मंगलवार, 9 अगस्त 2011

बच्चों का दिल जीत गए एपीजे

नवींन जोशी, नैनीताल। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने स्कूली बच्चों का दिल जीत लिया। वह यहां निर्धारित समय से एक घंटा बाद पहुंचे, लेकिन बच्चों के बीच ऐसे रम गए कि समय कब बीता पता नहीं चला, वह निर्धारित समय से आधा घंटा अधिक समय तक बच्चों के बीच रहे। यहां उन्होंने बच्चों के न केवल सवालों के जवाब दिए, वरन एक शिक्षक या बुजुर्ग से अधिक उन्हें जीवन की दीक्षा भी दी। पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम से यहां बच्चे निर्भीकता से मिले, और उनसे एक वैज्ञानिक होते हुऐ भी राजनीति में जाने (राष्ट्रपति बनने) के कारण भी पूछने लगे। बच्चों ने उनसे यह तक पूछ लिया कि वर्तमान हालातों में यदि भाजपा की सरकार होती तो क्या भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती ? एक बच्ची ने उनसे पूछा वह खगोलविद बनना चाहती है, कैसे बने ? एक बालक ने पूछा देश में आरक्षण की व्यवस्था को वह कितना जायज मानते हैं ? क्या स्कूलों को अच्छे राजनीतिज्ञ बनाने के लिये पाठय़क्रम बनाने चाहिऐ ? काका कलाम ने बड़ी सहजता से इन सवालों के जवाब दिये। उन्होंने बच्चों से कहा, हमेशा ‘मुझे कुछ लेना है’ के बजाय ‘मुझे देश को कुछ देना है’ का भाव रखें। भ्रष्टाचार की खिलाफत अपने घर से अपने पिता को प्रेरित करके करें तो यह समस्या स्वत: समाप्त हो जाऐगी। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुऐ कहा कि प्राथमिक शिक्षा का रचनात्मक होना जरूरी है। इसके लिये कक्षाओं, शिक्षकों व पाठय़ सामग्री को भी रचनात्मक बनाना होगा। इससे पूर्व कलाम विद्यालय पहुंचे तो सबसे पहले बच्चों से ही हाथ मिलाऐ और फूल ग्रहण किये। बच्चों के सिर पर हाथ रखकर भी उन्होंने आशीर्वाद दिये। ऐसा लगा नहीं कि देश के सर्वोच्च पद पर बैठा और मिसाइल मैन कहा जाने वाला एक युगदृष्टा बच्चों के सामने हो। तभी तो विद्यालय के भीतर न आ पाऐ स्थानीय बच्चे घरों और सड़क के पार से भी उनके स्वागत में नारेबाजी कर रहे थे।
सपना देखो और उसे साकार करो : कलाम
पूर्व राष्ट्रपति ने बच्चों को दी नसीहत, छात्रों को खूब रिझाया
नैनीताल (एसएनबी)। ‘ खूब सपने देखो, सपनों को सोच व परिणाम में बदलो, सपनों को साकार करने की दिशा में काम करो’। यह सीख पूर्व राष्ट्रपति और बच्चों के काका डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने नैनीताल में स्कूली बच्चों को दी। डा. कलाम ने मंगलवार को सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल में बच्चों के साथ लगभग डेढ़ घंटा बिताया। इस दौरान उन्होंने बच्चों के साथ अपने जीवन के अनुभव बांटे व जीवन में सफलता के कई गुरु मंत्र दिए। उन्होंने बच्चों के कई सवालों के जवाब भी दिए। 
डा. कलाम कुमाऊं विवि के 11वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेने के लिए नैनीताल आए हैं। दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर वह स्कूली बच्चों से मिले। सेंट मेरी कांवेंट स्कूल सभागार में अपने वक्तव्य की शुरुआत उन्होंने बच्चों में यह विश्वास भरते हुऐ की कि उनमें महानता है। उन्होंने बच्चों को बताया कि कैसे बड़े लक्ष्यों, कड़ी मेहनत से अच्छी पुस्तकों का लगातार अध्ययन करने, ज्ञान को समाहित कर उसका प्रयोग देश-समाज की समस्याओं को दूर करके महानता हासिल की जा सकती है। अपनी पुस्तक ‘विंग्स ऑफ फायर’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने बच्चों में यह विश्वास जगाया कि वह क्षमता, अच्छाई, विश्वास और सपनों सरीखे विचारों के पंखों के साथ पैदा हुऐ हैं, न कि रोने के लिये, क्योंकि उनमें पंख हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान व्यक्ति को रचनात्मक बनाता है, लेकिन इसके लिये विचारों में रचनात्मकता और चरित्र की सुंदरता, घर का अच्छा माहौल होने चाहिए। देश के ‘विजन-2020’ पर उन्होंने कहा कि जहां 70 फीसद ग्रामीणों का उत्थान हो, उन्हें ऊर्जा व साफ पानी मिले तथा सामाजिक व आर्थिक कारणों से किसी को शिक्षा लेने से न रोका जाऐ, भ्रष्टाचार, गरीबी और खासकर महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध न हों, वह ऐसे भारत की कल्पना करते हैं। उन्होंने खासकर बालिकाओं से निडर, ज्ञानवान, संस्कृतिनिष्ठ व सशक्त बनने का आह्वान किया और विश्वास दिलाया कि महिलाऐं सशक्त होंगी तो देश स्वत: विकसित राष्ट्र बन जाऐगा।
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