रविवार, 10 जून 2012

एडमिरल जोशी ने आगे बढ़ाई नैनीताल की परम्परा




सरकारी स्कूलों का मान भी बढ़ाया वाइस एडमिरल डीके जोशी ने 
इससे पहले शेरवुड कालेज से ही निकलते रहे हैं सैन्य अधिकारी
नवीन जोशी नैनीताल। देश के भावी नौसेना प्रमुख डीके जोशी ने देश के पहले सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशा, प्रथम परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ शर्मा, पूर्व सेनाध्यक्ष डीएन शर्मा, ले. जनरल एसएन शर्मा, सैय्यद अता हसन और विक्रमजीत सिंह रावत की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए नैनीताल का नाम रोशन किया है। ये सभी सैन्य अधिकारी नैनीताल से किसी न किसी रूप में ताल्लुक रखते हैं। वाइस एडमिरल जोशी की सफलता ने इस बात को भी पुख्ता कर दिया है कि व्यक्ति में पढ़ने और अपने लक्ष्य को पाने की ललक व लक्ष्य के प्रति स्पष्ट सोच हो तो फिर शिक्षा का माध्यम कोई मायने नहीं रखता। 
जोशी 12वीं कक्षा में नैनीताल के राजकीय इंटर कालेज के छात्र रहे हैं। उनका शिक्षानगरी कहे जाने वाले नैनीताल से गहरा संबंध भी रहा है। श्री जोशी की प्राथमिक शिक्षा पीलीभीत व लखनऊ में हुई और इंटरमीडिएट उन्होंने नैनीताल के जीआईसी से पास किया, जो वर्तमान में यहां के इंटरमीडिएट में ही छात्र रहे मेजर राजेश अधिकारी के नाम पर जाना जाता है। राजेश ने हाईस्कूल तक की शिक्षा सेंट जोसफ स्कूल से ली थी, महावीर पुरस्कार प्राप्त मेजर राजेश करगिल युद्ध में शहीद हुए थे। इधर वाइस एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी का नाम विद्यालय से जुड़ने पर विद्यालय से जुड़े सभी लोग गदगद हैं। जोशी ने एक छात्र के रूप में 1969 में जीआईसी में प्रवेश लिया था, तब जीआईसी की हाईस्कूल तक की कक्षाएं ही वर्तमान गोरखा लाइन स्थित परिसर में जबकि इंटर की कक्षाएं वर्तमान डीएसबी परिसर (तत्कालीन डिग्री कालेज) में चलती थीं। डिग्री कालेज के प्रधानाचार्य ही जीआईसी की इंटर कक्षाओं का संचालन भी देखते थे। 
रामनगर कोसी नदी में परिजनों के साथ पिकनिक मनाते एडमिरल जोशी 
देवेंद्र के पिता हीरा बल्लभ जोशी उस दौर में कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक के पद पर थे। उन्होंने देवेंद्र को इंटर में जीआईसी में ही भर्ती कराया। देवेंद्र हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आते थे और शुरू से मेधावी थे। बेहद सरल स्वभाव के वाइस एडमिरल जोशी अक्सर नैनीताल आते रहते हैं। उनके साले हरीश चंद्र पांडे यहां हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। दूरभाष पर वार्ता में एडमिरल जोशी ने बताया कि वह अपने साले श्री पांडे के घर ही सादगी से रहे। 
नैनीताल जीआईसी की विकास यात्रा 
इस दौरान वह डीएसबी परिसर के वर्तमान वनस्पति विज्ञान विभाग के बगल के उस कमरे को देखने भी गए, जहां उन्होंने जीआईसी के रूप में इंटर की शिक्षा ग्रहण की थी। बातचीत में उन्होंने कहा कि जीआईसी से उन्हें शिक्षा के साथ ही सादगी का गुण भी प्राप्त हुआ।

शुक्रवार, 1 जून 2012

डाक्टर, शिक्षकों की कमी के लिए सरकार नहीं लोग खुद दोषी: राज्यपाल


कहा-समाज में इतना दम हो कि उन्हें पहाड़ पर रहने को मजबूर कर दे : अजीज कुरैशी
राज्यपाल ने शासन-प्रशासन का किया बचाव

नैनीताल (एसएनबी)। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने कहा कि पहाड़ पर शिक्षकों एवं चिकित्सकों की कमी के लिए प्रदेश का शासन-प्रशासन या सरकार जिम्मेदार नहीं है। सरकार उनकी (शिक्षकों- चिकित्सकों  की) तैनाती कर अपनी जिम्मेदारी निभाती है, पर वह वहां रहते ही नहीं। राजनीतिक दबाव का सहारा लेकर सुगम मैदानों में चले आते हैं। उन्होंने सीधे तौर पर समाज को भी ऐसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए समाज में ऐसा दम जाग्रत करने का आह्वान किया जिससे वह शिक्षकों, चिकित्सकों को पहाड़ पर सेवाएं देने के लिये मजबूर कर दे। डा. कुरैशी शुक्रवार को राजभवन गोल्फ क्लब में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति व शिक्षकों की कमी के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने बद्रीनाथ यात्रा के दौरे के दौरान उन्होंने पहाड़ की समस्याओं को करीब से जाना है। सरकार शिक्षकों व चिकित्सकों के प्रशिक्षण से लेकर नियुक्ति पर भारी-भरकम धनराशि खर्च करती है, बावजूद वह पहाड़ों पर टिकते नहीं हैं। उन्हें अपना दायित्व समझना चाहिए। राज्यपाल ने प्रदेश के लोगों की यह कहकर प्रशंसा भी की कि वह बेहद सच्चे, सरल व मेहनती हैं, उन्हें ऐसे शिक्षकों व चिकित्सकों को पहाड़ पर रुकने के लिए मजबूर करना चाहिए। बजट पढ़ना नहीं आता : प्रदेश के बजट पर पूछे गये सवाल को राज्यपाल ने यह कहकर टाल दिया कि उन्हें बजट पढ़ना ही नहीं आता है। उन्होंने प्रदेश की स्थितियों को खराब मानने से इनकार करते हुए कहा कि सुधार की हमेशा गुंजाइश होती है, सुधार हो रहा है।