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बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

नैनीताल ने देश को दिया ‘सदी का महानायक’

70 के हुए 70 के ज़माने के "शहंशाह"
अमिताभ के रोम-रोम में बसा है सरोवर नगरी का शेरवुड कालेज 
कहा था, यहां बिताए तीन दिन तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो सरीखे 
नवीन जोशी, नैनीताल। अभिनय के शहंशाह कहे जाने वाले और सदी के महानायक व बिग बी जैसे नामों से पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में कम लोग जानते होंगे कि उनकी अभिनय कला नैनीताल में ही अंकुरित हुई थी। यहीं के शेरवुड कालेज में प्रधानाचार्य ने भविष्य के अभिनय के शहंशाह को नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। बिग बी नैनीताल और शेरवुड को दिल से इस तरह प्यार करते हैं कि उन्हें यह कहने में भी संकोच नहीं होता कि वह आज जो कुछ भी हैं, शेरवुड की वजह से हैं। वर्ष 2008 में वह शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में शामिल हुए थे तो लौटकर अपने ब्लॉग में लिखा, शेरवुड में बिताये तीन दिन उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे। 
अमिताभ को वर्ष 1956 में जब पहली बार उनके पिता प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन ने नैनीताल के शेरवुड कालेज में नौवीं कक्षा में दाखिल कराया था, तब वह महज 14 वर्ष के किशोर थे। उनके छोटे भाई अजिताभ उनसे पहले शेरवुड में प्रवेश पा चुके थे। उन्हीं दिनों अमिताभ में अभिनय के बीज अंकुरित हो रहे थे। यहीं वह अन्य सहपाठियों की तरह हॉस्टल से छिपकर फिल्में देखने भी जाने लगे थे। यहीं उन्होेंने शेक्सपीयर के नाटक में अभिनय कर ‘ज्योफ्रे केंडल कप’ का पुरस्कार हासिल किया, जो उनके जीवन का पहला नाटक और पहला पुरस्कार कहा जाता है। इसी दौरान एक अनोखी घटना घटित हुई, जिसे अमिताभ आज भी याद रखते हैं। शेरवुड के तत्कालीन प्रधानाचार्य रेवरन आरसी लिवैलिन जिन्हें छात्र ‘लू’ भी कहा करते थे, ने अमिताभ को बीमार होने के कारण नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। अमिताभ इस घटना को याद करते हुए अपने ब्लॉग में लिखते हैं, वह स्कूल के चिकित्सालय में बेड पर बीमार पड़े हुऐ थे, तब उन्हें अपने बाबूजी की कविता की पंक्तियां याद आई, ‘मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो और भी अच्छा।’ बस इन्हीं पंक्तियों ने न केवल तब उन्हें आत्मिक ऊर्जा दी, वरन हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। जून 2008 में उन्हें जब शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में आमंत्रित किया गया तो वह पत्नी जया, पुत्र अभिषेक व पुत्रवधू ऐश्वर्या और पारिवारिक मित्र अमर सिंह के साथ यहां पहुंचे। यहां के बाद उन्हें तत्काल अपनी ‘सरकार राज’ फिल्म के प्रमोशन एवं आइफा के कार्यक्रम में बैंकाक जाना था। वह नौ जून को दिल्ली ही पहुंचे थे कि अपने ब्लॉग में नैनीताल की यादों को संजोना नहीं भूले। उन्होंने लिखा, ‘वह शेरवुड में बिताये तीन दिनों से स्वयं को अलग नहीं कर पा रहे हैं। वह तीन दिन नहीं थे, उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे।’

पंत ने दिया था अमिताभ नाम
नाम नैनीताल। अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर 1942 को जब वह पैदा हुए थे, वह भारत छोड़ो आंदोलन का दौर था। उनके पिता के कवि मित्र सुमित्रानंदन पंत उन दिनों इलाहाबाद आये हुए थे। पंत ने नर्सिग होम में ही नवजात शिशु की ओर इशारा करते हुए कहा था- ‘देखो, कितना शांत बालक है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ।’ कहते हैं बच्चन दंपति ने उनका नाम नामकरण संस्कार से पूर्व ही अमिताभ रख दिया था।

शेरवुड में होगी प्रार्थना सभा
नैनीताल। शेरवुड कालेज में अमिताभ के 70वें जन्म दिवस पर बृहस्पतिवार को विशेष प्रार्थना सभा होगी। कालेज के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू ने बताया कि इस दौरान अमिताभ की दीर्घायु, सेहत एवं सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमिताभ निस्संदेह शेरवुड के सबसे प्यारे और सम्माननीय छात्र हैं। वह शेरवुड का नाम आते ही सब कुछ पीछे छोड़ देते हैं।

