रविवार, 5 फ़रवरी 2012

केवल पांच-छह फीसद की दर से ही बढ़ रहा नैनीताल का पर्यटन

नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, नैनीताल में भले सीजन में पर्यटकों की जितनी बड़ी संख्या, भीड़-भाड़ दिखाई देती हो, पर पर्यटन विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि प्रकृति के स्वर्ग कहे जाने वाले व विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी में अपार संभावनाओं के बावजूद केवल पांच से छह फीसद की दर से ही पर्यटन बढ़ रहा है जबकि विभाग आठ से 10 फीसद की दर से पर्यटन बढ़ने की उम्मीद जताता रहा है। 
उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश के रूप में राज्य सरकार द्वारा खूब प्रचारित किया जाता है। नैनीताल, मसूरी व काब्रेट पार्क रामनगर जैसे अपार पर्यटन संभावनाओं वाले अनेक पर्यटन स्थलों वाले प्रदेश में ऐसी संभावनाएं भी मौजूद हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते राज्य बनने के बाद पर्यटन विभाग का ठीक से ढांचा ही न बन पाने जैसे कारण राज्य के पर्यटन को गर्त में धकेलते नजर आ रहे हैं। विभाग का न राज्य के पर्यटन व्यवसाइयों पर कोई नियंत्रण है और न वह पर्यटकों की मदद या उन्हें सुविधाएं दिलाने में कोई मदद करता है। केवल योजनाओं के नाम पर सड़क किनारे वीरान पड़े पर्यटक सुविधा केंद्र जरूर खड़े कर दिये जाते हैं। बानगी देखिये, सरोवरनगरी में सैकड़ों की संख्या में होटल व गेस्ट हाउस हैं। इनमें से 144 तो सराय एक्ट में भी पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से केवल 72 होटल व 55 पेइंग गेस्ट हाउस ही पर्यटन विभाग को अपने यहां ठहरने वाले सैलानियों के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। इस आधार पर पर्यटन विभाग के सैलानियों संबंधी आंकड़ों को सही मानें तो वर्ष 2010 में 2009 के मुकाबले 37,149 सैलानी अधिक आये जो कि 4.9 फीसद अधिक थे। इसी तरह बीते वर्ष 2011 में 10 के मुकाबले छह फीसद के साथ 47,700 सैलानियों की वृद्धि हुई। यह स्थिति तब है जबकि नगर में पर्यटन सुविधाओं के नाम पर कोई वृद्धि नहीं हुई। इस अवधि में न तो नगर में एक भी अतिरिक्त वाहन पार्किग बनी और न नगर से बाहरी शहरों से ‘कनेक्टिविटी’ के लिहाज से ट्रेनों में कोई वृद्धि हुई। पूछे जाने पर नगर स्थित पर्यटन सूचना केंद्र के अधिकारी बीसी त्रिवेदी मानते हैं कि नगर में आने वाले सैलानियों की वास्तविक संख्या पांच गुना तक भी हो सकती है। उत्तराखंड होटल ऐसोसिएशन के महासचिव प्रवीण शर्मा का भी मानना है कि नगर में बेहतर सुविधाएं, मुंबई, पंजाब व पश्चिम बंगाल से बेहतर आवागमन के साधन हों तो नगर के पर्यटन को पंख लग सकते हैं। पर्यटन व्यवसायी नगर में होटलों की किराया दरें तय न होने, मनोरंजन के लिए फिल्म थियेटर तक न होने जैसे कारणों को भी नगर की पर्यटन विस्तार की रफ्तार के कम रहने का प्रमुख कारण मानते हैं। 
विदेशी सैलानियों की पसंद हैं बसंत और शरदकाल
नैनीताल। बीते वर्षो में सरोवरनगरी में आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या की वृद्धि दर देसी सैलानियों के मुकाबले अधिक रिकार्ड की गई है। वर्ष 2009 व 10 के बीच वृद्धि दर 24.48 फीसद व 2010 व 11 के बीच वृद्धि दर 32 फीसद रही है। विदेशी पर्यटकों के लिए बसंत व शरद ऋ तुएं नगर में पहुंचने के लिए सर्वाधिक पसंदीदा समय रहते हैं। बीते वर्ष की बात करें तो यहां जनवरी में 762, फरवरी में 944, मार्च में 1128, अप्रैल में 1450, मई में 491, जून में 475, जुलाई में 480, अगस्त में 403, सितम्बर में 489, अक्टूबर में 1024, नवम्बर में 1039 तथा दिसम्बर में 725 विदेशी सैलानी पहुंचे।

नैनीताल में वर्षवार आये सैलानियों की संख्या 
वर्ष      देशी सैलानी      विदेशी सैलानी    कुल 
2009   749556          5722               755278 
2010   786705          7123               793828 
2011   834405          9410               843815

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