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सोमवार, 12 जनवरी 2015

चीन से आगे निकलने को 25 लाख की 'नेग' देगा उत्तराखंड


एक पखवाड़े में ही 22 में से 17 सांगठनिक जिलों में बने 3.75 लाख सदस्य
नैनीताल (एसएनबी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के रथ पर सवार  भाजपा उत्तराखंड में अपनी सदस्य संख्या मौजूदा छह लाख से चार गुना से भी अधिक बढ़ाकर 25 लाख करने की ओर आगे बढ़ रही है। पार्टी के महा सदस्यता अभियान प्रदेश प्रभारी पूर्व काबीना मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने खुलासा किया। उन्होने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को उत्तराखंड में 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन प्रदेश के भाजपाइयों ने  प्रधानमंत्री मोदी के भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी 10 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी बनाने और चीन से आगे निकलने के लिए इस लक्ष्य को स्वयं ही करीब दो गुना कर 25 लाख की 'नेग' देने का फैसला किया है, तथा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जुटे हुए हैं। 25 दिसम्बर को पूर्व पीएम बाजपेयी के जन्मदिन से शुरू हुए अभियान के तहत करीब एक पखवाड़े में ही 3.75 लाख लोगों के पार्टी की सदस्यता दिला दी गई है। 

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भौंर्याल सोमवार (12.01.2015) को मुख्यालय में नैनीताल जनपद की सदस्यता अभियान संबंधी समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आमजन के लिए कायरे का परिणाम है कि बड़ी संख्या में आमजन ही नहीं, कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधि भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। नैनीताल जनपद को 40 हजार लोगों को संगठन से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से 16 हजार लोग पखवाड़े भर के भीतर ही जुड़ गए हैं। बताया कि मोबाइल फोन से मिस कॉल के जरिए पार्टी से जुड़ने के लिए 31 मार्च तक की समय सीमा तय है, लेकिन प्रदेश में पार्टी ने तय किया है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए 15 फरवरी से ही मोबाइल फोन की सुविधा विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में आगामी 15 फरवरी से ही परंपरागत रसीद बुक वाले तरीके से सदस्यता देने की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, डीडीहाट व चंपावत सांगठनिक जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों की समीक्षा तथा सभी जिलों के एक-एक दूरस्थ गांवों में वह स्वयं लोगों को सदस्यता दिला चुके हैं। बैठक में पार्टी जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, जिला सदस्यता प्रमुख रघुवर जोशी, विधायक दान सिंह भंडारी, पूर्व काबीना मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट, खीमानंद शर्मा, बालम मेहरा, गोपाल रावत, हेम आर्या, दिनेश आर्या, मनोज साह, हुकुम सिंह कुंवर, ममता पलड़िया, शांति मेहरा, बिमला अधिकारी, भुवन हरबोला, तेज सिंह बिष्ट, संजय कुमार संजू सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 

सोमवार, 22 सितंबर 2014

उत्तराखंड की नौकरशाही का भगवान ही मालिक : किशोर उपाध्याय

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा, अमित शाह नहीं संभाल सकते पूरा देश
कहा, गुजरात के तड़ीपार हैं अमित शाह गैरसैंण में राज्य की राजधानी बनाने का किया समर्थन, राज्य सरकार से वहां पार्टी कार्यालय के लिए जमीन भी मांगी
नैनीताल (एसएनबी)। अपनी ताजपोशी के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का पहली बार सरोवरनगरी आगमन अनेक विवादों को जन्म दे सकता है। यहां उन्होंने जहां कई विवादास्पद टिप्पणियां कीं। वहीं उनके स्वागत में जिस तरह बाहर से आये कार्यकर्ताओं ने अपने नाम के होर्डिग लेकर मुंह दिखाई का प्रदर्शन किया, वह भी अभूतपूर्व रहा। 
नैनीताल क्लब में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक के उपरांत मीडियाकर्मियों से बातचीत में उपाध्याय ने पहली टिप्पणी प्रदेश की नौकरशाही को लेकर की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नौकरशाही का भगवान ही मालिक है। राज्य इन अधिक पढ़-लिखकर आ गए लोगों के लिए नहीं बना है। उन्होंने प्रदेश के सीएम से इन पर लगाम लगाने के लिए कहा। राज्य की राजधानी के मसले पर किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने के पक्ष में है। पार्टी ने राज्य सरकार से गैरसैंण में अपने प्रदेश मुख्यालय के लिए जमीन दिलाने का आवेदन भी कर दिया है। केदारनाथ में राज्य सरकार द्वारा गौरीकुंड तक सड़क तैयार कर लिए जाने व सब कुछ बेहतर होने का दावा करते हुए किशोर ने 2013 की केदारनाथ आपदा से पूरे प्रदेश को प्रभावित बताने के लिए मीडिया को दोषी ठहराया। उनके शब्द थे, ‘इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया ने केदारनाथ की आपदा को इस तरह दिखाया कि पूरे प्रदेश का पर्यटन प्रभावित हो गया, जबकि आपदा केवल सीमित क्षेत्र में आयी थी।’ पत्रकारों द्वारा यह याद दिलाने पर कि तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने यात्रियों-सैलानियों से प्रदेश में न आने का बयान दिया था, किशोर बगलें झांकते नजर आए। बमुश्किल बोले, यदि ऐसा था तो गलत था। सत्तापक्ष के विधायकों द्वारा राज्य सरकार की खिंचाई किये जाने के प्रश्न पर किशोर ने कहा कि अपने हितों को जनता के हितों का नाम देकर पेश करना गलत है। सदन में मर्यादित तरीके से ही अपनी बात उठाई जानी चाहिए। उन्होंने एक बार फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लेकर अपनी टिप्पणी दोहराई। कहा, ‘अमित शाह अपने प्रदेश गुजरात से बाहर किए गए ‘तड़ीपार’ हैं। ऐसा व्यक्ति देश को कैसे संभाल सकता है। संभवतया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई मजबूरी है, जो वह शाह को नजरअंदाज नहीं कर पा रहे हैं।’