मूलतः यहाँ भी देख सकते हैं :                                http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/11/2012

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

एक्टर नहीं बनना चाहते थे कबीर बेदी



नैनीताल में जीते ‘कैंडल कप’ ने दिखाया तीन महाद्वीपों का रास्ता  यहाँ ‘जूलियस सीजर’ नाटक में अभिनय के साथ रखा था कबीर बेदी ने अभिनय की दुनिया में कदम

नवीन जोशी नैनीताल। इंसान दुनिया में जितना भी बड़ा मुकाम पा ले, उसके लिए जीवन की पहली सफलता सबसे ज्यादा मायने रखती है। यह उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। भारतीय उपमहाद्वीप के साथ यूरोप और अमेरिका में अभिनय के जौहर दिखा चुके सिने कलाकार कबीर बेदी भी अपनी पहली सफलता को भूले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल से उत्पन्न हुए थियेटर के शौक में उन्होंने तीन दशक में तीन महाद्वीपों तक अभिनय की यात्रा की। वह सरोवरनगरी के शेरवुड कालेज में अभिनय के लिए मिले पहले पुरस्कार ‘कैंडल कप’ को नहीं भूलते। यह उन्हें जीवन का पहला नाटक ‘जूलियस सीजर’ करने से मिला था। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि वह एक्टर नहीं बनना चाहते थे। 
शेरवुड कालेज में बच्चों के साथ खुद भी बच्चे बने कबीर बेदी, अजिताभ बच्चन अपने 1962  बीच के सहपाठियों के साथ 
कबीर बेदी शेरवुड कालेज के छात्र रहे हैं। यहां के बाद वह दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज में पढ़े। 1962 में वह शेरवुड से पढ़ाई कर लौटे थे। इस बीच नैनीताल व शेरवुड की यादें उन्हें यहां वापस लाती रहीं। बृहस्पतिवार को भी वह शेरवुड में थे। उनके बैच के डेढ़ दर्जन छात्र 50 साल बाद ‘रियूनियन’ में मिल रहे थे। इन सबके बीच अकेले कबीर हर ओर जिंदादिली के साथ छाये रहे। वह बच्चों के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। उनकी पेंटिंग को निहारते हुए उन्हें सुझाव भी दे रहे थे। वह अपने दौर के बूढ़े सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मी दुर्गा दत्त से भी हाथ मिला रहे थे। उन्होंने उसे 500 रुपये भेंट भी दिये। उनका कहना था जहां से जीवन की शुरूआत होती है, वह जगह हमेशा प्यारी होती है। यहां उन्होंने जीवन के प्रारंभिक वे दिन बिताए जब बच्चे भविष्य के सांचे में ढाले जाते हैं। यहां से सीखे मूल्यों, सिद्धांतों ने उनको जीवन में आगे बढ़ने और मुश्किलों का सामना करने में मदद की। इसलिए इस स्थान और कालेज के प्रति शुक्रगुजार का भाव रहता है। शेरवुड से ही उन्होंने अभिनय की शुरूआत की। जूलियस सीजर किया तो कैंडल कप मिला। इससे आगे प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि वह कलाकार बनना भी नहीं चाहते थे। नैनीताल से थियेटर का शौक लगा और थियेटर करते-करते वह तीन दशक में तीन-तीन महाद्वीपों तक अभिनय की यात्रा कर गये। जेम्स बांड सीरीज की ऑक्टोपस व बोल्ड एंड ब्यूटीफुल सरीखी हॉलीवुड फिल्में भी उनके खाते में हैं। इन दिनों वह प्रकाश झा की माओवादी समस्या की चीर-फाड़ करती फिल्म ‘चक्रव्यूह’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। वह पहाड़ों की खूबसूरती के मुरीद हैं। उन्होंने कहा कि यहां की लोकेशन कमाल की है। ये दुनिया की बेहतरीन लोकेशन से किसी मायने में कम नहीं हैं। यहां फिल्म निर्माण की स्वीकृति आसानी से मिले तो प्रदेश के साथ देश के घरेलू पर्यटन को खासा लाभ मिल सकता है। वह फिल्मी दुनिया से भी अपील करते हैं कि दूसरे देश जाने से बेहतर अपने देश में उत्तराखंड के पहाड़ों- हिमालय की खूबसूरत लोकेशनॉ में फिल्में बना कर देश के घरेलू पर्यटन को बढाने में भी अपना योगदान दें ।
मूलतः इस लिंक पर देखें: http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=04%2f06%2f2012