मंगलवार, 29 जनवरी 2013

मर के भी देखा जा सकेगा देश का आखिरी साइबेरियन टाइगर



टैक्सीडर्मी के रूप में नैनीताल जू लौटा कुणाल

नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल चिड़ियाघर में 19 नवम्बर 2011 को दुनिया से विदा हो चुके देश के आखिरी कुणाल नाम के साइबेरियन टाइगर को अब फिर देखा जा सकेगा। मंगलवार को मंडलायुक्त डा. हेमलता ढौंडियाल ने कुणाल का टैक्सीडर्मी ट्रॉफी के रूप में अनावरण किया। मंडलायुक्त ने इस दौरान कहा कि इस ट्राफी को शीघ्र चिड़ियाघर के संग्रहालय में आमजन के लिए प्रदर्शित किया जाए। साथ ही इसके साहित्य को चिड़ियाघर की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। नैनीताल जू में कुणाल की टैक्सीडर्मी ट्राफी के अनावरण के मौके पर निदेशक डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क बोरीवली के टैक्सीडर्मिस्ट डा.संतोष गायकवाड़ ने कुणाल की वैज्ञानिक तरीके से हूबहू प्रतिकृति तैयार की है। यह वैज्ञानिक व शैक्षिक अध्ययन के साथ ही जू में आने वाले सैलानियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि फरवरी में कुणाल को पूर्व में तैयार स्नो लैर्पड-रानी की टैक्सीडर्मी के साथ स्थापित किए जा रहे संग्रहालय में आमजन के रखा जाएगा। इस दौरान जनपद के दूरस्थ बेतालघाट ब्लाक के राउमावि गरजौली की छात्राओं ने पहली बार किसी चिड़ियाघर की सैर के साथ ही ऐसे ऐतिहासिक क्षणों में उपस्थिति का अनुभव लिया। उन्होंने उपस्थित अतिथियों के स्वागत में गीत भी प्रस्तुत किया। इस मौके पर प्रशिक्षु आईएफएस डा. कोको, जू के चिकित्सक डा. एलके सनवाल, वन क्षेत्राधिकारी प्रकाश जोशी, केसी सुयाल व अतुल भगत के साथ गरजौली के शिक्षक जगदीश चुफाल व जया बाफिला आदि भी मौजूद रहे। संचालन मनोज साह ने किया।

दुनिया का दूसरा टैक्सीडर्मी रूप में संरक्षित साइबेरियन टाइगर बना कुणाल

नैनीताल। मंगलवार को टैक्सीडर्मी के रूप में मरने के बाद भी संरक्षित किया गया कुणाल दुनिया का दूसरा साइबेरियन टाइगर है। डा. धकाते ने बताया कि इससे पूर्व चीन में मार्च-11 में एक साइबेरियन टाइगर की टैक्सीडर्मी बन चुकी है। उल्लेखनीय है कि दुनिया में टाइगर यानी बाघ की तीन प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है, और केवल पांच बची हैं। चीन व रूस में प्राकृतिक वास स्थल के रूप मैं पाया जाने वाला साइबेरियन टाइगर दुनिया का सबसे बढ़ा बाघ होता है। भारत का रॉयल बंगाल टाइगर दुनिया का आकार के लिहाज  से दूसरा सबसे बढ़ा बाघ है। नैनीताल जू में मौजूद कुणाल दार्जिलिंग जू में 26 अप्रेल 194 को पैदा हुआ था। चूंकि इसकी प्रजाति लुप्राय श्रेणी में है, लिाजा इसका मर के भीदिखते रहना वन्य जीव संरक्षण के लिहांज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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