सीएम को स्वस्थ होने के लिए दिया जाना चाहिए समय

नैनीताल। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय राज्य में अवरुद्ध विकास कायरे के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराते रहे, लेकिन जब वह प्रदेश सरकार के कायरे के सवालों पर घिरे तो बोले, ‘मुख्यमंत्री हरीश रावत घायल हैं, उन्हें स्वस्थ होने का समय दिया जाना चाहिए। हम सभी देवभूमि के वासी हैं, हमें ऐसे संवेदनशील मामलों में बड़ा दिल रखना चाहिए।’

रविवार, 25 मई 2014

2009 में ही नैनीताल में दिखाई दे गई थी मोदी में ‘पीएम इन फ्यूचर’ की छवि

छह मई 2009 को नैनीताल के फ्लैट्स मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
-अपनी फायरब्रांड हिंदूवादी नेता की छवि के विपरीत की थी गुजरात के विकास की बात
-यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाइंस’ और सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी के लिए किया था ‘एसआरपी’ शब्द का प्रयोग
नवीन जोशी, नैनीताल। देश के मनोनीत प्रधानमंत्री एवं आज देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले रहे नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी वर्ष 2009 में छह मई को लोक सभा चुनाव के प्रचार के लिए भाजपा प्रत्याशी बची सिंह रावत के प्रचार के लिए नैनीताल आए थे। नैनीताल में उस दौर की जनसभाओं के लिहाज से पहली बार भारी भीड़ उमड़ी थी, और लोग भाजपा के तत्कालीन ‘पीएम इन वेटिंग’ लाल कृष्ण आडवाणी की जगह मोदी के मुखौटे चेहरों पर लगा कर रैली में आए थे। साफ था कि मोदी तभी से आज के दिन की तैयारी कर रहे थे। उनके भाषणों में गुजरात का विकास पूरी तरह से छाया हुआ था। अपनी रौ में मोदी ने यहां जो कहा, उसमें विकास का मतलब ‘गुजरात’ हो गया और यूपीए सरकार के साथ ही एनडीए काल की ‘दिल्ली’ भी मानो कहीं गुम हो गई थी। उन्होंने यहां आडवाणी का नाम भी केवल एक बार उनके (आडवाणी के द्वारा) तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को कमजोर कहने के एक संदर्भ के अलावा कहीं नहीं लिया था। 
नैनीताल में मोदी को माता नंदा-सुनंदा के चित्र युक्त प्रतीक चिन्ह भेंट करते बची सिंह रावत, बलराज पासी व अन्य स्थानीय नेता। 
नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए फ्लैट्स मैदान में हुई उस जनसभा में मोदी अपने भाषण में पूरी तरह गुजरात केंद्रित हो गऐ थे। उनकी आवाज में यह कहते हुऐ गर्व था कि कभी व्यापारियों का माना जाने वाला गुजरात उनकी विकास परक सरकार आने के बाद से न केवल औद्योगिक क्षेत्र में वरन बकौल उनके एक अमेरिकी शोध अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर खारे पानी के समुद्र और रेगिस्तान से घिरा गुजरात कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए भी देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उन्होंने बताया, गरीबों के हितों के लिए चलाऐ जाने वाले 20 सूत्रीय कार्यक्रमों में गुजरात नंबर एक पर रहा है, साथ ही सूची में प्रथम पांच स्थानों पर भाजपा शासित और प्रथम 10 स्थानों पर एनडीए शासित राज्य ही हैं, तथा एक भी कांग्रेस शासित राज्य नहीं है। इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने पूछा कि ऐसे में कैसे ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ हो सकता है। मोदी ने गुजरात की कांग्रेस शासित राज्य आसाम से भी तुलना की। कहा, दोनों राज्य समान प्रकृति के पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटे हैं। आसाम के मुसलमान परेशान हैं कि वहां भारी संख्या में हो रही बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से उन्हें काम और पहले जैसी मजदूरी नहीं मिल रही। यूपीए नेता घुसपैठियों को वोट की राजनीति के चलते नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी गुजरात में घुसने की हिम्मत करना तो दूर उनसे (मोदी से) डरे बैठे हैं। हालांकि मोदी को इस दौरान पूर्व की एनडीए सरकार की कोई उपलब्धि बताने के लिए याद नहीं आई, पर उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ अवश्य की। कहा, एकमात्र विकास ही देश को बचा सकता है। अपनी फायरब्रांड और कट्टर हिंदूवादी नेता की पहचान वाले मोदी अपनी छवि के अनुरूप एक शब्द भी नहीं बोले, जिससे सुनने वालों में थोड़ी बेचैनी भी देखी गई थी।
इसके अलावा मोदी शब्दों को अलग विस्तार देने व अलग अर्थ निकालने की कला भी नैनीताल में दिखा गए थे। उन्होंने यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाऐंस’ यानी असीमित प्रधानमंत्रियों का गठबंधन करार दिया। कहा कि शरद पवार, लालू यादव, पासवान सहित यूपीए के सभी घटक दलों के नेता प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बजाय स्वयं को भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैं, वहीं गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस के एक भी वरिष्ठ नेता ने उनका नाम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं लिया। उन्होंने गांधी परिवार के लिए ‘एसआरपी’ (सोनिया, राहुल व प्रियंका ) शब्द का प्रयोग करते हुए पूछा, क्या एसआरपी ही देश का अगला प्रधानमंत्री तय करेंगे। 

