जाने की ठीक से जानकारी नहीं मिल पाती। इससे आगे निकलकर निश्चित स्थानों पर थर्मो सेंसरयुक्त कैमरे लगाकर इनकी कैमरा ट्रैपिंग का प्रबंध किया गया, किंतु यह प्रविधि भी कुछ ही स्थानों पर कैमरे लगे होने की अपनी सीमाओं के कारण अधिक कारगर नहीं हो पा रही है। नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ डा. पराग मधुकर धकाते का दावा है कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सीसीएमबी हैदराबाद जाकर अध्ययन किया है व वहां के डीएनए सैंपलिंग विशेषज्ञों ने हिंसक जीवों के आतंक से निजात दिलाने के लिए यह नया तरीका खोज निकाला है। डा. धकाते बताते हैं कि नई विधि के तहत शीघ्र ही आदमखोरों की अधिक आवक वाले क्षेत्रों में ग्रामीणों व विभागीय कर्मियों को एक दिवसीय 'कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम' चलाकर प्रशिक्षित किया जाएगा। ग्रामीणों को विभाग प्लास्टिक के थैले उपलब्ध कराएगा, जिसमें ग्रामीण कहीं भी जानवर का मल मिलने पर थोड़ा सा एकत्र कर लेंगे। बाद में विभाग इसे सीसीएमबी हैदराबाद भेजेगा और त्रुटिहीन तरीके से उस क्षेत्र में सक्रिय हिंसक जीव की पहचान एकत्र कर ली जाएगी। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर निदेशक व जंतु विज्ञानी प्रो. बीआर कौशल ने भी डीएनए सैंपलिंग के इस तरीके के बेहद प्रभावी होने की संभावना जताते हुए कहा कि मल में जानवर की लार, सलाइवा, हड्डी या पेट की आंतों के अंश होते हैं, जिनसे उस जानवर का डीएनए सैंपल प्राप्त हो जाता है।

बाघों की मौत के वैज्ञानिक अन्वेषण के निर्देश दिए

नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ने काब्रेट पार्क में बाघों की मौत मामलों में वन अफसरों की लापरवाही को गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने निदेशक सीटीआर को बाघों की मृत्यु का वैज्ञानिक अन्वेषण करने के निर्देश दिये हैं। खंडपीठ ने गौरी मौलखी की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि काब्रेट पार्क में बाघों की मौत का सही अन्वेषण नहीं किया जा रहा है। वन अफसर जांच में बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्धारित मापदंडों का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं।

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

मर के भी देखा जा सकेगा देश का आखिरी साइबेरियन टाइगर



टैक्सीडर्मी के रूप में नैनीताल जू लौटा कुणाल

नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल चिड़ियाघर में 19 नवम्बर 2011 को दुनिया से विदा हो चुके देश के आखिरी कुणाल नाम के साइबेरियन टाइगर को अब फिर देखा जा सकेगा। मंगलवार को मंडलायुक्त डा. हेमलता ढौंडियाल ने कुणाल का टैक्सीडर्मी ट्रॉफी के रूप में अनावरण किया। मंडलायुक्त ने इस दौरान कहा कि इस ट्राफी को शीघ्र चिड़ियाघर के संग्रहालय में आमजन के लिए प्रदर्शित किया जाए। साथ ही इसके साहित्य को चिड़ियाघर की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। नैनीताल जू में कुणाल की टैक्सीडर्मी ट्राफी के अनावरण के मौके पर निदेशक डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क बोरीवली के टैक्सीडर्मिस्ट डा.संतोष गायकवाड़ ने कुणाल की वैज्ञानिक तरीके से हूबहू प्रतिकृति तैयार की है। यह वैज्ञानिक व शैक्षिक अध्ययन के साथ ही जू में आने वाले सैलानियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि फरवरी में कुणाल को पूर्व में तैयार स्नो लैर्पड-रानी की टैक्सीडर्मी के साथ स्थापित किए जा रहे संग्रहालय में आमजन के रखा जाएगा। इस दौरान जनपद के दूरस्थ बेतालघाट ब्लाक के राउमावि गरजौली की छात्राओं ने पहली बार किसी चिड़ियाघर की सैर के साथ ही ऐसे ऐतिहासिक क्षणों में उपस्थिति का अनुभव लिया। उन्होंने उपस्थित अतिथियों के स्वागत में गीत भी प्रस्तुत किया। इस मौके पर प्रशिक्षु आईएफएस डा. कोको, जू के चिकित्सक डा. एलके सनवाल, वन क्षेत्राधिकारी प्रकाश जोशी, केसी सुयाल व अतुल भगत के साथ गरजौली के शिक्षक जगदीश चुफाल व जया बाफिला आदि भी मौजूद रहे। संचालन मनोज साह ने किया।

दुनिया का दूसरा टैक्सीडर्मी रूप में संरक्षित साइबेरियन टाइगर बना कुणाल

नैनीताल। मंगलवार को टैक्सीडर्मी के रूप में मरने के बाद भी संरक्षित किया गया कुणाल दुनिया का दूसरा साइबेरियन टाइगर है। डा. धकाते ने बताया कि इससे पूर्व चीन में मार्च-11 में एक साइबेरियन टाइगर की टैक्सीडर्मी बन चुकी है। उल्लेखनीय है कि दुनिया में टाइगर यानी बाघ की तीन प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है, और केवल पांच बची हैं। चीन व रूस में प्राकृतिक वास स्थल के रूप मैं पाया जाने वाला साइबेरियन टाइगर दुनिया का सबसे बढ़ा बाघ होता है। भारत का रॉयल बंगाल टाइगर दुनिया का आकार के लिहाज  से दूसरा सबसे बढ़ा बाघ है। नैनीताल जू में मौजूद कुणाल दार्जिलिंग जू में 26 अप्रेल 194 को पैदा हुआ था। चूंकि इसकी प्रजाति लुप्राय श्रेणी में है, लिाजा इसका मर के भीदिखते रहना वन्य जीव संरक्षण के लिहांज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।