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मोदी की रैली पर शादियों के लग्न भारी !

शादियों की वजह से रैली के लिए गाड़ियां मिलने में हो रही परेशानी, पर भाजपाइयों में दिख रहा भारी जोश
नवीन जोशी नैनीताल। 15 दिसम्बर को दून में हो रही भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की रैली की राह को इस दौरान और खासकर रैली के दिन तक ही उपलब्ध शादियों के लग्न प्रभावित कर रहे हैं। चूंकि शादियों के लग्न 14 तक ही हैं और इधर मौसम भी अधिक सर्द नहीं हुआ है। इस दौरान जनता के साथ ही अनेक भाजपा कार्यकर्ता भी अपने निकटस्थों की शादियों में आमंत्रित और व्यस्त हैं। शादियों के लिए पहले से ही बुक होने की वजह से भाजपाइयों को रैली में जाने के लिए बसें ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं लेकिन शायद मोदी को देखने और सुनने का उत्साह ही है कि ऐसी स्थितियों के बावजूद भाजपाई रैली में हर हाल में जाने की बात कह रहे हैं। 
मंडल व जिला मुख्यालय में जहां एक ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी की रैली के प्रति जोश दिख रहा है, वहीं वह प्रदेश हाईकमान द्वारा रैली के लिए दिए गए लक्ष्यों को लेकर परेशान हैं। इसका कारण यह है कि करीब एक हजार कार्यकर्ताओं को देहरादून ले जाना है। इनमें से अन्य लोग तो अपने प्रबंधों से दून चले जाएंगे लेकिन संगठन को करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं को दून ले जाने की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस हेतु कम से कम पांच बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था में जुटे एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आम तौर पर नैनीताल से दून के लिए 18 हजार रुपये में बसें मिल जाती हैं लेकिन इधर शादियों में व्यस्त होने के कारण 25 हजार रुपये से कम में बसें नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि ऐसे कार्यकर्ता भी मिले। जिन्होंने कहा कि बसें मिले चाहे न मिलें, भले ट्रकों में लटककर जाना पड़े लेकिन दून जरूर जाएंगे। क्योंकि मोदी के रूप में भाजपा को सत्ता में लौटाने का जो मौका मिला है, उसे चूकेंगे नहीं। इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत ने भी स्वीकारा कि शादियों की वजह से शंखनाद रैली के प्रबंधों में दिक्कत तो आ रही है लेकिन कार्यकर्ताओं का जोश देखते हुए रैली में भीड़ जुटाने में कोई कठिनाई नहीं है।